बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल (यूनाइटेड) के तनाव के बीच सूत्रों के हवाले से कई ख़बरें चल रही है. इस वक्त की सबसे बड़ी ख़बर ये है कि नीतीश कुमार का भाजपा के साथ जाना लगभग तय है. पिछली जेडीयू-बीजेपी सरकार में जो कैबिनेट थी, उसी के आस-पास पद बांटे जाएंगे।
सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि अगले दो से तीन दिनों के अंदर कुछ फ़ैसला आने की उम्मीद है.
इतना तो सूत्रों के हवाले से हुआ. जैसे ही ख़बर मीडिया में आई, बयानबाज़ी शुरू. नीतीश कुमार ने पूरे मसले पर बयान नहीं दिया है. लेकिन सुशील मोदी – जिनके फिर से डिप्टी बनने के योग हैं – उन्होंने कहा,
“जो दरवाजे बंद हैं, वे खुल सकते हैं” राजनीति संभावनाओं का खेल है. इससे ज्यादा कोई टिप्पणी नहीं कर सकता।
बिहार के मौजूदा सियासी हालात को देखते हुए लगता है कि महागठबंधन का टूटना तय हो गया है और बस इसका एलान बाकी है. आरजेडी चीफ और बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव को भी ऐसा ही लगता है औऱ वो नीतीश कुमार के रुकने की उम्मीद लगभग छोड़ चुके हैं. सूत्रों के मुताबिक, आरजेडी चीफ ने सीपीआई के एक विधायक को कहा कि अब नीतीश कुमार नहीं रुकेंगे. बता दें कि बिहार में कभी भी सीएम नीतीश बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने का एलान कर सकते हैं।
हालांकि, बीजेपी खेमे में इसको लेकर ज्यादा हड़बड़ी नहीं है. बीजेपी कुछ शर्तों के साथ सीएम नीतीश के साथ आना चाहती है. सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी. सूत्रों की मानें तो बिहार में नीतीश कुमार ही सीएम रहेंगे और उनके पुराने सहयोगी सुशील कुमार मोदी डिप्टी सीएम बन सकते हैं. एनडीए की सरकार में सुशील मोदी डिप्टी सीएम रह चुके हैं. फिलहाल वो राज्यसभा के सांसद हैं. बिहार के सियासी गलियारे में माना जाता है कि सीएम नीतीश और सुशील मोदी के बीच बढ़िया ट्यूनिंग है।
बिहार विधानसभा में कुल सीटें हैं, 243. इसमें राजद के 79 विधायक हैं, भाजपा के 78, जद(यू) की 45, कांग्रेस की 19, भाकपा(माले) की 12, माकपा और भाकपा की दो-दो, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) की चार सीटें और AIMIM की एक सीट है. एक निर्दलीय विधायक भी है।
कथित तौर पर नीतीश कुमार अपने दोनों सहयोगियों – लालू प्रसाद यादव की राजद और इंडिया ब्लॉक की कांग्रेस – से नाराज़ हैं. कांग्रेस सीट शेयरिंग लगातार टाल रही थी. सीट शेयरिंग का फ़ॉर्मुला तय हो पाए, इससे पहले ही भारत जोड़ो यात्रा शुरू कर दी।
नीतीश कुमार INDIA ब्लॉक के पहले नेता नहीं हैं, जो सीट बंटवारे पर नाराज़ हैं. हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने एलान किया ही कि सीट बंटवारे से असंतुष्ट होकर वो राज्य में अकेले चुनाव लड़ेंगी।
बिहार में सत्ता का समीकऱण बदलने की आशंकाओं के बीच बड़ी खबर आ रही है. सूत्रों का कहना है कि लालू प्रसाद यादव की पार्टी RJDने जीतन राम मांझी को राज्य का सीएम बनाने की पेशकश की है. य़ह जान लें मांझी हम (HAM) के नेता हैं और उनकी पार्टी के पास विधानसभा में चार विधायक हैं जबकि आरजेडी के सबसे अधिक 79 विधायक हैं. जीतन राम मांझी बिहार के सीएम रह चुके हैं. नीतीश कुमार ने उन्हें सीएम बनाया था और बाद में हटा दिया था।
मांझी की पार्टी ने ऑफर ठुकराया
इस पर हम पार्टी के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने प्रेस से बातचीत में स्टैंड क्लियर कर दिया. उन्होंने कहा कि अगर वो प्रधानमंत्री पद का भी उम्मीदवार दे दें तो हम उनके साथ नहीं जाएंगे।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार फिर एनडीए से जुड़ सकते हैं. सियासी उठापटक से गुजर रहे बिहार से पल-पल नई जानकारी सामने आ रही है. इस बीच खबर है कि आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार को फोन किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. सूत्र बताते हैं कि लालू यादव ने शुक्रवार शाम को नीतीश को फोन किया लेकिन वह फोन पर नहीं आए।
साल 2017 में जब नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हुए थे तो नीतीश कुमार ने आखिरी समय पर लालू यादव को फोन किया था. नीतीश कुमार ने कहा था कि ”आपका साथ यहीं तक था, अब हम विदा लेते हैं. आपके साथ काम करके बहुत अच्छा लगा.”
उधर, पूर्व सीएम राबड़ी देवी के आवास पर आरजेडी के नेताओं की बैठक बुलाई गई थी जो कि समाप्त हो गई है. जबकि जेडीयू ने 28 जनवरी को विधायक दल की बैठक बुलाई है जो कि सीएम नीतीश के आवास पर होगी. शुक्रवार को आरजेडी और जेडीयू के बीच की दूरी और तल्ख होती दिखी जब राज्यपाल द्वारा गणतंत्र दिवस पर आयोजित हाईटी में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव नहीं पहुंचे. उनकी पार्टी से केवल एक नेता आलोक कुमार मेहता आए और बीच में ही वापस चले गए।
गठबंधन लगभग खत्म ?
बिहार में राजनीतिक उठापटक के बीच जेडीयू के प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार और बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने बड़ा बयान दिया है। इन दोनों नेताओं के बयान ने साफ कर दिया है कि बिहार में आरजेडी के साथ जेडीयू का नाता टूट चुका है। उसके बाद अब अगली कवायद शुरू होने वाली है।
नीरज कुमार ने कहा है कि उन्हें अभी भी असमंजस की स्थिति लग रही है वह खुद आकर इस पर सफाई दें। दरअसल, ये बयान उन्होंने राजद के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद मनोज झा की तरफ से उठाए गए सवाल के जवाब में दिया है। मनोज झा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शाम तक सब कुछ क्लियर करने की बात कही थी। जिसके जवाब में तल्ख तेवर दिखाते हुए जदयू प्रवक्ता में असमंजस की स्थिति खत्म कर दी। उन्होंने कहा कि हम असमंजस की राजनीति नहीं करते हैं। जिन्हें असमंजस की स्थिति लग रही है वह क्लियर करें।
जानकारों की राय
सियासी जानकारों की मानें, तो नीरज कुमार के बयान से साफ हो गया है कि राजद और जेडीयू का गठबंधन अब खत्म हो चुका है। वहीं उन्होंने 30 जनवरी की बात भी कही। उन्होंने कहा कि 30 जनवरी किस लिए जाना जाता है। यह सभी जानते हैं। 30 जनवरी का जिक्र किए जाने पर यह माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 30 जनवरी को शपथ ले सकते हैं।
बताते चलें की 30 महात्मा गांधी के शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में नीरज कुमार की तरफ से 30 जनवरी का जिक्र करना ये बताता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ 30 जनवरी को ले सकते हैं। नीरज कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने रहेंगे। जिसको जो सफाई देनी है, वो देता रहे। इससे जेडीयू को कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है।
गिरिराज का बड़ा बयान
उधर, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह दिल्ली से पटना के लिए रवाना होते वक्त बड़ी बात कह गए। गिरिराज सिंह ने कहा है कि नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन में कुछ नहीं मिला है। उन्होंने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि बीजेपी को किसको लाना है और किसको हटाना है। इसका फैसला केंद्रीय नेतृत्व तय करता है। बताते चलें कि बीते कुछ दिनों से बिहार की राजनीति में घमासान जारी है। इस घमासान के बीच बिहार में सत्ता परिवर्तन निश्चित माना जा रहा है।
ध्यान रहे कि राजद के सांसद मनोज झा ने कहा कि नीतीश कुमार इस संकट के बादल को साफ कर सकते हैं। नीतीश कुमार को खुलकर सभी बातों को स्पष्ट करना चाहिए। माना जा रहा है इस कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अहम फैसला ले सकते हैं। इस बीच केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एनडीए में शामिल होने के लिए बधाई भी दे डाली है।
ताजा घटनाक्रम देखिए
उधर, एक ताजा घटनाक्रम में दोनों दलों के बीच बढ़ी दूरियों का पता चल गया। बताया गया है कि तेजस्वी यादव ने अब मुख्यमंत्री से दूरी बना ली है। तेजस्वी यादव राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने मंत्री अशोक चौधरी और विधान परिषद के उपसभापति देवेश चंद्र ठाकुर के साथ वहीं देखे गए। जीतन राम मांझी भी बगल में बैठे हुए थे लेकिन तेजस्वी यादव वहां नहीं पहुंचे थे।
राजभवन की ओर से मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को आमंत्रित किया जाता है। वहां पर तेजस्वी यादव नहीं पहुंचे थे। ऊपर से राजद के प्रवक्ता मनोज झा की ओर से बयान दिया गया कि नीतीश कुमार शाम तक असमंजस की स्थिति को क्लियर कर दें। उसके बाद जेडीयू की ओर से भी बयान दिया गया। पूरा घटनाक्रम इन अटकलों की पृष्ठभूमि में आया है कि जनता दल यूनाइटेड (जदयू) अध्यक्ष कुमार, महागठबंधन का साथ छोड़ सकते हैं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में वापसी कर सकते हैं।
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