कमजोर कप्तान बेबस ख़ाकी
उत्तराखंड पुलिस लूट काण्ड और महंत इंद्रेश हॉस्पिटल ब्लैकमेलिंग केस अगर दोनों की गहराई में जाओ तो आप चौंक जायेगे, दोनो ही केसों में पुलिसिया कार्येशेली पर सवाल उठना स्वाभाविक है,उत्तराखंड पुलिस लूट काण्ड आज भी रहस्यमय बना हुआ है, आख़िर रकम कितनी थी 1 लाख,2 लाख या 2 करोड़ बीस लाख जितनी भी थी, गई कहाँ, कौन ले गया, कहा ले गया, कौन है वो अदृश्य शक्ति, जिसकी वजह से उत्तराखंड पुलिस की छवि धूमिल हुई,सच क्यो दृश्यम बना हुआ,ख़ाकी ने ख़ाकी की फ़ज़ीहत करा डाली या सच का बलात्कर हो गया लेकिन ये बात सच है कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते है जहाँ तक सिर्फ सी.बी.आई ,ई.डी या इन्कम टैक्स वाले ही पहुँच सकते है यानी अगर उत्तराखंड पुलिस की छवि से जुड़े इस मामले में सी.बी.आई जाँच हो जाए तो उत्तराखंड पुलिस हमेशा शुक्रगुज़ार रहेगी कि सी.बी.आईं. ने उनकी फ़ज़ीहत होने से बचा ली हालांकि पुलिस में व्याप्त अदृश्य शक्ति कतई नही चाहेगी कि सच अपना नक़ाब खोल दे दूसरी तरफ अस्पतालों में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले स्टिंग हो या फिर सरकारी सिस्टम की जड़ो को खोखला करने वालो की सच्चाई को सार्वजनिक करने वाले ऑपरेशन्स सभी मामलों में उत्तराखंड पुलिस की मुस्तेदी गज़ब की दिखी,उत्तराखंड पुलिस ने बिना किसी ठोस आधार के मुक़दमे क़ायम करके न केवल पत्रकारिता को कटघरे में खड़ा करने का दुस्साहस किया बल्कि अस्पतालों में फैले भ्रष्टाचार और सरकारी जड़ो को खोखला करने वालो को मज़बूत साहस दिया,न अस्पताल के विरुद्ध कोई कार्यवाही हुई और न ही लूट काँड का वास्तविक सच अब तक सामने आया, अब उत्तराखंड पुलिस ने हालात ऐसे पैदा कर दिए है कि कोई भी भ्रष्टाचारी अपने आपको पुलिस के संरक्षण में सुरक्षित महसूस करता है और सच को उजागर करने वाला पत्रकार मुल्ज़िम बन जाता है,सीधे तौर पर कहा जा सकता है कि अगर किसी पत्रकार को कोई बड़ा भ्रष्टाचार उजागर करना हो तो उसे पहले उत्तराखंड पुलिस से अनुमति और संरक्षण प्राप्त करना होगा तब जाकर रिपोर्टिंग होगी अन्यथा ब्लैकमेलिंग का कैसे उत्तराखंड पुलिस बिना किसी आधार और जाँच के तत्काल अमल में ले आएगी मगर पुलिस की छवि को धूमिल करने वाले लूटकांड की रकम का सच अदृश्यम बना रहेगा और अदृश्यम रहेगी वो अदृश्यम शक्ति जिसने सबकुछ अबतक प्रभावित किया हुआ है,क्या सूबे के सूबेदार हिम्मत दिखाएंगे पत्रकारिता की रक्षा की और लूटकांड के वास्तविक दोषियों को सार्वजनिक करने की,उस रक़म के खुलासे की जो वास्तव में अस्तित्व में थी.???
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