उत्तरकाशी में टनल में फंसे मजदूरों को किसी भी वक्त बाहर निकाला जा सकता है. सुरंग में खुदाई पूरी हो गई है. 800 मिमी व्यास का पाइप भी डाला जा चुका है. एनडीआरएफ की टीम पाइप के जरिए मजदूरों तक पहुंच गई है. ये टीम मजदूरों को पाइप के जरिए बाहर निकालने में मदद करेगी. उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही मजदूरों को बाहर निकाला जा सकता है. रेस्क्यू टीमों ने मजदूरों के परिजनों से उनके कपड़े और बैग तैयार रखने को कहा है. मजदूरों को निकालने के बाद उन्हें हॉस्पिटल ले जाया जाएगा।
NDMA के अधिकारी सैयद अता हसनैन ने कहा कि अभियान इस तरह का चलता है हम 400 से ज्यादा घंटे तक हम लगे रहे हैं. पूरे सेफ्टी के साथ काम किया जा रहा है. बहुत बाधाएं आई हैं. हम कामयाबी के करीब हैं. सरकार का हर विभाग इसमें जुटा रहा।
एनडीएमए के सदस्य सय्यद अता हसनैन ने बताया कि 58 मीटर की ड्रिलिंग हो चुकी है, लगभग 2 मीटर और खोदने की जरूरत है. साथ ही 45 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग पूरी कर ली है. इस रेस्क्यू ऑपरेशन में NDRF की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण है. जानकारी के मुताबिक एक-एक व्यक्ति को बाहर निकालने में 3-5 मिनट का समय लगेगा. चिनूक हेलीकॉप्टर भी स्टैंडबाय पर हैं. 30 बिस्तरों वाली सुविधाएं भी हैं।
उन्होंने बताया कि 41 मजदूरों में से प्रत्येक को निकालने में 3-5 मिनट लगेंगे। इस तरह से पूरे मजदूरों को निकालने में 3 से 4 घंटे लग सकते हैं। एनडीआरएफ की तीन टीमों को लगाया गया है, जिसमें 12 सदस्य हैं। ये सभी अंदर जाएंगे। एसडीआरएफ सहायता प्रदान करेगी। मेडिकल प्लान बनाया गया, जिसको लागू किया जाएगा। अंदर हर स्थिति से निपटने के लिए प्लान तैयार किया गया है। मेडिकल टीम को अंदर भेजा जाएगा।
एनडीएमए ने कहा, ‘सभी सुरक्षा सावधानियां लागू की जाएंगी. समय से पहले कोई घोषणा नहीं की जानी चाहिए, यह सभी सिद्धांतों के खिलाफ होगा. हमें उन लोगों की सुरक्षा का भी ध्यान रखना है, जो श्रमिकों को बचा रहे हैं. हम किसी भी तरह की जल्दी में नहीं हैं।
17 दिन बाद सुरंग से खुशखबरी आई है। रैट माइनर्स की टीम ने मैन्युअल ड्रिलिंग पूरी कर दी है। श्रमिकों तक पाइप पहुंच चुका है। पाइप वेल्डिंग किया जा रहा है, जिससे मजदूरों को कोई क्षति न पहुंचे। सुरंग के बाहर एंबुलेंस व डाक्टरों की टीम तैनात है। वहीं, एक एंबुलेंस अंदर भी गई है। श्रमिकों को सुरंग से निकालते ही चिन्यालीसौड़ अस्पताल ले जाया जाएगा।
चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर चिनूक हेलीकॉप्टर तैनात कर दिया गया है। टीम का कहना है कि अगर किसी भी मजदूर की तबीयत खराब लगेगी तो तुरंत एयरलिफ्ट कर अस्पताल भेजा जाएगा।
सिलक्यारा सुरंग से 41 मजदूरों के निकलने का वक्त बहुत करीब आ गया है। उन्हें बाहर निकालने की व्यवस्था कर ली गई है। बाहर एंबुलेंस वाहन खड़े हैं तो अंदर काले चश्मे मजदूरों तक पहुंचा दिए गए हैं। मौके पर मौजूद संवाददाता पल-पल के अपडेट दे रहे हैं। उन्होंने ही ये सब जानकारियां दी हैं। बड़ी और कड़ी मेहनत के बाद सफलता हाथ लगने वाली है। 17 दिन बाद सभी 41 मजदूर सूरज की रोशनी देख पाएंगे जब वो सुरंग से बाहर आएंगे।
मजदूरों तक चश्मा पहुंचाने का मकसद भी यही है कि वो 16 दिन से अंधेरे में रहे हैं जहां रोशनी की एक किरण तक नहीं पहुंची है। घुप अंधेरे में लंबे समय तक रहने के बाद तेज रोशनी में आने पर आंखों पर बुरा असर पड़ सकता है। यहां तक कि आंख की रोशनी जाने की नौबत आ सकती है। यही वजह है कि मजदूरों को अंदर ही काला चश्मा पहना दिया जाएग ताकि वो सुरंग से बाहर निकलें तो उनकी आखें तेज रोशनी की असर में नहीं आ सकें।
ध्यान रहे कि आखों का ऑपरेशन होने के बाद भी डॉक्टर काला चश्मा पहना देते हैं क्योंकि कुछ घंटों तक आंखें रोशनी नहीं देख पाती हैं। ऐसे में अगर ऑपरेशन के बाद अचानक तेज रोशनी में आंखें खुले तो उन्हें नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है। बहरहाल, मजदूरों के जल्द बाहर आने की उम्मीद से पूरे देश में खुशी का माहौल है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी एक्स पर पर पोस्ट के जरिए संदेश दिया है।
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