सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी उत्तराखंड सरकार, 18 हजार शिक्षकों पर असर पड़ा है..


उत्तराखंड में बेसिक और जूनियर हाईस्कूल के 18,000 से अधिक शिक्षकों की पदोन्नति पर फिलहाल ब्रेक लग गया है। इसकी वजह सुप्रीम कोर्ट का वह निर्णय है, जिसमें शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को पदोन्नति के लिए अनिवार्य करार दिया गया है। राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला लिया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षकों की पदोन्नति पर लगी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर 2025 से उन शिक्षकों के लिए टीईटी को अनिवार्य कर दिया है जिनकी सेवानिवृत्ति में पांच वर्ष या उससे अधिक समय बचा है। ऐसे शिक्षकों को आगामी दो वर्षों के भीतर टीईटी उत्तीर्ण करना होगा। यह नियम पुराने और नए सभी शिक्षकों पर समान रूप से लागू किया गया है।
फैसले के लागू होते ही प्रदेश भर के जिला शिक्षा अधिकारियों ने शिक्षा निदेशालय से स्पष्ट दिशा-निर्देश मांगे हैं। जवाब में निदेशालय ने निर्देश जारी करते हुए सभी जिलों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश और राज्य सरकार की स्थिति से अवगत कराने को कहा है।
प्रमोशन को लेकर जिलों से मिल रही हैं लगातार रिपोर्टें
प्रारंभिक शिक्षा निदेशक अजय कुमार नौडियाल ने बताया कि चमोली, टिहरी गढ़वाल और चंपावत समेत कई जिलों से शिक्षकों की पदोन्नति से संबंधित जानकारियां बार-बार मांगी जा रही हैं। वहीं, कई जिलों में शिक्षक संगठनों ने प्रमोशन की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन भी शुरू कर दिए हैं।
शिक्षक संघ की आपत्ति: पुरानी नियुक्तियों पर लागू न हो नया नियम
जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वर्ष 2010-11 से पहले नियुक्त हुए शिक्षकों पर यह नियम लागू नहीं होना चाहिए, क्योंकि उस समय टीईटी की व्यवस्था अस्तित्व में नहीं थी। उन्होंने यह भी मांग की कि जब तक सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला नहीं आता, तब तक शिक्षकों की पदोन्नति की प्रक्रिया पर रोक न लगाई जाए।
राज्य सरकार ने लिया पुनर्विचार याचिका का फैसला
शिक्षकों और शिक्षा विभाग के बीच उत्पन्न इस असमंजस की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का निर्णय लिया है। सरकार का तर्क है कि पुराने शिक्षकों के हितों की रक्षा और शिक्षा व्यवस्था में संतुलन बनाए रखना उसकी प्राथमिकता है।
उत्तराखंड में शिक्षक पदोन्नति को लेकर उपजा विवाद अब कानूनी दायरे में पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला जहां शिक्षक योग्यता को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, वहीं शिक्षक समुदाय इसे अपने अधिकारों का हनन मान रहा है। अब देखना होगा कि पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट क्या रुख अपनाता है और इसका प्रदेश के हजारों शिक्षकों के भविष्य पर क्या असर पड़ता है।


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