हर की पैड़ी पर थी अंतिम उम्मीद_ डूबो कर मारने का आरोप गलत.. जानिये क्या है सच्चाई

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उत्तराखंड के जनपद हरिद्वार में हर की पैड़ी का एक वीडियो वायरल हुआ. इसमें एक महिला बच्चे को पानी में डुबाकर रखे हुए दिखती हैं, उनके साथ दो पुरुष भी हैं. कई मिनट बाद घाट पर मौजूद लोग जबरन बच्चे को बाहर निकालते हैं लेकिन उसमें कोई हरकत नहीं होती है।इस पर लोग बच्चे को डुबोकर मार देने का आरोप लगाते हुए महिला और पुरुष के साथ गाली-गलौच करते हैं और पीटते भी हैं।

एक अन्य वीडियो में महिला बच्चे की लाश के साथ बैठी हुई दिखती है और बेसुध से हाल में हंसते हुए दावा करती हैं कि यह बच्चा अभी उठेगा.हंगामे के बाद पुलिस ने महिला और पुरुष को गिरफ़्तार कर लिया और बच्चे के शव का पोस्टमॉर्टम करवाया गया।

इस पूरे मामले की असल कहानी अब सामने आई है. पुलिस ने कहा है कि प्रथम दृष्टया बच्चे की मौत डूबने के कारण नहीं हुई है।

वीडियो शेयर न करने की चेतावनी

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में लोग बच्चे के माता-पिता पर उसे मारने का आरोप लगाते हुए उन्हें ही कोसते नज़र आते हैं. इन वीडियो के वायरल हो जाने के बाद हरिद्वार के एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार ने एक प्रेस वार्ता कर बच्चे को डुबोकर मारे जाने की बात को गलत बताया है।

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हरिद्वार पुलिस की ओर से जारी प्रेस रिलीज़ के अनुसार, “हर की पैड़ी पर महिला द्वारा बच्चे को डुबोकर मारने की बात गलत है. मामला प्रथम दृष्टया आस्था व “अंतिम उम्मीद” से जुड़ा हुआ है, प्रत्येक बिंदु पर जांच जारी है, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतज़ार है।

बच्चे को ब्लड कैंसर था. उसके बचने की उम्मीद नहीं थी. किसी चमत्कार की उम्मीद में वह हरिद्वार गए थे कि क्या पता मां गंगा के आशीर्वाद से उनका बेटा ठीक हो जाए.

पुलिस के अनुसार “बच्चा ब्लड कैंसर से पीड़ित था और आखिरी स्टेज में होने की वजह से दिल्ली एम्स ने उसे भर्ती करने से मना कर दिया था. इसके बाद आख़िरी उम्मीद के तौर पर बच्चे के माता-पिता उसे हरिद्वार लेकर चले आए।

पुलिस ने कहा कि घटना के बाद शाम पाँच बजे शव का पोस्टमॉर्टम करवाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे के ‘फेफड़ों में पानी नहीं था’ और डूबने से उसकी मौत नहीं हुई है. बच्चे के शरीर में अकड़न थी. हालांकि, अभी आधिकारिक तौर पर रिपोर्ट आने का इंतज़ार है, जिसमें विस्तृत जानकारी मिलेगी।

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पुलिस ने चेतावनी भी दी कि प्रकरण बच्चे से जुड़ा हुआ होने के कारण बेहद संवेदनशील है और हरिद्वार पुलिस प्रत्येक पहलू पर बारीकी से जांच कर रही है. पुलिस ने अपील की है कि बिना तथ्यों के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहे वीडियो को शेयर न किया जाए।

इस मामले से जुड़े रहे एक पुलिस अधिकारी ने प्रेस को बताया कि इस घटना के सामने आने के बाद माता-पिता को थाने लााकर पूछताछ की गई थी और पोस्टमॉर्टम में मौत की वजह डूबना नहीं पाए जाने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया, ताकि वह अपने बच्चे का अंतिम संस्कार कर सकें।

पड़ोसी ने बताया कि घटना वाले दिन सुबह सात बजे बच्चे के मुंहबोले मौसा (पड़ोसी) ने उन्हें हरिद्वार चलने के लिए फ़ोन किया था. सवा नौ बजे वह लोग दिल्ली से निकले थे. बच्चे के साथ उसके माता-पिता और एक मौसी थी. तब बच्चा खरखराहट के साथ सांस ले रहा था।थोड़ी देर बाद बच्चे की सांस की आवाज़ भी आनी बंद हो गई, तो बच्चे की मां ने बोला कि वह सो रहा है।

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उन्होंने बताया कि बच्चे के पिता राज कुमार फूलों का काम करते हैं और पत्नी गृहणी हैं. उनके दो बच्चे हैं. बेटे रवि की मौत हो गई और उससे बड़ी एक बेटी है.वह कहते हैं कि बच्चे को ब्लड कैंसर था और डॉक्टरों ने उसके बचने की उम्मीद छोड़ दी थी. इसके बाद किसी चमत्कार की उम्मीद में वह हरिद्वार गए थे कि क्या पता मां गंगा के आशीर्वाद से उनका बेटा ठीक हो जाए।

मदन राय कहते हैं, “भगवान को कुछ और मंज़ूर था, ग़ाज़ियाबाद पार करते-करते बच्चे के प्राण चले गए थे. यही बात उन्हें डॉक्टर्स ने भी बताई थी.”पोस्टमॉर्टम के बाद परिवार देर रात तक दिल्ली लौट आया था।

मदन राय मीडिया के व्यवहार से बेहद नाराज़ नज़र आते हैं और पूछते हैं, “क्या आप लोग ऐसे ही बिना पुष्टि और जांच-पड़ताल के ख़बरें छाप देते हो. वह बेचारे पहले ही दुखी हैं और ऊपर से न जाने क्या-क्या चला रहे हैं मीडिया में..अफसोस की बात है।

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