छुआछूत के वायरस का घातक चेहरा ..भोजन माता के हाथों बना मिड डे मिल बहिष्कार मामला..अब विभाग ने उठाया यह कदम
उत्तराखंड में चंपावत जिले के सूखीढांग इंटर कालेज में भोजन पकाने को लेकर उपजा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पहले एससी वर्ग की भोजन माता के हाथों बना खाना सवर्ण बच्चों ने बंद कर दिया था। अब इस विवाद में एक नया मोड़ आ गया है। अब सवर्ण भोजन माता के बनाए भोजन का एससी वर्ग के छात्र-छात्राओं ने बहिष्कार शुरू कर दिया है।
उनका कहना है कि ‘जब एससी वर्ग की भोजन माता के हाथों का भोजन सामान्य वर्ग के विद्यार्थी नहीं खा सकते तो वह भी सवर्ण भोजन माता के हाथों का बना भोजन नहीं खाएंगे’। प्रधानाचार्य प्रेम सिंह ने खंड शिक्षा अधिकारी को लिखे पत्र में कहा कि शुक्रवार को राजकीय इंटर कॉलेज सूखीढांग में कक्षा 6 से 8वीं तक के कुल 58 बच्चे पहुंचे। इस बीच जब विद्यालय प्रबंधन ने सभी बच्चों को एमडीएम में भोजन के लिए बुलाया तो एससी वर्ग के बच्चों ने सवर्ण भोजन माता के हाथों बने भोजन को ग्रहण करने से इनकार कर दिया।
बताया जा रहा है कि बच्चों को शिक्षकों ने समझाने की कोशिश की मगर वह अपनी बात पर अड़े रहे और खाने का बहिष्कार किया। प्रधानाचार्य के मुताबिक सभी एससी वर्ग के बच्चों ने सवर्ण भोजन माता के हाथों से बने खाने का विरोध किया है। उन्होंने घर से टिफिन लाने की बात कही है। उन्होंने बताया कि 23 बच्चों ने जो कि एससी वर्ग के हैं, उन्होंने शुक्रवार को स्कूल में एमडीएम का खाना खाने से साफ मना कर दिया है।
इधर, दो दिन पूर्व ही सीईओ आरसी पुरोहित ने जांच के दौरान नियुक्त हुई एससी वर्ग की भोजन माता सुनीता देवी को हटा दिया था और अग्रिम आदेश तक नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। इधर, अब एससी वर्ग के बच्चों के भोजन बहिष्कार के बाद विवाद फिर तूल पकड़ गया है। आपको बता दें कि इससे ठीक एक दिन पहले एक सरकारी माध्यमिक विद्यालय में मध्याह्न भोजन परोसने वाली दलित समुदाय की महिला को उसकी नौकरी से हटा दिया गया क्योंकि ऊंची जाति के छात्रों ने उसके द्वारा पकाया हुआ खाना खाने से इनकार कर दिया था।
इस महीने की शुरुआत में भोजनमाता के रूप में नियुक्ति के एक दिन बाद छात्रों ने महिला की जाति के कारण उनके द्वारा बनाया गया खाना खाना बंद कर दिया और घर से अपना खाना टिफिन बॉक्स में लाना शुरू कर दिया। बताया जाता है कि स्कूल के 66 छात्रों में से 40 ने दलित समुदाय की महिला द्वारा तैयार खाना खाने से मना कर दिया था।
यह मामला सामने आने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुमाऊं के DIG नीलेश आनंद भरने को स्कूल का दौरा करने और घटना की जांच करके दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा है।
पिछले तीन दिनों से चल रहे भोजन माता विवाद में आखिर गाज भोजन माता पर ही गिरी। सवर्ण अभिभावकों के दबाव में बच्चे तीन दिन से भोजन माता के हाथ का बना खाना नहीं खा रहे थे। अधिकांश बच्चे अपने घर से ही टिफिन लेकर स्कूल आये। इधर, घटनाक्रम से दबाव में आए शिक्षा विभाग ने सुनीता की नियुक्ति ही रद कर दी। नई नियुक्ति होने तक सहायक भोजन माता विमला उप्रेती को ही मध्याह्न भोजन बनाने के निर्देश दिए गए हैं।
सामान्य नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितता को जातिगत रंग देने से जिला प्रशासन के साथ ही पूरा शिक्षा विभाग भी दबाव में आ गया। मामला बढ़ता देख मंगलवार को एडी बेसिक अजय नौटियाल, सीईओ आरसी पुरोहित, उपखंड शिक्षा अधिकारी अंशुल बिष्ट जांच के लिए विद्यालय पहुंचे। दोनों पक्षों की बात सुनी। अभिलेखों के निरीक्षण में उन्होंने पाया कि सुनीता की नियुक्ति नियमों के विपरीत हुई है। चार दिसंबर को तैनाती का प्रस्ताव पारित किया गया और 13 को उन्हें नियुक्त कर दिया गया। नियम के अनुसार प्रस्ताव में उपखंड शिक्षाधिकारी व विद्यालय प्रबंधन समिति (एसएमसी) का अनुमोदन नहीं कराया गया।
इसपर मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ) ने सुनीता की नियुक्ति रद कर दी। इसके बाद जनप्रतिनिधियों के साथ अधिकारियों ने खुली बैठक भी की, जिसमें तय हुआ कि अब नए सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया होगी। उसमें सुनीता भी आवेदन कर सकती हैं।
इस समूचे प्रकरण ने उत्तराखण्ड की सतह के भीतर छिपे बैठे जातिवादी चेहरे को उघाड़कर रख दिया. अब शासन-प्रशासन तेजी से मामले के हल करने में जुट गया है.
वर्तमान में सुलह के लिये एसडीम द्वारा एक बैठक बुलाई गयी जिसके अनुसार अब सभी बच्चे एक साथ भोजन करेंगे. नियुक्ति के संबंध में सभी पक्ष डीएम के निर्देश पर गठित तीन सदस्यीय जांच समिति के फैसले को मानेंगे और क्षेत्र में सामाजिक सौहार्द को बिगड़ने नहीं दिया जाएगा.
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