मोदी सरनेम से जुड़े मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गुजरात हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने राहुल गांधी की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है. गुजरात हाईकोर्ट का कहना है कि ट्रायल कोर्ट का राहुल गांधी को दोषी ठहराने का आदेश सही है. इस आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं है, इसलिए आवेदन खारिज किया जाता है. कोर्ट ने आगे कहा, राहुल गांधी के खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक मामले लंबित हैं।
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद राहुल गांधी अब 2024 लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे और न ही संसद सदस्य (सांसद) के रूप में अपनी स्थिति के निलंबन को रद्द करने की मांग कर पाएंगे. हालांकि उनके पास शीर्ष अदालत जाने के विकल्प मौजूद है. कांग्रेस के मुताबिक राहुल गांधी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे।
राहुल गांधी की याचिका पर हाईकोर्ट ने पहले सुनवाई करते हुए कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि वह ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद अंतिम आदेश पारित करेंगे।
मोदी सरनेम केस की टाइमलाइन
2019 से पहले 13 अप्रैल को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी के सरनेम को लेकर कमेंट किया था. गुजरात के बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी की ओर से दायर 2019 मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी ।
इसके बाद 24 मार्च को राहुल गांधी की सदस्यता रद्द हो गई. 25 मार्च को राहुल गांधी ने माफी मांगने से इनकार कर दिया. 27 मार्च को उन्हें सरकारी बंगला छोड़ने का नोटिस मिला. 22 अप्रैल को राहुल गांधी ने बंगला खाली कर दिया. सूरत सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ राहुल गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, मगर राहत नहीं मिली. इसके बाद हाईकोर्ट से अपने फैसले पर पुर्नविचार करने की अपील की थी।
क्या हो सकती है गिरफ्तारी ?
पूर्व संसद सदस्य और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मोदी सरनेम में मानहानि मामले में बड़ा झटका लगा है. गुजरात हाईकोर्ट ने सजा पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी और इससे राहुल गांधी के 2024 चुनाव ना लड़ पाने का खतरा बढ़ गया है. राहुल गांधी की गिरफ्तारी को लेकर भी सवाल उठाया जा रहा है।
गुजरात हाईकोर्ट की तरफ से राहुल गांधी की याचिका खारिज होने के बाद गिरफ्तारी का खतरा क्या उन पर मंडरा रहा है, यह आम सवाल है जो अभी पूछा जा रहा है. हालांकि देखें तो यह फैसला कोई बहुत ज्यादा राहुल गांधी के खिलाफ नहीं है. जो पेटीशन दाखिल किया है, वह सिंगल जज की बेंच ने खारिज किया है. राहुल गांधी के पास डबल बेंच और खंडपीठ में जाने का रास्ता है. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट भी जाने का रास्ता खुला है. तो, अभी नहीं कह सकते कि उनकी गिरफ्तारी का खतरा बढ़ गया है, या फिर चुनाव लड़ने पर रोक लग गयी है. अभी बहुत रास्ते राहुल गांधी के लिए खुले हैं।
देखिए, दो चीजें होती हैं- कन्विक्शन यानी दोषसिद्धि और सजा. तो, राहुल गांधी को अपने कन्विक्शन को भी हटवाना होगा, तभी चुनाव लड़ने के काबिल होंगे. तो, गिरफ्तारी वगैरह बाद की बात है, अभी तो कन्विक्शन हटवाना प्राथमिक मामला है. हां, गिरफ्तारी की तलवार नहीं लटकी है, क्योंकि राहुल गांधी पहले से ही बेल पर हैं, उसी मामले में. दो साल की उनकी सजा है और उसके लिए तो बेल मिल ही जाती है, तो यही सीन आगे भी कंटीन्यू रहेगा।
गले की हड्डी बना एक पुराना फैसला
सूरत कोर्ट ने जो फैसला दिया था, वो सिर्फ मैजिस्ट्रेट कोर्ट का फैसला था जिसकी वजह से ये डिस-क्वालिफाई हो गए. फिर, इन्होंने सेशंस कोर्ट में उसको चुनौती दी, सेशंस कोर्ट ने उस फैसले को बरकरार रखा और अब हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने भी उस फैसले पर कुछ राहत नहीं दी. तो, वह वजह जानना बेहद जरूरी है कि राहुल को राहत क्यों नहीं मिल रही है?
वह वजह है कि 2018 में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट ने यह ताकीद की थी कि वह अपनी भाषा पर संयम रखें, अपने शब्दों का चयन सोच-समझकर करें. सुप्रीम कोर्ट ने यह व्यवस्था तब दी थी, जब रफायल के बारे में उन्होंने प्रधानमंत्री को अपशब्द कहे थे. वह मामला सुप्रीम कोर्ट ने सुना और राहलु गांधी ने तब माफी मांगी थी. एक बार फिर उन्होंने पीएम को अपशब्द कहे हैं. तो, लोअर कोर्ट ने भी सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को उद्धृत किया औऱ कहा कि तब भी राहुल ने यही किया था, तो हम तो केवल उसी आदेश की तरफ जा रहे हैं. तो, वही वजह राहुल के खिलाफ जा रही है. गुजरात हाईकोर्ट ने भी फैसले में यही कहा है कि निचली अदालत का फैसला सही है और तथ्यों के आलोक में है.
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