ऑपरेशन टनल : सुरंग में फंसे 41 मज़दूर,प्लाज़्मा कटर से निकलेगी आगर – अब ये विकल्प..

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उत्तरकाशी के सिलक्यारा में सुरंग के अंदर मजदूरों को फंसे हुए 14 दिनों का वक्त गुजर चुका है। लेकिन उन 41 मजदूरों की जिंदगी के लिए जद्दोजहद अभी तक जारी है।सिलक्यारा टनल ऑपरेशन में बचाव दल के सामने एक और बड़ी मुश्किल आ गई है. ड्रिलिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ऑगर मशीन से काम नहीं बना. अब मलबे को काटने के लिए जल्द ही मैनुअल ड्रीलिंग की जाएगी। दरअसल ड्रिलिंग के दौरान ऑगर मशीन के ब्लेड सरियों में उलझकर फंस गए। अब मशीन के हिस्से को निकालने के लिए हैदराबाद से मशीन लाई जा रही है।


सिल्क्यारा सुरंग बचाव अभियान में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अच्छी खबर यह है कि अंदर फंसे 41 मजदूर ठीक हैं। उनके पास सभी चीजें जा रही हैं। मजदूरों के परिजन भी आ गए हैं, मजदूरों ने अपने परिजनों से बात भी की है। जहां तक बचाव अभियान का सवाल है, कुछ समस्याएं हैं जिनका हम सामना कर रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि ऑगर मशीन में क्षति हुई है और इसका कुछ हिस्सा बाहर नहीं आया है। ऑगर मशीन के उस हिस्से को बाहर लाने के लिए उन्नत मशीनरी की आवश्यकता है, जिसे भारतीय वायु सेना द्वारा हवाई मार्ग से लाया जा रहा है। यह जल्द ही सुरंग स्थल पर पहुंच जाएगा।


दरअसल ड्रिलिंग के दौरान सरियों का जाल मशीन के सामने आ गया जिसकी वजह से ऑगर मशीन के ब्लेड सरियों के जाल में फंस गए। ऑगर मशीन का अगला हिस्सा लोहे के पाइप के आखिरी मुहाने पर बुरी तरह फंस गया है। इस मशीन के ऑपरेशन में अब तक किए सबसे बड़ी मुश्किल है। ऑगर मशीन के ब्लड को वहां से निकलना बेहद मुश्किल हो रहा है और फिलहाल एजेंसियों के पास कोई रास्ता नहीं है कि जाल को काटकर मशीन को पीछे लाया जाए।


मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी आज फिर सिल्‍क्‍यारा सुरंग के बाहर बचाव कार्य का जायजा लेने पहुंचे। उन्‍होंने बताया कि ऑगर मशीन की 25 मीटर ब्‍लेड अभी और निकालनी है। कल सुबह तक सुरंग से मशीन बाहर निकाल ली जाएगी। ऑगर मशीन को काटने के लिए हैदराबाद से प्‍लाज्‍मा मशीन मंगवाई गई है। मेरी आज भी कुछ मजदूरों से बातचीत हुई है। सभी स्‍वस्‍थ हैं। केंद्र और राज्‍य सरकार अपना पूरा प्रयास कर रही है।

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क्या है मैनुअल ड्रिलिंग?

इंडिया टुडे से जुड़े आशुतोष मिश्रा की रिपोर्ट के मुताबिक़, 24 नवंबर की शाम को ड्रिलिंग के दौरान सरियों का जाल सामने आ गया. ऑगर मशीन के ब्लेड सरियों के जाल में फंस गए थे. इसीलिए अब मैनुअल ड्रिलिंग करने का फ़ैसला किया गया है।

मैनुअल ड्रिलिंग माने आदमी के हाथ का काम. मलबा हटाने का काम पूरी तरह इंसानो पर निर्भर होगा. ड्रिलर्स छोटे-छोटे औजारों या मशीनों के ज़रिए खुदाई का काम करते हैं।

क्यों हो रही है देरी?

बीते 12 नवंबर को उत्तराखंड की निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था. तब से ही वहां बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के 41 मजदूर फंसे हुए हैं. दो हफ़्ते से लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने ANI को बताया कि ऑगर मशीन से ड्रिलिंग करते समय अगर हर दो से तीन फीट पर कोई रुकावट आती है, तो उसे हटाना पड़ता है. और जब भी कोई नई रुकावट आती है, तो मशीन को पाइपलाइन से 50 मीटर पीछे खींचना पड़ता है. इसमें करीब 5 से 7 घंटे का समय लगता है. इस वजह से बचाल कार्य में इतना समय लग रहा है. हालांकि, अफ़सरों ने ये नहीं बताया कि अभी और कितनी समय लगेगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू होने के बाद अच्छे नतीजे आ सकते हैं.

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इससे पहले, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण NDMA के मेंबर रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने एक प्रेस कॉन्फेरेंस की थी. कहा था कि ऑपरेशन एक युद्ध की तरह है. इस तरह के ऑपरेशनों को टाइमलाइन नहीं दी जानी चाहिए. इससे टीम पर भी प्रेशर बनता है. युद्ध में हम नहीं जानते कि दुश्मन कैसे प्रतिक्रिया देगा. यहां हिमालय का भूविज्ञान हमारा दुश्मन है. सुरंग किस एंगल से गिरी है, कोई नहीं जानता।

इस बीच, पारसन ओवरसीज़ प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली की टीम ने सुरंग की जांच करने के लिए ग्राउंड-पेनिट्रेटिंग रडार (GPR) तकनीक का भी प्रयोग किया. ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार को जीपीआर, जियो-राडार, सब-सर्फेस इंटरफेस रडार या जियो-प्रोबिंग रडार भी कहते हैं. इसका इस्तेमाल ज़मीन के नीचे दबी चीज़ों की लोकेशन और गहराई का पता लगाने के लिए किया जाता है।

इस बीच भारतीय मौसम विभाग IMD ने उत्तराखंड के लिए येलो अलर्ट जारी किया है. विभाग ने सोमवार को भारी बारिश के साथ बर्फबारी की चेतावनी दी है, जिसकी वजह से बचाव अभियान में और मुश्किलें आ सकती हैं. चलिए हम आपको 10 प्वाइंट्स में बताते हैं कि बचाव अभियान में अब तक क्या हुआ है और कौन कौन सी चुनौतियां मजदूरों को निकालने की राह में अभी भी खड़ी हैं.

एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक ऑगर मशीन के ब्लेड मलबे में फंसने से काम बाधित होने के बाद दूसरे विकल्पों पर विचार किए जा रहा है. इस बीच शनिवार को अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई कि श्रमिक अगले महीने क्रिसमस तक बाहर आ जाएंगे. शुक्रवार को लगभग पूरे दिन ‘ड्रिलिंग’ का काम बाधित रहा, हालांकि समस्या की गंभीरता का पता शनिवार को चला जब सुरंग मामलों के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने संवाददाताओं को बताया कि ऑगर मशीन ‘‘खराब’’ हो गई है।

मौसम विभाग ने बर्फबारी को लेकर येलो अलर्ट जारी किया है. मौसम विभाग ने उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा के ऊपरी इलाकों में भारी बारिश के साथ-साथ बर्फबारी की संभावना व्यक्त की है. सिलक्यारा, बड़कोट उत्तरकाशी के वो इलाके हैं जहां भारी बर्फबारी होती है. पहाड़ी मिट्टी होने की वजह से बारिश के बाद हल्की होकर और धंसने लगती है. असल में सुरंग के अंदर डाली गई पाइप जिस सहारे पर टिकी है और यहां रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे लोगों की सुरक्षा बड़ी चुनौती होगी. अगर मौसम विभाग की चेतावनी के हिसाब से यहां बर्फबारी होती है तो निश्चित तौर पर रेस्क्यू ऑपरेशन प्रभावित होगा. बर्फबारी के बाद बिजली की दिक्कत पैदा हो सकती है. साथ ही ठंड बढ़ने के कारण सुरंग में मजदूरों को भी दिक्कतें होंगी और बचाव अभियान में लगे लोगों को भी।

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बचाव अभियान के 14वें दिन शनिवार से ही अधिकारियों ने दो विकल्पों पर ध्यान केंद्रित किया है. मलबे के शेष 10 या 12 मीटर हिस्से में हाथ से ‘ड्रिलिंग’ या ऊपर की ओर से 86 मीटर नीचे ‘ड्रिलिंग’. वहीं, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने दिल्ली में पत्रकारों से कहा, ‘‘इस अभियान में लंबा समय लग सकता है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुसार, जिस पाइप के अंदर घुसकर मैनुअल ड्रिलिंग की जानी है उसमें पहले से उपकरण डाला गया है जिसे निकाला जा रहा है. उसके बाहर आते ही हाथ से ड्रिलिंग शुरू होगी जो काफी मेहनत भरी और टाइम टेकिंग प्रक्रिया है. वर्टिकल ‘ड्रिलिंग’ के लिए भारी उपकरणों को शनिवार को 1.5 किलोमीटर की पहाड़ी सड़क पर ले जाया गया. इस मार्ग को सीमा सड़क संगठन द्वारा कुछ ही दिनों में तैयार किया गया है।

PM नरेन्द्र मोदी निर्माणाधीन सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए राज्य में शुरू किए गए बचाव अभियान के बारे में हर रोज जानकारी ले रहे हैं. ऑगर मशीन से काम बाधित होने के बाद फंसे हुए श्रमिकों के परिजनों की चिंता बढ़ती जा रही है. आपदा स्थल के आस-पास ठहरे हुए परिजन यहां स्थापित की गई कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी के जरिये अकसर श्रमिकों से बात करते करते हैं।


मज़दूरों को छह इंच चौड़े पाइप के जरिए खाना, दवाइयां और अन्य जरूरी चीजें भेजी जा रही हैं. पाइप का उपयोग करके एक कम्युनिकेशन सिस्टम स्थापित किया गया है. इसके जरिए मजदूरों के परिजनों को साथ ही NDRF के चिकित्सकों की टीम भी लगातार बात कर रही है।

चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर दिवाली के दिन को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे.  तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं, लेकिन अभी तक एक भी मजदूर को बाहर नहीं निकाला जा सका है.

सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों की मानसिक चिकित्सा को ध्यान में रखते हुए उनका स्ट्रेस कम करने के लिए बचाव एजेंसियों ने अंदर लूडो और प्लेयिंग कार्ड्स भेजा है. इनसे मजदूर खेलकर थोड़े रिलैक्स हो पा रहे हैं. इन श्रमिकों के बाहर निकलने पर इन्हें पास के अस्पताल में ले जाया जाएगा जहां 41 बेड सुरक्षित रखे गए हैं. बचावस्थल पर 41 एंबुलेंस पहले से तैयार हैं और मुख्यमंत्री धामी यहां अस्थाई कैम्प बनाकर लगातार बचाव अभियान की निगरानी कर रहे हैं।

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