उत्तराखण्ड के विश्व प्रसिद्ध नैनीताल के समीप आजादी के 71 वर्ष बाद आज भी ग्रामीण अपने बीमारों, बुजुर्गों, गर्भवतियों और नवजातों को डोलियों में ले जाते हैं। ये ग्रामीण, अब टेक्नॉलिजी का फायदा उठाकर, मोबाइल से वीडियो बनाकर राज्य सरकार तक अपनी समस्या पहुंचाना चाहते हैं।
नैनीताल से कालाढूंगी होते हुए देहरादून जाने वाले राजकीय राजमार्ग में महज 17 किलोमीटर दूर मंगोली गांव बसा है। इसके समीप ही भेवा गांव है जहां के मान सिंह ने अपनी समस्याओं को दर्शाते हुए एक वीडियो बनाकर पत्रकारों को भेजा है। साथ ही इन्होंने सोशियल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर भी गांव की पखडण्डी वाले उबड़ खाबड़ रास्ते को दर्शाया है।
उन्होंने इन वीडियो के माध्यम से उत्तराखंड सरकार से आगे अपने गांव के दुख को रखा है। उनका कहना है कि गांव का एकमात्र पैदल पखडण्डी मार्ग है जिसे सरकार अपने संसाधनों से मोटर मार्ग बनाए। सड़क होने के बाद गांव वालो की काफ़ी हद तक परेशानियां खत्म हो जाएंगी। उन्होंने बताया है कि मुख्य मार्ग(राज.राजमार्ग)से उनका गांव 3 किमी नीचे की तरफ है।
ये पूरा रास्ता जंगल से होते हुए गुजरता है और यहां जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता है। इस रास्ते में स्कूल आने जाने वाले बच्चों, बुजुर्गों, बीमारों, गर्भवतियों और नवजातों समेत रोजमर्रा के सामान को लाने और ले जाने में दिखकतें आती हैं। गांव के युवाओं को असहाय जरूरतमंदों को कुर्सी या चारपाई पर रखकर सफर करना पड़ता है। यहां तक बीमार मवेशियों को भी डंडों की डोली बनाकर ले जाना पड़ता है।
अब ये ग्रामीण राहत के लिए आस लगाकर सरकार की तरफ देख रहे हैं। पहाड़ी राज्य की स्थापना के बाद, 24 वर्षों में 6 बार चुनी गई अलग अलग सरकार को अबतक मंगोली गांव का ये दर्द नहीं दिख सका है।
लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -
GKM News is a reliable digital medium of latest news updates of Uttarakhand. Contact us to broadcast your thoughts or a news from your area. Email: [email protected]