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चंद्रयान3 की सफल लैंडिंग में सहयोग देने वाले वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक महेंद्र पाल सिंह ने इसरो जॉइन करने से पहले नैनीताल के पॉलिटेक्निक कॉलेज से अपना कोर्स पूरा किया। महेंद्र के बचपन के मित्र गणेश उपाध्याय ने बताया कि वो 1987 में इसरो से जुड़े थे और चंद्रयान3 की टीम में असेंबली इंटीग्रेशन और परीक्षण के लिए मैकेनिकल क्वालिटी एश्योरेंस टीम के प्रमुख थे। महेंद्र पाल सिंह ने डा.उपाधयक को फोन पर बताया कि वो नैनीताल के पॉलिटेक्निक कॉलेज का दौरा करने के इच्छुक हैं।
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पूर्व दर्जा राज्यमंत्री डॉ.गणेश उपाध्याय ने बताया की यू.आर.राव सैटेलाइट सेंटर (यू.आर.एस.सी.)बेंगलुरु के क्वालिटी एश्योरेंस ग्रुप में कार्यरत उनके बचपन के मित्र और वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक महेंद्र पाल सिंह को मिशन चन्द्रयान3 में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का मौका मिला।
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चंद्रयान की सफलता पर उन्होंने महेंद्र को फोन कर बधाई दी। डा.उपाध्याय ने बताया कि उनके मित्र महेंद्र पाल सिंह यू.एस.नगर जिले में काशीपुर के करनपुर के रहने वाले हैं। वर्ष 1965 में जन्मे महेंद्र ने अपनी प्राथमिक और बेसिक शिक्षा यू एस नगर से पूरी की। महेंद्र, आगे की पढ़ाई के लिए थोड़े समय तक बी.एस.वी.इंटर कॉलेज जसपुर में रहे।
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महेंद्र का देशसेवा का मकसद अभी बांकी था, जिसके लिए उन्होंने नैनीताल के अग्रणी पॉलिटेक्निक कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के लिए 1982 में एडमिशन लिया। वर्ष1985 में नैनीताल में अपना कोर्स पूरा करने के बाद वह अपने चचेरे भाई कृपाल सिंह कालरा के साथ लुधियाना चले गए जहाँ उन्होंने एक निजी कंपनी में एक साल तक काम किया।
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महेंद्र अगस्त 1987 में बैंगलोर में इसरो में शामिल हुए।वह चंद्रयान-3 के असेंबली इंटीग्रेशन और परीक्षण के लिए मैकेनिकल क्वालिटी एश्योरेंस टीम के प्रमुख थे।
इसरो ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 विक्रम लैंडर की सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कराकर भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बनाकर 140 करोड़ भारतीयों का सीना गर्व और खुशी से चौड़ा कर दिया है।
महेंद्र पाल सिंह, मार्स ऑर्बिटर मिशन(मंगलयान), चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 की टीमों का भी हिस्सा थे। वह प्रतिष्ठित मार्स ऑर्बिटर मिशन, INSAT-3D और EMISAT के प्रोजेक्ट मैनेजर थे।
उन्होंने चंद्रयान-1, 2 और 3 और दो विदेशी उपग्रहों सहित लगभग 100 संचार, रिमोट सेंसिंग, उन्नत मौसम विज्ञान और वैज्ञानिक उपग्रहों पर काम किया है। वह उन्नत मौसम विज्ञान पेलोड के लिए क्रायोजेनिक पैसिव रेडिएंट कूलर के डिजाइन और कार्यान्वयन के लिए इसरो टीम उत्कृष्टता पुरस्कार के प्राप्तकर्ता हैं।और मंगल ऑर्बिटर मिशन के लिए उनके योगदान के लिए प्रशंसा प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ।
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महेंद्र पाल सिंह ने डा.उपाध्याय को फोन पर बताया कि वो मैकेनिकल इंजीनियरिंग कराने वाले अपने नैनीताल के पॉलिटेक्निक कॉलेज का दौरा करने के इच्छुक हैं।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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