अपनों के सितम से सताए बुजुर्गों की ख़िदमत में नई इबारत लिखता आश्रय सेवा समिति का वृद्धा आश्रम..

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हल्द्वानी शहर के दमूवांढूगा चौपला चौराहा स्थित जवाहर ज्योति में आश्रय सेवा समिति द्वारा संचालित वृद्धा आश्रम अपनों के सितम से सताए गए वृद्धाओं के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है सुबह बिस्तर में दूध के नाश्ते से लेकर दोपहर में हरी सब्जी और रात को दाल चावल सहित मिष्ठान यहां खाने में दिया जाता है अपने के दिए गए दर्द से तंग आकर उक्त आश्रम में करीब दो दर्जन से अधिक वृद्धा अपने जीवन ज्ञापन कर रहे है।


यहां सुंदर भवन, उसके अंदर दो दर्जन से अधिक वृद्ध महिला-पुरुष, उनके रहने से खाने-पीने और दवा तक का बेहतर इंतजाम है इस आश्रम में जहां रहने वाले वृद्धों का कोई अपना नहीं है, लेकिन गैरों के हाथों से जीवन के आखिरी पड़ाव पर सहानुभूति और देखभाल का जो मरहम लग रह रहा है वो उन्हें अपनों के फर्ज जैसा ही लग रहा है।


बताते चलें कि हल्द्वानी शहर की आबादी से करीब दो किलो मीटर पहाड़ों के नजदीक दमूवांढूगा चौपला चौराहा स्थित जवाहर ज्योति गांव में इस आश्रम का नाम गुरु आश्रय सेवा समिति वृद्धआश्रम परिवार है यहां तीन मंजिला इस सुंदर भवन में 6 हाल बने हैं जिनमें 16 वृद्ध महिलाओं तो 9 वृद्ध पुरुष है यह सभी वो हैं जिनका अच्छा समय गुजर गया और जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंचे तो उन्हें उनके अपनों ने छोड़ दिया यहां रहने के साथ-साथ सभी तरह की सुविधाएं मिल रही हैं खाने को तीनों टाइम चाय-नाश्ता, भोजन उनकी आवश्यकता के हिसाब से दिया जाता है चलने-फिरने में असमर्थ वृद्धों के लिए ट्राइसाइकिल का इंतजाम है साथ ही चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध है।


यहां आश्रय सेवा समिति संस्था द्वारा वृद्ध आश्रम पिछले करीब सात साल से संचालित हैं यह भवन रातों-रात भव्य बनकर खड़ा नहीं हो गया शुरुआत में यह दो पलंग वाले भवन में चालू किया गया था लेकिन बाद में इसे विस्तृत रूप दिया जाता रहा वर्तमान में यहां भवन दो दर्जन से अधिक वृद्ध महिला-पुरुषों की सेवा के काम आ रहा हैं इस सराहनीय सेवा का कार्य आश्रय सेवा समिति के संस्थापक प्रकाश डिमरी कर रहे हैं जो खुद इसी भवन की तीसरी मंजिल पर निवास कर रहे हैं जिसमें आश्रम चल रहा है ।

करीब 45 वर्षीय प्रकाश डिमरी छात्र जीवन से ही वृक्ष और वृद्ध व्यक्तियों के लिए काम करते आ रहे हैं उनकी संस्था द्वारा पिछले कुछ सालों से काठगोदाम स्थित रानीबाग चित्रशिला घाट पर आने वाले मृतकों के परिवार के सदस्यों को निशुल्क वृक्ष वितरित किया जाता है जो वृक्षों को ले जा कर अपने घरों में लगाते हैं इसे मरने वाले के पर नाम लगाया जाता है इस काम की हर कोई तरीफ कर रहा है।

इधर आश्रम की देखभाल कर रहे मैनेजर यतेंन्द्र सिंह बिष्ट बताते है कि आश्रम पर रहने वाले वृद्धों की सेवा को यहां 10 से अधिक लोगों का स्टाफ हर समय रहता है जो उनके खाने-पीने से लेकर हर तरह की सुविधा का पूरा ध्यान रखता है करीब तीन मंजिला वाले आश्रम परिसर के पास ही गो-शाला भी खोल रखी है, जिसमें आधा दर्जन से अधिक गायें तथा बकरियों का पालन किया जाता है उनके दूध से ही आश्रम की आवश्यकता पूरी की जाती है बाकी जिम्मेदारी उनकी संस्था आश्रय सेवा समिति ने ले रखी है जिसमें बतौर मैनेजर वह देखभाल कर रहे हैं ।

उन्होंने कहा कि क्षेत्र के समाजसेवियों द्वारा भी आश्रम की समय समय पर मदद की जातीं हैं साथ ही हर सप्ताह में चिकित्सा शिविर भी लगाया जाता हैं उन्होंने कहा कि वह खुश नसीब है, जिसे अपने माता-पिता के साथ दूसरों की भी सेवा करने का भी अवसर मिला है वह पिछले सात साल से आश्रम की सेवा में लगे हैं यहां रहकर उन्हें सभी से लगाव हो गया है यहां रहने वाले वृद्ध भी उन्हे अपना समझते है उन्होंने कहा कि यहां रहने वाले अधिकांश लोग वृद्ध है उन्होंने कहा कि इसमें तीन लोग जो दिमाग से थोड़े कमजोर है जिन्हें हल्द्वानी पुलिस द्वारा सन् 2019 यहां लाया गया था जिनकी सेवा भी स्टाफ द्वारा कि जाती है उन्होंने सरकार से भी आश्रम में मदद की गुहार लगाई है।

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