यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले की जांच अभी जारी है इस बीच विधानसभा में बैक डोर से हुई भर्तियों के मामले ने भी तूल पकड़ लिया है। भले ही मुख्यमंत्री धामी द्वारा सभी भर्तियों की जांच की बात कही जा रही हो लेकिन राज्य गठन 2001 से लेकर अब तक हुई तमाम भर्तियों में भाजपा और कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेताओं व मंत्रियों के सगे संबंधियों को बैक डोर से दी गई इन नौकरियों की निष्पक्ष जांच हो सकेगी यह सवाल अभी भी सबसे अहम बना हुआ है।
उत्तराखंड विधानसभा में मंत्री और नेताओं ने अपनों को रेवड़ियों की तरह नियुक्तियां बांट दी। उत्तराखंड में बेरोजगार युवाओं को सरकारी सिस्टम चिढ़ा रहा है। जहां कभी पेपर लीक मामला तो कभी नियमों के खिलाफ नियुक्तियों में युवाओं के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं।
उत्तराखंड विधानसभा में भर्ती के लिए बनी नियमावली उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय सेवा (भर्ती तथा सेवा की शर्तें) नियमावली 2011 को दरकिनार कर नियुक्तियां की गई।
वर्तमान सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद पर सवाल उठ रहे हैं कि उनके कार्यकाल में विधान सभा में 129 नियुक्तियां की गई। इसमें से कुछ विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से ठीक पहले की गई। वहीं पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में आचार संहिता से पहले गुपचुप तरीके से 158 लोगों को विधानसभा में तदर्थ नियुक्ति दी गई।
हां मैंने कीं हैं नियुक्तियां :- अग्रवाल
उत्तराखंड विधानसभा में मनमानी भर्तियों को लेकर मीडिया द्वारा पूछे गए सवाल पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वर्तमान सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल भड़क गए थे। पूर्व स्पीकर प्रेम चंद अग्रवाल ने बेहद आक्रामक और चुनौती भरे अंदाज में कहा कि हां मैंने तीन प्रमोशन देकर डिप्टी सेक्रेटरी को विधानसभा का सचिव बनाया है। विधानसभा में तो पहले भी इसी तरह से नियुक्तियां होती रही हैं। मौजूदा कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल 2017 से 2022 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं।
इस दौरान हुई 73 से अधिक तदर्थ नियुक्तियों व ब्लैक लिस्टेड कंपनी आरएमआरएस द्वारा सीधी भर्ती के 33 पदों को लेकर घमासान मचा हुआ है। अब ये मांग हो रही है कि राज्य गठन के बाद से अब तक हुईं सभी नियुक्तियों की जांच कराई जाए। मीडिया में यह मामला छाया हुआ है। शनिवार को मीडिया ने धामी सरकार के वित्त मंत्री व पूर्व स्पीकर प्रेम चंद अग्रवाल से इस मुद्दे पर सवाल किए। प्रेम का जवाब देने का अंदाज बेहद आक्रामक और चुनौतीभरा था। उन्होंने कहा कि हां मैंने नियुक्तियां कीं हैं। पहले भी ऐसे ही नियुक्तियां होती रही है। सियासी लोगों के चहेते की नियुक्तियों पर कहा कि हां यह भी हुआ है। वे परिधि में आ रहे थे। ऐसा क्यों के सवाल पर कहा कि गैरसैंण में मैनपावर की जरूरत थी। लिहाजा टेंपरेरी अरेजमेंट के तहत ऐसा किया गया है। वे इस सवाल पर भड़क गए कि आखिर क्या वजह रही कि इन लोगों को वेतन के लिए पैसा आपके वित्त मंत्री बनने के बाद ही रिलीज किया गया।
पूर्व स्पीकर से यह भी पूछा गया कि एक जूनियर अफसर को कई लोगों की वरिष्ठता को नजर अंदाज करके सीधे सचिव क्यों बनाया गया। इस पर प्रेमचंद अग्रवाल ने फिर उसी अंदाज में कहा कि हां मैंने उसे तीन प्रमोशन देकर सचिव बनाया है। नियमों के तहत प्रमोशन में उन्होंने शिथिलता दी है। इसमें कहीं कोई अनियमितता नहीं हैं।
CM धामी ने अवैध नियुक्तियों पर जांच की बात कही
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष से बात कर मामले की जांच करने का अनुरोध करने की बात कही है। आरोप है कि मुख्यमंत्री आवास से लेकर मंत्रियों और संघ से जुड़े लोगों के करीबियों को विधानसभा में नियुक्ति दी गई थी। दरअसल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अब विधानसभा में हुई नियुक्तियों की जांच करवाने की बात कह दी है। इस दौरान सीएम धामी ने कहा कि क्योंकि विधानसभा एक संवैधानिक संस्था है। लिहाजा वे विधानसभा अध्यक्ष से इस मामले में बात करेंगे और सरकार इसको लेकर होने वाली जांच में पूरा सहयोग करेगी। हालांकि, न केवल बीजेपी सरकार के दौरान हुई भर्तियों बल्कि पुरानी भर्तियों की भी सरकार जांच करवाने के मूड में है।
संयुक्त नागरिक संगठन ने इस मामले में सीएम धामी को एक चिट्ठी लिखकर भर्तियों में हुए इस भ्रष्टाचार के ट्विन टावर को सीबीआई की जांच के बारूद से ढहाने की मांग की है।
संयुक्त नागरिक संगठन के सचिव सुशील त्यागी ने मुख्यमंत्री धामी को जो पत्र लिखा है उसमें कहा गया है कि यूकेएसएसएससी के माध्यम से हुई भर्तियों व अन्य आउटसोर्स एजेंसियों के द्वारा हुई भर्तियों के बारे में एसटीएफ की व अन्य जांचों से यह स्पष्ट हो चुका है कि राज्य गठन से लेकर अब तक सरकारी नौकरियों के लिए जो भी भर्तियां हुई है उनमें व्यापक स्तर का भ्रष्टाचार और अनियमितताएं हुई है और इनकी जांच जरूरी है। पत्र में कहा गया है कि भर्तियों में भ्रष्टाचार के इस ट्विन टावर को तोड़ने के लिए इनकी जांच सीबीआई से कराई जाए तभी दूध का दूध और पानी का पानी हो सकेगा।
यहां यह उल्लेखनीय है कि राज्य गठन से लेकर अब तक राज्य में सरकारी नौकरियों में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार और अनियमितता हुई है। सूबे में सत्ता भले ही किसी भी दल की रही हो लेकिन नौकरियों की लूटपाट व नौकरियां बेचे जाने का धंधा लगातार जारी रहा है। अब सोशल मीडिया पर 2001 से लेकर अब तक विधानसभा में हुई भर्तियों की सूची वायरल हो रही है जिसमें भगत सिंह कोश्यारी से लेकर हरीश रावत व यशपाल आर्य से लेकर अजय भटृ और महेंद्र भटृ तथा गोविंद सिंह कुंजवाल, मुन्ना सिंह चौहान, सुबोध उनियाल, अनुसूया प्रसाद मैखुरी, धन सिंह रावत, रेखा आर्य, नरेश बंसल, निर्वाचन अधिकारी मस्तु राम और संघ नेताओं के रिश्तेदारों व सगे संबंधियों तक को नौकरी दिए जाने का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। हैरान करने वाली बात यह है कि नेताओं द्वारा बड़ी बेशर्मी के साथ अभी इन नियुक्तियों को सही ठहराये जाने की कोशिशें की जा रही है और एक दूसरे को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है।
कांग्रेस (Congress) महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ 4 सितंबर को दिल्ली में केंद्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोल रैली करेगी. रैली को सफल बनाने की रणनीति को लेकर आज़ कांग्रेस ने हल्द्वानी के स्वराज़ आश्रम में एक बैठक की जिसमें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य हल्द्वानी से विधायक सुमित ह्रदेश, कुमाऊं मंडल के पदाधिकारी मौजूद रहे. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि उत्तराखंड से लगभग 10-15 हज़ार कांग्रेस कार्यकर्ता इस रैली में शामिल होने दिल्ली जाएंगे. उन्होंने कहा कि देश में जिस हिसाब से महंगाई बढ़ती जा रही है और हर जगह भ्रष्टाचार का बोलबाला है इसको लेकर कांग्रेस केंद्र सरकार के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन करने जा रही है.
भर्ती में परिवारवाद से जुड़ी लिस्ट जारी करेंगे माहरा
प्रदेश में हुए भर्ती घोटाले पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि उत्तराखंड आज भ्रष्टाचार के हब के रूप में देश के सामने आ रहा है. प्रदेश में जितने भी घोटाले हुए है चाहे उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) भर्ती घोटाला हो या 2016 या 2021 का घोटाला हो, कांग्रेस उन सभी की जांच की मांग कर रही है. गोविंद सिंह कुंजवाल के विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए भर्ती पर हाई कोर्ट का जो निर्णय है उस पर कहा गया है जो भर्ती की जाए वह अस्थायी की जाए, अगर कोई भी नियम के खिलाफ भर्ती हुई हो चाहे वह कांग्रेस का हो या किसी अन्य दल का, उस पर कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि भर्ती के मामले में परिवारवाद सामने आ गया है. 200 लोगों की लिस्ट जल्द जारी करेंगे.
गले तक भ्रष्टाचार में डूबा UKSSSC – यशपाल आर्य
वही नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा, ‘जब-जब परीक्षाएं हुई हैं. उन सब की जांच होनी चाहिए. उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भ्रष्टाचार के मामले में गले तक डूबा हुआ है जो ब्लैक लिस्ट कंपनी है उसको अधीनस्थ चयन आयोग द्वारा परीक्षा कराने की जिम्मेदारी दी गई है. उन सब की जांच उच्च न्यायालय के देखरेख में होनी चाहिए क्योंकि मैं भी विधानसभा का अध्यक्ष रह चुका हूं इसलिए उच्च न्यायालय की देखरेख में ही जांच जरूरी है.’
भाजपा ने पार्टी के नेताओं को जारी किया यह फरमान
प्रदेश भर में भर्ती घोटाले को लेकर चल रही बयानबाजी पर कांग्रेस की भाजपा सरकार को खेलते हुए नजर आ रही हो लेकिन भाजपा ने अपनी सरकार को बचाने के लिए आप नया कदम उठाया है। भाजपा प्रदेश संगठन ने बयानबाजी पर विराम लगाते हुए पार्टी नेताओं को सख्त दिशा निर्देश जारी किए हैं जिसमें खासतौर पर विधायकों को घोटाले से संबंधित विषय पर बयानबाजी न करने की हिदायत दी गई है।
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने कहा कि दिशा निर्देश के अनुरूप जिन प्रदेश प्रवक्ता और मीडिया पैनलिस्ट को इस विषय पर बोलने के लिए अधिकृत किया गया है वह भी पार्टी लाइन के अनुरूप ही अपना बयान देंगे और इसके हिसाब अन्य संगठन के कार्यों के लिए पार्टी के दूसरे पदाधिकारियों को नियुक्त किया गया है। बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी मनोज चौहान ने कहा कि अध्यक्ष के तरफ से जारी दिशा निर्देश के अनुरूप सभी प्रदेश पदाधिकारियों विधायकों और मीडिया प्रवक्ताओं को यह दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि पार्टी लाइन के अनुरूप ही उनके द्वारा मीडिया में अपना वक्तव्य दिया जाएगा ।
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