चुनाव आयोग ने EVM-VVPAT से जुड़ा प्रोटोकॉल बदला_नए निर्देश जारी

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लोकसभा चुनाव 2024 : चुनावी माहौल के बीच भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) की ओर से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) से जुड़ा एक प्रोटोकॉल बदला गया है. ईसीआई ने इन दोनों वोटिंग मशीनों की सिंबल लोडिंग यूनिट की हैंडलिंग और लोडिंग के साथ भंडारण के लिए प्रोटोकॉल को संशोधित कर दिया है।


ईसीआई की ओर से यह जानकारी बुधवार (एक मई, 2024) को दी गई. चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट के जरिए बताया..ईसीआई ने ईवीएम और वीवीपैट की सिंबल लोडिंग यूनिट की हैंडलिंग और लोडिंग के साथ भंडारण के लिए प्रोटोकॉल को संशोधित किया है।

चुनाव आयोग के प्रेस नोट में क्या कहा गया?


ईसीआई के प्रेस नोट में बताया गया कि साल 2023 की रिट याचिका (सिविल) संख्या 434 में देश की सबसे बड़ी अदालत (सुप्रीम कोर्ट) के 26 अप्रैल, 2024 के फैसले का पालन करते हुए ईसीआई ने सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) के संचालन और भंडारण के लिए नया प्रोटोकॉल जारी किया है।

इस नोट में आगे कहा गया, “सभी सीईओ को एसएलयू के संचालन और भंडारण के लिए नए प्रोटोकॉल को लागू करने के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे और प्रावधान बनाने का निर्देश दिया गया है. जैसा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट का आदेश है, संशोधित प्रोटोकॉल एक मई, 2024 को या उसके बाद किए गए वीवीपीएटी में प्रतीक लोडिंग प्रक्रिया के पूरा होने के सभी मामलों में लागू होते हैं।

चुनाव आयोग के प्रेस नोट में बताया गया कि सभी CEO को निर्देश दे दिए गए हैं कि वो नए प्रोटोकॉल्स को लागू कराने के लिए वे जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रावधानों को बनवाएं. SLU मेमोरी यूनिट है, जिससे जरिए किसी खास सीट पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवाकों के नाम और उनकी पार्टी का सिंबल VVPAT या पेपर ट्रेल मशीनों पर अपलोड किया जाता है।

चुनाव आयोग ने कहा, “जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है, संशोधित प्रोटोकॉल 1 मई 2024 को या उसके बाद VVPAT में सिंबल लोडिंग प्रक्रिया के पूरे होने के सभी मामलों में लागू होते हैं.” सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले SLU को स्थानीय चुनाव अधिकारियों को सौंप दिया गया था।


VVPAT मामले में अदालत ने दिए कौन से निर्देश?


सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस खन्ना ने अपने फैसले में निर्वाचन आयोग को मतदान के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में चिह्न ‘लोड’ करने वाली स्टोर यूनिट्स को 45 दिनों के लिए ‘स्ट्रॉन्ग रूम’ में सुरक्षित करने के निर्देश दिए. चूंकि कोई भी व्यक्ति परिणाम की घोषणा के 45 दिनों के अंदर निर्वाचन को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दायर कर सकता है, इसलिए EVM और पर्चियां 45 दिनों के लिए सुरक्षित रखी जाती हैं, ताकि अदालत द्वारा रिकार्ड मांगे जाने पर उसे उपलब्ध कराया जा सके।

7 दिनों के अंदर करनी होगी ‘माइक्रो कंट्रोलर’ के वेरिफिकेशन की अपील


शीर्ष अदालत ने EVM निर्माताओं के इंजीनियरों को यह अनुमति दी कि वे परिणाम घोषित होने के बाद दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाले उम्मीदवारों के अनुरोध पर मशीन के ‘माइक्रो कंट्रोलर’ को सत्यापित कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘माइक्रो कंट्रोलर’ के वेरिफिकेशन के लिए अपील नतीजे घोषित होने के सात दिनों के भीतर किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए पहले फीस देनी होगी. बेंच ने कहा..अगर वेरिफिकेशन के दौरान यह पाया गया कि EVM से छेड़छाड़ की गई है, तो उम्मीदवार द्वारा दी गई फीस लौटा दी जाएगी।


ईसीआई ने यह प्रोटोकॉल ऐसे समय पर बदला है, जब देश में सात चरण में आम चुनाव कराए जा रहे है।

दो चरण के तहत मतदान हो चुका है. पहले चरण के तहत 19 अप्रैल को लोकसभा की 102 सीटों पर मतदान हुआ था, जबकि दूसरे चरण के तहत 26 अप्रैल को 89 सीटों पर वोट डाले गए थे।

आम चुनाव के तहत पांच और फेज की वोटिंग बची है. अब तीसरे चरण के तहत सात मई को 94, चौथे चरण के तहत 13 मई को 96, पांचवें चरण के तहत 20 मई को 49, छठे चरण के तहत 25 मई को 57 और सातवें चरण के तहत एक जून को लोकसभा की 57 सीटों पर मतदान होगा. नतीजों की घोषणा चार जून, 2024 को होगी।

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