आर्मी की IBEX बिर्गेड, जिसने 46 लोगों को ज़िंदा बचाया


“आईबैक्स ब्रिगेड : माणा हिमस्खलन में 46 लोगों को बचाने का अदम्य साहस”
उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव के पास 28 फरवरी को सुबह सवा सात बजे आए भीषण हिमस्खलन ने सीमा सड़क संगठन (BRO) के शिविर को अपनी चपेट में ले लिया। इस हादसे में 8 लोगों की मौत हो गई, लेकिन भारतीय सेना की आईबैक्स ब्रिगेड (IBEX) के अदम्य साहस और मेहनत के कारण 46 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया। यह बचाव अभियान करीब 55 घंटे तक चला और इसमें सेना, वायु सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर काम किया।

आईबैक्स ब्रिगेड: पर्वतों की रक्षक
आईबैक्स ब्रिगेड भारतीय सेना की एक विशेष पर्वतीय ब्रिगेड है, जिसका नाम आईबैक्स नस्ल की पहाड़ी बकरी के नाम पर रखा गया है। यह बकरी अत्यधिक ऊंचाई और खड़ी चट्टानों पर चढ़ने में माहिर होती है और माइनस 46 डिग्री तापमान में भी जीवित रह सकती है। इसी तरह, आईबैक्स ब्रिगेड के जवान भी कठिन परिस्थितियों में अभियान चलाने के लिए प्रशिक्षित होते हैं। यह ब्रिगेड उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में चीन से सटी सीमा की सुरक्षा का जिम्मा संभालती है और अत्यधिक ऊंचाई वाले मिशनों में निपुण है।

55 घंटे का संघर्ष: चुनौतियों से भरा बचाव अभियान
हिमस्खलन की खबर मिलते ही आईबैक्स ब्रिगेड ने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी। करीब 170 सैनिकों ने घटनास्थल पर पहुंचकर बचाव कार्य शुरू किया। हालांकि, इस दौरान उन्हें कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
मौसम की मार: हिमस्खलन के बाद तेज बारिश और बर्फबारी ने बचाव कार्य को और मुश्किल बना दिया।
दृश्यता की कमी: खराब मौसम के कारण दृश्यता शून्य के करीब थी, जिससे हेलीकॉप्टर संचालन में दिक्कतें आईं।
हाइपोथर्मिया का खतरा: बर्फ में दबे लोगों के शरीर का तापमान खतरनाक स्तर तक गिर गया, जिससे उनकी जान को गंभीर खतरा था।
संसाधनों की कमी: हिमस्खलन के कारण रास्ते बंद हो गए थे, जिससे बचाव दल तक संसाधन पहुंचाना मुश्किल हो गया।
संचार व्यवस्था: खराब मौसम के कारण संचार साधन ठप्प हो गए, जिससे समन्वय में दिक्कतें आईं।
इन सभी चुनौतियों के बावजूद, आईबैक्स ब्रिगेड मोर्चे पर डटी रही और हेलीकॉप्टर के माध्यम से बर्फ में दबे लोगों को बचाया। इस दौरान भारतीय वायु सेना ने भी पूरा सहयोग दिया।
कर्नल मनीष ओझा (सेवानिवृत्त) ने बताया, “आईबैक्स ब्रिगेड भारतीय सेना की एक विशेष पर्वतीय ब्रिगेड है, जो किसी भी दुर्गम और अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में अभियान चलाने के लिए प्रशिक्षित है। यह हर परिस्थिति में किसी भी मिशन को पूरा करने में सक्षम है।”
भारतीय सेना के उत्तराखंड प्रवक्ता कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने कहा, “हमारे जवानों को ऐसी कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। यह बचाव अभियान हमारी तैयारी और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है।”
माणा हिमस्खलन में आईबैक्स ब्रिगेड की बहादुरी और समर्पण ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारतीय सेना किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। 46 लोगों की जान बचाने का यह अभियान न केवल उनकी वीरता का ही नहीं बल्कि मानवता की जीत का भी प्रतीक है।


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