उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूर जल्द ही सूरज की रोशनी देख सकेंगे। सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने मंगलवार को दावा किया जल्द ही मजदूरों को सुरंग से बाहर निकाला जा सकता है। इसके लिए वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू कर दी गई है। अगर सब कुछ सही रहा तो अगले कुछ घंटों के अंदर सभी मजदूर टनल से बाहर होंगे। यानी रेस्क्यू ऑपरेशन की स्पीड के मुताबिक जल्द ही सभी मज़दूर अपनों के बीच होंगे।
बता दें कि दिवाली के दिन मलबा गिरने से 41 मजदूर सुरंग में फंस गए थे। तबसे उन्हें वहां से निकालने की कवायद की जा रही है लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है। रेस्क्यू ऑपरेशन में कई तरह की बाधाएं भी आईं। बाद में सरकार ने अंतरराष्ट्रीय टनल एक्सपर्ट अल्बर्टो ड्रिक्स को मदद के लिए बुलाया है।
सिलक्यारा सुरंग में 10 दिन से फंसे 41 श्रमिकों की मंगलवार को पहली तस्वीर सामने आई। छह इंच के पाइप से भेजे गए एंडोस्कोपिक कैमरे में सभी श्रमिक सुरक्षित नजर आए। वॉकी-टॉकी से उनसे बात भी हुई। मजदूरों को इसी पाइप से दवाई, संतरे, केले, रोटी, सब्जी, पुलाव और नमक भेजा गया।इस बीच, श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लि. ने सुरंग के भीतर से रेस्क्यू पर फोकस बढ़ा दिया है।
एनएचआईडीसीएल के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने टनल में फँसे 41 मज़दूरों के लिए किए जा रहे रेस्क्यू कार्यों के बारे में बुधवार को जानकारी दी.
एमडी महमूद अहमद ने बताया कि बुधवार को रेस्क्यू अभियान की पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी। उन्होंने बताया कि पूर्व में 22 मीटर तक भेजे गए 900 मिमी के पाइप के भीतर से 800 मिमी का पाइप टेलीस्कोपिक तकनीक से भेजा जा रहा है।उन्होंने बताया कि अमेरिकन ऑगर मशीन से ड्रिल का काम शुरू कर दिया गया है। इसकी ड्रिल स्पीड 5 मीटर प्रति घंटा है, लेकिन अड़चनों की वजह से वह इस गति से काम नहीं कर पाए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि बृहस्पतिवार को मजदूर सुरंग से बाहर निकाल लिए जाएंगे।पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि, “अब तक सुरंग में 39 मीटर तक की ड्रिलिंग की जा चुकी है. क़रीब 57 मीटर तक ओर मलबे में ड्रिलिंग की जानी है यानी कि अभी 18 मीटर ओर ड्रिलिंग की जाएगी।
800 एमएम की पाइप 21 मीटर तक पहले ही पहुंच चुका थी. जिसके बाद देर रात पौने एक बजे अमेरिकी ऑगर मशीन शुरू की गई जिसके चलते देर रात के बाद से अभी तक 18 मीटर ज्यादा ड्रिलिंग की जा चुकी है.”
उन्होंने बताया, अभी जब तक 45 से 50 मीटर तक ना पहुंचे तब तक कुछ भी कहना बहुत जल्दी होगी. ऑगर मशीन बेहतर तरीके से काम कर रही है इसी तरह से काम चलता रहा तो देर रात कोई अच्छी खुशखबरी मिल सकती है।
उन्होंने बताया, “पाइप को ड्रिल करने में ज्यादा नहीं लगता. मिशन में वेल्डिंग सबसे महत्वपूर्ण है, जिसमे सबसे ज्यादा समय लगता है. जिसके चलते 18 मीटर यानी 3 पाइप को भेजने में देर रात से अभी तक 15 घंटे का समय लगभग लगा है.अनुमान के अनुसार कुल 57 मीटर वह जगह है जहां पर श्रमिक फँसे है. ऐसे में फँसे हुए श्रमिकों तक पहुंचने के लिए केवल 18 मीटर ही ड्रिल करना बाकी रहा गया है।
उत्तराखंड सरकार की तरफ़ से नियुक्त किए गए नोडल अधिकारी नीरज खेरवाल ने बताया, “डॉक्टरों की पूरी टीम तैयार कर ली गई है. मजदूरों को निकालते वक्त सभी स्वास्थ्य संबंधी बातों को ख्याल रखा जाएगा. जरूरत पड़ने पर मजदूरों को एयरलिफ्ट भी किया जाएगा।उन्होंने बताया, टनल में फँसे लोगों को सुबह खाने के वक्त मजदूरों को टूथब्रश, पेस्ट, टॉवल और अंडर गारमेंट्स के कपड़े भेजे गए हैं।
सरकारी एजेंसियां काम पर लगीं
उन्होंने कहा कि सरकार उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग में चल रहे बचाव कार्यों में सक्रिय रूप से लगी हुई है, जहां 41 कर्मचारी फंसे हुए हैं। विभिन्न सरकारी एजेंसियों को काम पर लगाया गया है। सभी को श्रमिकों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने के लिए खास काम सौंपे गए हैं। सरकार फंसे हुए लोगों का मनोबल बढ़ाने के लिए उनसे लगातार संपर्क बनाए हुए है। ताजा बयान के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) ने आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बढ़ाने के लिए 6 इंच व्यास वाली पाइपलाइन की ड्रिलिंग पूरी कर ली है। अब तक सुरंग में आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई एक 4-इंच कंप्रेसर पाइपलाइन के माध्यम से की जा रही थी।
सरकार ने कहा कि फंसे हुए मजदूरों के साथ वीडियो संचार स्थापित किया गया है और हवा और पानी के दबाव का उपयोग करके पाइपलाइन के अंदर मलबे को साफ करने का प्रयास किया जा रहा है।
पीएमओ के पूर्व सलाहकार भाष्कर खुल्बे ने बुधवार को कहा कि सिल्क्यारा में जिस रफ़्तार से पाइप डाला जा रहा है, उसके हिसाब से यह रेस्क्यू ऑपरेशन आज रात ही खत्म होने की उम्मीद है. टनल में फंसी मशीनें और डम्फ़र के पाइप के रास्ते में आने की उम्मीद बेहद कम है, क्योंकि ये मलबे में अनुमानित पच्चीस मीटर की आसपास फंसे थे, जिस दूरी को पार कर लिया गया है.उन्होंने कहा कि अब तक 800 एमएम का पाइप 40 मीटर भीतर जा चुका है. जानकारों के मुताबिक 53 मीटर पाइप जाने की दशा में मजदूर बाहर निकाले जा सकेंगे. सूत्रों के अनुसार आधिकारिक तौर पर बताया गया है कि 39 मीटर तक पाइप अंदर जा चुका है. बाकी पाइप तेजी से अब अंदर जा रहे हैं. जिस तरह से ड्रिल कर पाइप डाले जा रहे हैं और सब ठीक रहा तो 15 घंटे में ऑपरेशन पूरा किया जा सकता है।
बता दें कि 12 नवंबर को ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिल्क्यारा और डंडालगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने से 41 मजदूर फंस गए थे। चारधाम महामार्ग परियोजना के हिस्से के रूप में, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने उत्तराखंड में राडी पास के तहत गंगोत्री और यमुनोत्री के सिरों को जोड़ने के लिए सिल्क्यारा में 4.531 किलोमीटर लंबी दो लेन दो दिशाओं वाली सुरंग का निर्माण शुरू किया है। राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) द्वारा कार्यान्वयन के लिए 1,383 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
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