उत्तराखंड : हमलावर गुलदार को मारने के आदेश..

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उत्तराखंड : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मानव और वनयजीव संघर्ष को लेकर अधिकारियों को दिए सख्त निर्देशों के बाद वन महकमा अब एक्टिव मोड में गया है। बीते दिन 10 वर्षीय बालक को मौत के घाट उतारने वाले गुलदार को मारने की आदेश जारी कर दिए गए हैं।

किमाड़ी क्षेत्र में बच्चे को मारने वाले गुलदार को आदमखोर घोषित कर करते हुए गोली मारने के आदेश दिए गए हैं। घटना के अगले दिन सोमवार को मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक समीर सिन्हा की ओर से आदेश जारी किए गए हैं। इसके साथ ही क्षेत्र में गुलदार को पकड़ने के लिए आठ पिंजरे और 12 कैमरा ट्रैप भी लगाए गए हैं। गुलदार दिखने पर पहले उसे ट्रैंकुलाइज किया जाएगा और फिर आवश्यकता पड़ने पर गोली मार दी जाएगी।

आदेश के मुताबिक – प्रभागीय वनाधिकारी, देहरादून वन प्रभाग, देहरादून द्वारा अधोहस्ताक्षरी को दिनांक 25 फरवरी 2024 को रात्रि लगभग 9:35 बजे दूरभाष पर अवगत कराया गया कि देहरादून वन प्रभाग की मालसी रेंज के अन्तर्गत गल्जवाडी बीट के क्षेत्रान्तर्गत स्थित मराड़ी तोक में गुलदार द्वारा दिनांक 25 फरवरी 2024 को सांय 6:30 से 7:00 बजे के मध्य शौच करने अपने घर से कुछ दूरी पर आये एक 10 वर्षीय बालक पर हमला किया गया,जिसमें बालक की मृत्यु हो गयी।

उक्त घटना मराडी चक, मालसी रेंज की गल्जवाडी बीट के अन्तर्गत गल्जवाडी क०स० 6 में हुई है। उक्त चक चारों ओर से आरक्षित वन से घिरा हुआ है। उक्त चक में 03 गूजर परिवार निवासरत है, जिसमें लगभग 13, 14 सदस्य रहते है। प्रभागीय वनाधिकारी द्वारा रात्रि में ही दूरभाष पर उक्त घटना एवं क्षेत्र की परिस्थितियों के सम्बन्ध में अधोहस्ताक्षरी को अवगत कराये जाने पर अधोहस्ताक्षरी द्वारा उक्त क्षेत्र में गुलदार को पकड़ने हेतु पिंजरा लगाकर एवं आवश्यकतानुसार ट्रैक्युलाईज करने की अनुमति तत्काल प्रदान की गयी। प्रभागीय वनाधिकारी द्वारा अपने पत्रांक संख्या-5439/6-3, दिनांक 26 फरवरी 2024 से अवगत कराया गया है कि उक्त के क्रम में गुलदार की गतिविधियों की निगरानी हेतु क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर कैमरा ट्रैप व पिंजरे लगाये गये हैं।

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वन कर्मियो द्वारा क्षेत्र में लगातार गश्त की जा रही है। यह भी उल्लेखनीय है कि उक्त घटना मसूरी वन प्रभाग के मिलान के क्षेत्र में हुई है। इसी क्षेत्र में दिनांक 26 दिसम्बर 2023 को गुलदार द्वारा हमला कर एक बच्चे को मार दिया गया था। इस सम्बन्ध में प्रभागीय वनाधिकारी, मसूरी वन प्रभाग से भी वार्ता की गई, जिसमें उनके द्वारा अवगत कराया गया कि उस क्षेत्र में वही गुलदार क्रियाशील है जिसके द्वारा 26 दिसम्बर 2023 की घटना की गई है। दोनों घटनास्थलों के बीच की दूरी मात्र 2 से 3 कि०मी० है, एवं उक्त दोनों हमलें एक ही गुलदार द्वारा किये जाने की प्रबल संभावना प्रतीत होती है। प्रभागीय वनाधिकारी द्वारा अवगत कराया गया है कि वन कर्मियों द्वारा पूर्ण प्रयास किया जा रहा है कि गुलदार को पिंजरे में अथवा ट्रैक्युलाईज कर पकड़ा जाय किन्तु उक्त क्षेत्र देहरादून क्षेत्र के निकट होने के कारण गुलदार के आबादी क्षेत्र में आने तथा अन्य कोई अप्रिय घटना किये जाने की सम्भावना है। उनके द्वारा अपरिहार्य परिस्थितियों में अन्तिम विकल्प के रूप में गुलदार को नष्ट किये जाने की अनुमति चाही गई है।

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उक्त के क्रम में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 यथा संशोधित 2022 की धारा 11 (1) क से प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए प्रभागीय वनाधिकारी को उपरोक्तानुसार गुलदार को पिंजरा लगाकर एवं आवश्यकतानुसार ट्रैक्युलाईज करने हेतु दूरभाष पर प्रदान की गयी अनुमति की एतद् द्वारा पुष्टि की जाती है।

वर्तमान विषम परिस्थिति में यह समाधान हो गया है कि उक्त गुलदार मानव जीवन के लिए खतरा हो गया है। ऐसे में जन सुरक्षा विशेषकर बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए उक्त गुलदार को पिंजरा लगाकर पकड़ने अथवा ट्रॅक्युलाईज करने के समस्त प्रयास प्रभागीय वनाधिकारी द्वारा सुनिश्चित किये जाये। यदि गुलदार को पकडने के सम्पूर्ण प्रयासों के उपरान्त भी पकडा न जाये तो ऐसी दशा में अपरिहार्य परिस्थितियो मे जन सुरक्षा विशेष रूप से छोटे बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए इस चिन्हित गुलदार को अंतिम विकल्प के रुप में नष्ट करने की अनुमति प्रदान की जाती है। उक्त अनुमति के दौरान निम्न प्रतिबन्धों का अनुपालन सुनिश्चित किया जायेः-

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1 – यह आदेश केवल इस घटना हेतु उत्तरदायी चिन्हित गुलदार हेतु प्रभावी होगा।
2 . प्रभागीय वनाधिकारी इस कार्यालय के पत्रांक 179/6-28 दिनांक 25 जुलाई 2022 एवं 203/6-28, दिनांक 27 जुलाई 2022 द्वारा दिये गये निर्देशों का अनुपालन करना सुनिश्चित करेगें।
3 . क्षेत्र मे कैमरा ट्रैप तथा पी०आई०पी० के माध्यम से गुलदार की उपस्थिति की निगरानी की जाये। यथासंभव ड्रोन द्वारा भी क्षेत्र में निगरानी रखी जाये।

4 – संबंधित वन संरक्षक तथा मुख्य वन संरक्षक घटनाक्रम पर निगरानी रखेंगे एवं आवश्यकतानुसार प्रभागीय वनाधिकारी को मार्गदर्शन एवं सहयोग प्रदान करेंगे।

5 – यह आज्ञा जारी होने के दिनांक से 15 दिन तक वैध रहेगी और इस अवधि के उपरान्त स्वतः समाप्त हो जायेगी।

6 – उक्त आदेश पर कृत कार्यवाही की सूचना तत्काल इस कार्यालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाय एवं यदि उक्त 15 दिन की समयावधि के भीतर कोई कार्यवाही नहीं हो पाती है तो उसकी सूचना अवधि समाप्त होने की तिथि के अगले कार्यालय दिवस में आवश्यक रूप से इस कार्यालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाय।

6 – गुलदार को पकडने अथवा अंतिम विकल्प के रूप में नष्ट किये जाने की स्थिति में तत्काल इस कार्यालय को सूचित किया जाये।

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