उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी सरकार सार्वजनिक या निजी संपत्ति के नुकसान मामले पर गंभीर हो गई है। हल्द्वानी हिंसा के बाद धामी सरकार ने यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की तर्ज पर कड़े कानून की तैयारी में है। प्रदेश में अब हड़ताल, बंद, दंगों और विरोध प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। ऐसे लोगों पर अब कानून का शिकंजा कसने की तैयारी कर ली गई है।
इस कानून के तहत संपत्ति को नुकसान पहुंचने वालों से नुकसान की क्षतिपूर्ति ली जाएगी। यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार ने सीएए-एनआरसी दंगों के दौरान आरोपियों के पोस्टर तक चिपका दिए थे। इसके बाद सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई का नोटिस भी दंगाइयों को भेजा गया। इसी प्रकार के कानून हरियाणा में भी लागू हैं। अब उत्तराखंड सरकार कानून लाने जा रही है।
उत्तराखंड में पिछले दिनों हल्द्वानी के बनभूलपुरा में अतिक्रमण हटाने के दौरान हुए हंगामे और उपद्रव से पुलिस थाना सहित सार्वजनिक संपत्ति और निजी संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचा। इस नुकसान की क्षतिपूर्ति सरकार उपद्रवियों से वसूलने की तैयारी कर रही है। वहीं ऐसे हालात की पुनरावृत्ति ना हो उसको देखते हुए अब ऐसे उपद्रवियों पर शिकंजा कसने के लिए प्रदेश सरकार उत्तराखंड लोक एवं निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक विधानसभा सत्र में लाने जा रही है।
सदन में यह विधेयक पारित करने के बाद इसे कानून का रूप दिया जाएगा। इस विधेयक के कानून बनने के बाद उत्तराखंड देश के चुनिंदा राज्यों में शामिल हो जाएगा जहां इस तरह का कानून लागू है। उत्तर प्रदेश और हरियाणा में पहले से ही सार्वजनिक अथवा निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर वसूली के लिए कानून बने हुए हैं।
इस तरह होगी वसूली
इस कानून के बनने के बाद प्रदेश सरकार सार्वजनिक संपत्ति के साथ ही निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचने पर इसकी वसूली की व्यवस्था भी सुनिश्चित कर रही है। उत्तराखंड में इस कानून का अध्ययन करने के बाद ही विधेयक का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। इस कानून अनुसार नुकसान की वसूली के लिए संबंधित विभाग और निजी संपत्ति के मालिक को तीन माह के भीतर दावा करना होगा। सेवानिवृत्त जिला जज की अध्यक्षता में बनने वाले विभिन्न दावा अधिकरणों में नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए दावा किया जा सकेगा।
राज्य में यह कानून लागू होने के बाद नुकसान की भरपाई उन लोगों से भी की जाएगी, जो विरोध- प्रदर्शनों का नेतृत्व या आयोजन करेंगे। प्रस्तावित विधेयक में यह भी स्पष्ट किया जा रहा है कि नुकसान की भरपाई केवल उन लोगों से नहीं होगी जो हिंसा या तोड़फोड़ में लिप्त होंगे, बल्कि विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व और आयोजन करने वाले लोगों से भी क्षतिपूर्ति की वसूली की जाएगी।
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