उत्तराखंड में उत्तरकाशी के सिलक्यारा गांव में सुरंग में फंसे क़रीब 40 मज़दूरों को निकालने का काम 7वें दिन भी जारी है.
रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए शनिवार को एक और मशीन को इंदौर से एयरलिफ्ट कर टनल तक पहुंचाया गया है.
इंदौर से मंगवाई गई यह तीसरी अमेरिकन ऑगर मशीन टनल के पास शनिवार सुबह 11 बजे पहुंच गई थी.
बीते शुक्रवार सरकार की हाईवे और इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी एनएचआईडीसीएल (NHIDCL) के डायरेक्टर अंशु मनीष खलको ने बताया था, अगर यह मशीन कहीं रूकती है, तो इंदौर से मँगवाई मशीन की सहायता से हम आगे का काम कर सकेंगे।
उनका कहना था कि टनल में मौजूद मलबे में 24 मीटर तक ड्रिल किया जा चुका है।
इसके अलावा कहीं ओर से रास्ता खोजे जाने पर भी एक्सपर्ट सलाह मशविरा कर रहे हैं और बैठकों का दौर जारी है।
शनिवार को प्रधानमंत्री कार्यालय के डिप्टी सेक्रेटरी मंगेश घिल्डियाल भी टनल का मुआयना करने पहुंचे।
उत्तरकाशी में टनल हादसे के बाद सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए बड़े स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. ख़बर है कि 17 नवंबर को बचाव कार्य के वक्त टनल के अंदर से कुछ टूटने-गिरने की ज़ोरदार आवाज़ सुनाई दी. इसके चलते काम अस्थायी रूप से रोकना पड़ा. सिलक्यारा सुरंग में बीते 6 दिन से फंसे 40 मजदूरों को निकालने का काम फिलहाल के लिए रोक दिया गया है. ऐसा इसलिए ऐसा किया गया है क्योंकि अमेरिकी ऑगर मशीन ने शुक्रवार (18 नवंबर 2023) को देर रात ड्रिलिंग के वक्त क्रैक की आवाज सुनी जिस वजह से वहां पर इस काम को थोड़ी देर रोकने के लिए आदेश दिया गया।
राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम (NHIDCL) ने बताया कि टूटने की ऐसी आवाज पहले भी सुनी गई थी. आशंका है कि अंदर और मलबा गिरा है।रेस्क्यू के सातवें दिन आज शनिवार को कंपनी की बड़ी लापरवाही सामने आई। अब तक कंपनी ने 40 मजदूरों के फंसे होने की सूची ही प्रशासन को उपलब्ध कराई थी, लेकिन अब 41 वें श्रमिक के भी फंसे होने की बात सामने आई है।
एक और ड्रिलिंग मशीन ख़राब होने की भी जानकारी है. घटनास्थल पर अतिरिक्त मशीनें भेजी जा रही हैं।
अधिकारियों के मुताबिक अभी तक सिर्फ 22 मीटर पाइप ही पुश किए गए हैं। इस बीच बैकअप के तौर पर एक और मशीन भी इंदौर से एयरलिफ्ट से मंगवाई गई है। जो शनिवार सुबह तक सिलक्यारा पहुंचाई जायेगी। ऐसा एनएचआईडीसीएल के अधिकारियों ने बताया है।रेस्क्यू कार्य में लगातार हो रही देरी से अंदर फंसे मजदूरों की मुश्किल बढ़ती जा रही है। मौके पर डीएम अभिषेक रूहेला और एसपी अर्पण यदुवंशी भी लगातार रेस्क्यू कार्यों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
अब तक क्या-क्या किया गया है?
हादसा दिवाली के दिन – 12 नवंबर को – हुआ था. सुबह के वक्त सिल्क्यारा को डंडालगांव से जोड़ने वाली निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह गया. तभी से वहां 41 मजदूर फंसे हुए हैं. अधिकारियों ने बताया कि मलबे के पीछे फंसे लोगों को पाइप के ज़रिए खाना-पानी भेजा जा रहा है. अधिकारी लगातार उनके साथ संपर्क में हैं. फंसे लोग बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश से हैं।
मलबा 65 से 70 मीटर तक फैला हुआ है. प्लान ये है कि मलबे से 3 फीट चौड़े दो ट्यूब्स अंदर डाले जाएं. ताकि मज़दूर इससे रेंग कर बाहर आ सकें. अब तक टीम इन ट्यूब्स को 22 मीटर अंदर तक धकेल चुकी है।अधिकारियों ने बताया कि कुछ जगहों पर मशीनों से निकले धुएं और ड्रिलिंग के दौरान हुए कंपन के चलते ऑपरेशन कभी-कभी रुक जाता है. उम्मीद है कि ऑपरेशन की रफ़्तार बढ़ेगी क्योंकि बचावकर्मी इस प्रोसेस के आदी हो गए हैं. 18 नवंबर को PMO के उप-सचिव मंगेश घिल्डियाल हालात का जायज़ा लेने मौके पर पहुंचे थे।
चूंकि मौजूदा ऑपरेशन सफल नहीं हुआ, एक स्पेशल टीम सुरंग के ऊपरी हिस्से से वर्टिकल ड्रिलिंग – यानी ऊपर से ड्रिल करने – की संभावना पर विचार कर रही है।राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल, सीमा सड़क संगठन और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस समेत कई एजेंसियों के 165 कर्मी चौबीसों घंटे बचाव कार्य में जुटे हुए हैं।
जो सुरंग ढही है, वो ऑल-वेदर-रोड प्रोजेक्ट के तहत बन रही है. NHIDCL की देख-रेख में नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड ये 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग बना रही है. पहले इस टनल का काम सितंबर 2023 में पूरा होना था, लेकिन अब इसे मार्च 2024 तक पूरा करने का टारगेट रखा गया है. सुरंग के बनने से उत्तरकाशी से यमुनोत्री धाम तक का सफर 26 किलोमीटर कम हो जाएगा।
इस मुश्किल घड़ी में श्रमिकों के परिजनों के साथ खड़ी है सरकार – मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मुसीबत में फंसे श्रमिकों के परिजनों के साथ सरकार खड़ी है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वह सभी परिजनों को रेस्क्यू की हर पल की जानकारी देते रहें। इसके अलावा सिलक्यारा पहुंचे परिजनों के लिए भी सहायता केंद्र खोलने और उनके रहने-खाने की जरूरत के हिसाब से मदद की जाए। उन्होंने कहा कि विपदा की इस घड़ी में परिजनों को धैर्य बनाये रखने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सिलक्यारा सुरंग आपदा से निपटने के लिए देश और दुनिया में चले पुराने सुरंग रेस्क्यू के अनुभवों के आधार पर कार्य किए जा रहे हैं। इसके लिए अधिकारी पड़ोसी राज्य हिमचाल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर समेत दुनिया के कई देशों में सुरंग निर्माण और आपदा के बाद हुए रेस्क्यू की तकनीकी को अपना रहे हैं। पीर पंजाल, अटल सुरंग, भंवर टोंक, सँगलदान जैसी बड़ी सुरंग निर्माण और लूज गिरने के बाद रेस्क्यू की जानकारी जुटाई जा रही है। इसी के अनुसार रेस्क्यू टीम श्रमिकों को बाहर निकालने के प्रयास में जुटी हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शासकीय आवास पर अधिकारियों के साथ टनल में फंसे श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने के लिए चलाए जा रहे बचाव कार्यों की समीक्षा की। इस दौरान रेस्क्यू ऑपरेशन में आ रही बाधाओं से निपटने के लिए हर आवश्यक कदम उठाए जाने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया। वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री कार्यालय में उप सचिव मंगेश घिल्डियाल सिलक्यारा पहुंचे हैं।
सब्र जवाब दे गया – लोगों का विरोध प्रदर्शन शुरू
दूसरी तरफ रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी को लेकर मजदूरों ने टनल से कुछ दूर मौजूद एनएचआईडीसीएल दफ्तर पहुंच विरोध प्रदर्शन भी किया.मजदूर, टनल में फंसे अपनी साथियों को निकालने को लेकर कंपनी के आला अधिकारियों से बात करना चाहते थे, जिसके बाद अधिकारियों को मीटिंग छोड़ उनसे बात की।
टनल में लोडर अपलोडर का काम करने वाले मृत्युंजय कुमार ने बीबीसी को टनल के अंदर के मौजूदा हालातों के बारे में बताया. उन्होंने कहा, “टनल के अंदर की स्थिति ख़राब है. टनल के अंदर लूज़ पोज़ीशन है. उसी हालात में हम काम कर रहे हैं. मृत्युंजय ने कहा, “आज 7 दिन हो गए, हम लोग उनसे कब तक झूठ बोलें कि बाहर मशीन लगी है और तुमको बहुत जल्द निकाल लिया जाएगा. अब अंदर फंसे लोगों का हौसला टूटता जा रहा है. कब तक वे सूखे खाने पर ज़िंदा रहेंगे। उन्होंने बताया कि जब टनल में फंसे मजदूरों से पाइप के जरिए बात होती है वे बोलते हैं, ..तुम लोग काम कर भी रहे हो या हमसे झूठ बोलते हो।
सोनू कुमार नाम के मज़दूर का ज़िक्र करते हुए मृत्युंजय ने बताया, “वो अंदर से टूट चुका है और रो रहा है. वो बोल रहा है कि भाई अब अंदर से बहुत कमज़ोरी महसूस हो रही है. कोई एनर्जी नहीं मिल रही है, इस सूखे खाने (ड्राई फ़्रूट्स) पर कितने दिन तक रहें।
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