तारसर झील हादसा : संजीवनी हॉस्पिटल के संचालक डॉ महेश की तलाश जारी, गाइड का शव बरामद

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संजीवनी अस्पताल के संचालक डा. महेश कुमार का गुरुवार को हादसे के दूसरे दिन भी पता नहीं चला। उनके साथ डूबे गाइड शकील का शव झील से निकाल लिया गया है। ऐसे में शुक्रवार को भी राहत व बचाव डा. महेश की तलाश करेगा।

हल्द्वानी के रामपुर रोड निकट संजीवनी अस्पताल के संचालक डा. महेश कुमार 12 साथियों के साथ 18 जून को ट्रैकिंग के लिए श्रीनगर गए थे। इनमें तीन स्थानीय गाइड भी शामिल थे। वह 22 जून को श्रीनगर के तारसर झील क्षेत्र में पहुंचे। सुबह 8:30 बजे अन्य साथी लकड़ी के अस्थायी पुल से झील को पार कर गए।

पीछे आ रहे डा. महेश कुमार पुल से फिसल गए। उन्हें बचाने के लिए गाइड शकील आगे बढ़ा तो पानी के तेज बहाव में आकर वह भी डूब गया। इसके बाद अन्य साथियों को राहत व बचाव दल ने आरू बेस कैंप पहुंचाया। इसके बाद डा. महेश कुमार व शकील की तलाश में अभियान शुरू किया गया।

गुरुवार को दूसरे दिन शकील अहमद का शव अनंतनाग जिले के पहलगाम क्षेत्र के लिद्दरवथ से बरामद कर लिया गया। लेकिन डा. महेश कुमार का कुछ पता नहीं चला। हादसे की सूचना पाकर बेटी मौली अपनी मां डा. पूनम के साथ मौके पर पहुंच गईं।

जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम इलाके में बुधवार को तारसर झील में डूब गए स्थानीय पर्यटक गाइड का शव ढूंढ लिया गया , जबकि डूब गए पर्यटक की तलाश जारी है. स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि गांदरबल के गगनगीर इलाके के पर्यटक गाइड शकील अहमद का शव लिद्दरवट में बरामद किया गया, जबकि लापता पर्यटक का पता लगाने के लिए अभियान जारी है.
यह घटना सिकवास इलाके में  तारसर झील पर तब हुई जब तीन स्थानीय गाइड सहित 13 पर्यटकों का एक समूह बुधवार को दर्शन के लिए जा रहा था. समूह ने रात भर तारसर झील में रुकने का फैसला किया था, लेकिन बेमौसम बर्फबारी और भारी बारिश की वजह से उन्होंने पहलगाम लौटने का फैसला किया.

पानी के तेज प्रवाह के कारण अस्थायी पुल ढहा 
अन्य पर्यटक और अन्य गाइड लिद्दरवट में उफान पर बह रही लिद्देर नदी की सहायक नदी पर बने एक अस्थायी पुल को पार करने में सफल रहे, वहीं संजीवनी हॉस्पिटल के सर्जन डॉ महेश फिसल कर नदी में गिर गए. शकील ने पर्यटक को बचाने के लिए नदी में छलांग लगा दी लेकिन तेज बहाव में बह गया. तेज पानी के प्रवाह के कारण एक अस्थायी पुल से बह गया था.

पहलगाम के तहसीलदार डॉ मोहम्मद हुसैन मीर ने कहा कि कठिन परिश्रम के बाद जहां गाइड शकील का शव मिल गया है वहीं डॉ महेश को खोजने के लिए ऑपरेशन जारी है. पर्यटकों के संबंध में जैसे ही इनपुट प्राप्त हुए, राजस्व, पुलिस और एनडीआरएफ के प्रशिक्षित कर्मियों वाले बचाव दल की एक विशेष टीम को मौके पर भेजा गया.
बुधवार शाम तक बचाए गए 11 अन्य लोगों में उत्तराखंड के राजेश रोशन (50), प्रो. डीवीआर, मुखान कुमैया (बेंगलुरु के प्रोफेसर निजी शिक्षक), नैनीताल उत्तराखंड के धरम, बैंगलोर के जय राम, तमिलनाडु के सुकुमार ढांडापानी, विंकस कृष्ण, उत्तराखंड की कंचन, पहलगाम के स्थानीय मोहम्मद इशाक लोन (पर्यटक गाइड) और परवेज अहमद (पोनी वाला) शामिल हैं.
कश्मीर जारी है बारिश और बेमौसम बर्फबारी
कश्मीर घाटी में लगातार बारिश और बेमौसम बर्फबारी हुई है, जिसके परिणामस्वरूप ऊपरी इलाकों में खानाबदोशों के पशुओं को भारी नुकसान हुआ है, जबकि मैदानी इलाकों में अचानक बाढ़ आ गई है. भीषण गर्मी में घाटी के पहाड़ों में 12 इंच से 36 इंच तक ताजा हिमपात हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप तापमान में भारी गिरावट आई है. पहाड़ों में न्यूनतम तापमान हिमांक बिंदु से नीचे गिर गया है, जबकि मैदानी इलाकों में न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है.

1993 से हल्द्वानी में शुरू की प्रैक्टिस

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बड़ौत निवासी डा. महेश कुमार एमएस सर्जरी करने के बाद 1993 में हल्द्वानी आए। तब शहर में गिने-चुने ही डाक्टर हुआ करते थे। सबसे पहले उन्होंने राजपुरा में क्लीनिक खोली। इसके बाद नवाबी रोड पर अस्पताल शुरू किया। यहां से उन्होंने रामपुर रोड पर स्वामी राम कैंसर अस्पताल के सामने संजीवनी अस्पताल का संचालन शुरू कर दिया। उनका आवास भी अस्पताल में ही है।

बैचमेट से लेकर सभी शुभचिंतक स्तब्ध

दो दिन से लापता डा. महेश को लेकर हर कोई आशंकित है। आइएमए हल्द्वानी के अध्यक्ष डा. जेएस भंडारी ने बताया कि घटना हैरान करने वाली है। जब से उनके लापता होने की सूचना है, तब से मन बहुत दुखी है। मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रो. अरुण जोशी का कहना है कि यह घटना उदास करने वाली है। हम सभी उनकी सलामती की प्रार्थना कर रहे हैं।

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