दुःखद : देश के अनमोल अर्थशास्त्री नहीं रहे_पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन..
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और प्रमुख अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह का गुरुवार को निधन हो गया। वह 92 वर्ष के थे और लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। देर शाम, सांस लेने में तकलीफ और बेचैनी के कारण उन्हें दिल्ली के AIIMS अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली।
पीएम नरेंद्र मोदी ने जताया शोक, एक्स पर लिखा संदेश
पीएम नरेंद्र मोदी ने मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए एक्स पर लिखा कि भारत अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक मना रहा है। साधारण पृष्ठभूमि से उठकर वे एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री बने। उन्होंने वित्त मंत्री सहित विभिन्न सरकारी पदों पर कार्य किया। वर्षों तक हमारी आर्थिक नीति पर अपनी गहरी छाप छोड़ी। संसद में उनके हस्तक्षेप भी बहुत ही व्यावहारिक थे। हमारे प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए।
मनमोहन सिंह की स्वास्थ्य समस्याएं 2006 में बाईपास सर्जरी के बाद बढ़ गईं, जिसके बाद से उनकी सेहत में लगातार गिरावट आई थी। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान उन्हें कोरोना संक्रमण हुआ था, जिससे उन्हें सांस लेने में और भी कठिनाई होने लगी थी।
मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र के गाह में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय और ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी। बाद में, उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। 2004 से 2014 तक दो बार भारत के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह को उनके शांत और सरल स्वभाव के लिए हमेशा याद किया जाएगा।
मनमोहन सिंह ने 1985 से 1987 तक भारतीय योजना आयोग के प्रमुख के रूप में भी कार्य किया। उनका योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था में अनमोल रहेगा, और उन्हें भारत के सबसे प्रमुख अर्थशास्त्रियों में गिना जाता है।
“मनमोहन सिंह: भारतीय अर्थव्यवस्था के संरक्षक और विजनरी नेता”
भारत के चौदहवें प्रधानमंत्री, डॉ. मनमोहन सिंह, अपनी सादगी, कड़ी मेहनत और कार्य के प्रति निष्ठा के लिए मशहूर हैं। 1971 में वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में उनके करियर की शुरुआत हुई, और 1972 में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। इस भूमिका में उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को नये दिशा देने में अहम योगदान दिया।
डॉ. सिंह ने वित्त मंत्रालय के सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के अध्यक्ष, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी महत्वपूर्ण कार्य किए। 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हुआ। उनके नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था ने वैश्विक मंच पर अपनी सशक्त पहचान बनाई और आर्थिक सुधारों का दौर शुरू हुआ।
उन्हें उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों और सम्मान से नवाजा गया है। इनमें भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण (1987), एशिया मनी अवार्ड (1993 और 1994) और यूरो मनी अवार्ड (1993) जैसे महत्वपूर्ण पुरस्कार शामिल हैं।
इसके अलावा, उन्हें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से एडम स्मिथ पुरस्कार और राइट पुरस्कार जैसी मान्यताएं भी मिलीं। डॉ. सिंह को विभिन्न विश्वविद्यालयों, जैसे कि कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड, से मानद उपाधियां भी प्राप्त हैं।
डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान न केवल भारत, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी अमूल्य है।
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