राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू का उत्तराखंड दौरा – कई विकास परियोजनाओं की दी सौगात

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उत्तराखंड दौरे पर हैं… उन्होंने मुख्यमंत्री आवास में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने करीब 2002 करोड़ रूपये की 9 विकास योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया…इसमें सोबन सिंह जीना राजकीय आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान अल्मोड़ा, हरिद्वार में बिजली घर, रूद्रप्रयाग में 4.5 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना, चीला पॉवर हाऊस 144 मेगावाट की योजना का रेनोवेशन का काम शामिल है…राष्ट्रपित ने चंपावत के टनकपुर में बनने वाले आधुनिक अन्तर्राज्यीय बस टर्मिनल का भी शिलान्यास किया है।

पहली बार उत्तराखंड दौरे पर आईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मुख्यमंत्री आवास में नागरिक अभिनंदन कार्यक्रम में 2001.94 करोड़ रुपये की नौ विकास योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। इसमें 528.35 करोड़ रुपये की तीन योजनाओं का लोकार्पण और 1473.59 करोड़ की छह योजनाओं का शिलान्यास शामिल है। 

राष्ट्रपति ने 330.64 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित सोबन सिंह जीना राजकीय मेडिकल कॉलेज अल्मोड़ा, पिटकुल की ओर से हरिद्वार जिले के पदार्था में 84 करोड़ रुपये की लागत से 132 केवी के आधुनिक तकनीक के बिजली घर, इससे संबंधित लाइन का निर्माण, जिला रुद्रप्रयाग में 113.71 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित 4.5 मेगावाट की कालीगंगा-द्वितीय लघु जल विद्युत परियोजना का लोकार्पण किया हैं।

इसके अलावा 306 करोड़ रुपये की लागत से चीला पावर हाउस 144 मेगावाट की योजना का रेनोवेशन कार्य, देहरादून स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत 204.46 करोड़ की लागत से इंटीग्रेटेड ऑफिस कॉम्पलेक्स ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण, 131 करोड़ की लागत से हरिद्वार के मंगलौर में 220 केवी सब स्टेशन, 750 करोड़ रुपये की लागत से देहरादून के मुख्य मार्गों की ओवर हेड एचटी एवं एलटी विद्युत लाइनों को भूमिगत किए जाने का कार्य, 32.93 करोड़ की लागत से राजकीय पॉलिटेक्निक नरेंद्रनगर में दूसरे चरण का निर्माण कार्य और चंपावत के टनकपुर में 49.20 करोड़ की लागत से आधुनिक अंतरराज्यीय बस टर्मिनल का शिलान्यास किया।

वहीं, नागरिक अभिनंदन समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्रों से आए सांस्कृति दलों के थारो, रासो और हारुल लोकनृत्यों को देख अभिभूत हो गईं। सांस्कृतिक दलों की मनमोहक प्रस्तुतियों पर मुग्ध राष्ट्रपति ने उन्हें बढ़ावा देने की जोरदार वकालत की।

उन्होंने कहा कि हमारे संस्कृति वाहक वन के फूल जैसे हैं, ये लोगों को सुशोभित तो करते हैं, लेकिन अंजाने में पेड़ों से झड़ जाते हैं। हम लोगों का कर्तव्य है कि इन्हें संरक्षित, विकसित, सशक्त करें। क्योंकि इन लोगों की संस्कृति बनावटी नहीं है।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के दौरान राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) भी मुग्ध दिखे। हर प्रस्तुति का वह पूरी दिलचस्पी के साथ आनंद ले रहे थे। उपस्थित गणमान्य अतिथियों ने लोकनृत्यों पर खूब तालियां बजाईं।

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