बड़ी ख़बर : स्थानांतरण सत्र शून्य करने के सरकार के फैसले से शिक्षकों में रोष..अब सरकार से कर रहें हैं यह मांग..

ख़बर शेयर करें

देहरादून-कोरोनाकाल में तबादला सत्र शून्य घोषित किए जाने से शिक्षकों में भारी रोष है। शिक्षकों ने सरकार से शिक्षा विभाग के लिए अनुरोध के आधार पर स्थानांतरण की प्रक्रिया जारी रखने की मांग की है। शिक्षकों का कहना है कि फिलहाल कागजी कार्रवाई पूरी कर ली जाए। स्थिति सामान्य होने पर शिक्षक ज्वाइनिंग ले लेंगे।कोरोना के चलते यह लगातार दूसरे वर्ष सरकार ने तबादला सत्र शून्य करने का फैसला लिया है। हालांकि, पिछले साल तबादला एक्ट की धारा 27 ( गंभीर बीमारी, दांपत्य आदि) के तहत आवेदन की छूट दी गई थी। लेकिन, शिक्षा विभाग में प्रदेश भर से आए 1200 आवेदनों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब दोबारा तबादला सत्र शून्य होने से शिक्षकों का आक्रोश बढ़ गया है। राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष केके डिमरी ने कहा कि सरकार तबादला एक्ट को एक उपलब्धि बताती रही है, लेकिन तबादला एक्ट बनने के बाद से एक बार भी एक्ट के अनुसार स्थानांतरण न कर पाना वर्तमान सरकार की असफलता है।प्रत्येक वर्ष किसी न किसी कारण को बताकर सरकार स्थानांतरण, पदोन्नति टालने का काम करती रही है। इस बार भी वित्त की कमी एवं परिस्थितियों का हवाला दिया जा रहा है। जबकि अनुरोध की श्रेणी के सभी (पारस्परिक, गंभीर बीमार, दांपत्य, दुर्गम से सुगम) स्थानांतरण, धारा 27 और अंतर मंडलीय तबादलों में एक्ट के अनुसार वित्त की कोई आवश्यकता नहीं है। राजकीय शिक्षक संघ शिक्षकों से बिना किसी वार्ता के लिए गए इस तरह के निर्णय का पुरजोर विरोध करता है।

डॉ. सोहन सिंह माजिला (प्रदेश महामंत्री, राजकीय शिक्षक संघ) का कहना है कि कई शिक्षक 15 से ज्यादा साल से दुर्गम में सेवाएं दे रहे हैं। अब जब उनके सुगम में स्थानांतरण का समय आया है तो सरकार इसमें अड़ंगा लगा रही है। सरकार को शिक्षा विभाग के तबादले पर रोक नहीं लगानी चाहिए। वहीं केवल 10 फीसद कर्मचारियों के तबादले के नियम को भी हटाना चाहिए, ताकि सभी शिक्षकों को समान अवसर मिल सकें।
दिग्विजय सिंह चौहान (प्रदेश अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ) का कहना है कि सरकार चंद लोग के लाभ के लिए हर कर्मचारी पर फैसले नहीं थोप सकती। सत्र शून्य करने से पहले शिक्षकों एवं कर्मचारियों से कोई राय तक नहीं ली गई। 15- 20 सालों से दुर्गम में सेवाएं दे रहे शिक्षकों को ध्यान में रखते हुए सरकार को तत्काल शिक्षा विभाग के तबादलों से रोक हटा देनी चाहिए।
राजेंद्र बहुगुणा (प्रदेश महामंत्री, प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ) का कहना है कि पहले कार्मिकों से आवेदन मांगे गए, अब कोरोनाकाल में वित्तीय समस्या का हवाला देते हुए तबादला सत्र ही शून्य कर दिया गया है। सरकार शिक्षकों के साथ छलावा कर रही है। शिक्षकों को तबादलों से वंचित रखना उचित नहीं है। शिक्षकों के लिए अनुरोध के आधार पर तबादले होने चाहिए।

लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -

👉 Join our WhatsApp Group

👉 Subscribe our YouTube Channel

👉 Like our Facebook Page