CBI की छापेमारी में नवजातों की खरीद फरोख्त के सिंडिकेट का खुलासा हुआ है. CBI ने दिल्ली और हरियाणा में 7 जगहों पर छापेमारी की है. जिसमें अबतक 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. बताया जा रहा है कि नवजात बच्चों की खरीद फरोख्त के पीछे एक गिरोह का हाथ है. जिसका कनेक्शन पूरे भारत में है. गिरफ्तार किए गए सात आरोपियों में पांच महिलाएं हैं. जो दिल्ली के अलग- अलग इलाकों से आती हैं. इसके अलावा एक शख्स हरियाणा और एक दिल्ली के पटेल नगर से गिरफ्तार हुआ है।
बच्चा खरीदने फ्लैट पर बुलाया
ये छापेमारी 5 अप्रैल को देर शाम दिल्ली और NCR के अलग-अलग इलाकों में शुरू हुई. CBI ने दिल्ली के केशवपुरम में एक घर से दो नवजात बच्चों का रेस्क्यू किया है. इनमें दो लड़के हैं. एक डेढ़ दिन और दूसरा 15 दिन का है. आज तक से जुड़े हिमांशु मिश्रा और अरविंद ओझा की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के द्वारका में एक हॉस्पिटल में नीरज नाम का वार्ड बॉय काम करता था. जिसकी मुलाकात इंदू से हुई जो बच्चे गोद दिलवाने के काम में शामिल थी।
फिर इंदु और नीरज मिले राजेश नाम के शख्स से. राजेश की 15 साल की एक बेटी है. लेकिन उसे एक और बच्चा चाहिए था. इसके लिए इंदु और नीरज राजेश को दिल्ली में ही केशवपुरम में मौजूद एक फ्लैट पर ले गए. फ्लैट पर 15 दिन का बच्चा पहले से मौजूद था. इसके अलावा एक डेढ़ दिन का बच्चा इंदू और नीरज अपने साथ लेकर आए थे. ताकि राजेश अपनी पसंद का एक बच्चा खरीद सके. फिलहाल इन दोनों बच्चों को बचा लिया गया है।
CBI की अलग- अलग जगहों पर छापेमारी में अब तक 5 से ज्यादा बच्चों का रेस्क्यू किया जा चुका है. इनमें एक महीने की बच्ची भी शामिल है. सर्च ऑपरेशन के दौरान 5.5 लाख कैश, कई दस्तावेज सहित आपत्तिजनक सामान भी बरामद किये गए हैं.
एक बच्चे की कीमत 4 से 6 लाख
शुरुआती जांच से पता चला है कि आरोपी विज्ञापन,फेसबुक पेज, वॉट्सएप ग्रुप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों से जुड़ते थे. खासतौर पर उन लोगों से जो बच्चा गोद लेना चाहते हैं. कथित तौर पर ये आरोपी माता-पिता के साथ-साथ सरोगेट मां से भी बच्चे खरीदते हैं. फिर 4 से 6 लाख की कीमत पर एक बच्चे को बेचा जाता है. इन पर गोद लेने से जुडे़ फर्जी डॉक्यूमेंट्स बनाकर कई निःसंतान कपल से लाखों रुपये की ठगी करने का भी आरोप है।
रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में जैसे-जैसे जांच बढ़ेगी और भी गिरफ्तारियां संभव है. CBI की रडार पर कुछ अस्पताल और आईवीएफ सेंटर भी है. आरोप है कि नवजात बच्चों को अलग अलग घरों में लाकर बेचा जाता था. ये बच्चें अस्पतालों या मेडिकल सेंटर से लाए जाते थे या चोरी किए जाते थे इस बात की जांच जारी है।
CBI ने IPC के कई दंड प्रावधानों समेत किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत 10 आरोपियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया है. ये आरोपी बच्चे गोद लेने के साथ -साथ दूसरे अवैध कामों में भी शामिल थे।
अभी तक सीबीआई की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक जानकारी या बयान जारी नहीं किया है। माना जा रहा है कि पूरी जांच-पड़ताल के बाद इस मामले के चाइल्ड ट्रैफिकिंग के किसी बड़े नेटवर्क के होने का खुलासा हो सकता है। इसके बाद कई और लोगों की गिरफ्तारियां हो सकती है। ऐसा बताया जा रहा है कि हिरासत में लिए गए लोग अस्पतालों से नवजात बच्चे चोरी करवाते थे और फिर उन्हें मोटी रकम में जरूरतमंद दंपतियों को आगे बेच देते थे।
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