उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में हुए पेपर लीक मामलों की जांच सी.बी.आई.से कराये जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए
राज्य सरकार, सी.बी.आई.सहित डी.जी.पी.को नोटिस जारी कर 11 जुलाई तक सरकार से जवाब पेश करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को तय की है। न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रदेश में बार बार परीक्षाओं में घपला क्यों हो रहे हैं ?
मामले के अनुसार देहरादून निवासी विकेश सिंह नेगी ने उच्च न्यायलय में जनहित याचिका दायर कर कहा कि राज्य में पिछले कुछ दिनों से छात्र यू.के.ए.सी.सी.पेपर लीक होने के कारण सड़कों पर हैं और पुलिस बेरोजगारों युवाओं पर लाठीचार्ज कर रही है। सरकार इस मामले में चुप है। छात्रों को जेल भेज दिया गया। सरकार पेपर लीक कराने वालों के खिलाफ तो कोई ठोस कदम उठा नहीं रही है लिहाजा इस मामले की जाँच सी.बी.आई.से कराई जाय।
याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि लोकल पुलिस और एस.टी.एफ.पर उनका विश्वास नहीं है। सरकार की परीक्षा कराने वाली यू.के.एस.सी.सी.ने बी.डी.ओ.भर्ती, लेखपाल भर्ती और पटवारी भर्ती की परीक्षाएं कराई है तीनों परीक्षाओ के पेपर लीक हुई है वहीं यू.के.पी.सी.एस.परीक्षाओ में भी घपला हुआ है। जनहित याचिका में हिमांचल में कॉस्टेबल भर्ती की सी.बी.आई.जांच हुई जिसके तार देहरादून हरिद्वार तक मिले। वहाँ की सरकार ने उसकी जाँच सी.बी.आई.से कराई। लेकिन यहाँ की सरकार इतने पेपर लीक होने के बाद भी इसकी जाँच सी.बी.आई.से नही करा रही है। जनहित याचिका में कोर्ट से प्राथर्ना की गई है कि इस मामले की जांच सी.बी.आई.से कराई जाये।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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