जोशीमठ संघर्ष समिति के आंदोलनकारियों को भाजपा उत्तराखंड के अध्यक्ष महेंद्र सिंह भट्ट द्वारा माओवादी बताए जाने की उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने निंदा की ।
उत्तराखंड के जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव को लेकर यहां के लोग पिछले लगभग 1 महीने से जुलूस, रैलियां और धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।लोगों की मांग है कि इस आपदा के कारण प्रभावित हुए लोगों को उनके भवनों की उचित मुआवजा राशि, स्थाई पुनर्वास दिया जाए। हालांकि आंदोलन के नेता अतुल सती के अनुसार सरकार मामले पर अभी तक सिर्फ और सिर्फ लीपापोती कर रही है। कुछ हद तक छोटे-मोटे कार्य होना शुरू हुए हैं, वह आंदोलन के दबाव का प्रभाव है। उन्होंने कहा कि जोशीमठ हमारी जन्मभूमि तो है ही, साथ ही साथ ऐतिहासिक धरोहर है। इस ऐतिहासिक नगरी में पड़ी दरारों की तस्वीरें और रोते बिलखते परिवारों की आवाजे दिल्ली जंतर मंतर पर पहुंच गई है। उत्तराखंड के लोगों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर बैठकर जोशीमठ की आवाज को बुलंद किया है।
जोशीमठ संघर्ष समिति के आंदोलनकारियों को माओवादी बताए जाने की उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने आज कड़ी निंदा की। उन्होंने आज जंतर मंतर पर जोशीमठ के आंदोलनकारियों पर भाजपा अध्यक्ष द्वारा निशाना साधे जाने के विरुद्ध तेज हमला बोलते हुए कहा कि यदि जोशीमठ के आंदोलनकारी माओवादी हैं तो वह स्वयं को आतंकवादी मानते हैं और सरकार चाहे तो उन्हें जेल भेज दे । उन्होंने कहा लोकतंत्र में अपनी मांगों के लिए गांधीवादी संघर्ष करना संविधान सम्मत है और सरकार को इस तरह की बयानबाजी से बचने के लिए अपनी पार्टी के नेताओं को कहना चाहिए। धीरेंद्र प्रताप ने आज फिर जोशीमठ त्रासदी के पीड़ित लोगों की मदद हेतु प्रधानमंत्री से 1000 करोड़ रुपए का पैकेज उत्तराखंड को दिए जाने की मांग उठाई। उन्होंने कहा वे श्याम स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा के शिष्य हैं जिन्हें कांग्रेस में रहते हुए भी वामपंथी कहा जाता था, जो कि उनकी मजदूरों और किसानों के पक्ष में विचारधारा को प्रतिबिंबित करती थी ।
उन्होंने कहा आज वामपंथ के नाम पर जोशीमठ के आंदोलनकारियों को चीन समर्थक। बताया जा रहा है और चरमपंथ का आरोप लग रहा है जो बहुत ही शर्मनाक दुर्भाग्यपूर्ण और उनकी देशभक्ति पर सवाल उठा रहा है। जोकि निंदनीय है और देश की एकता और अखंडता के लिए भी खतरनाक है। उन्होंने इस मौके पर जोशीमठ घटना के बाद एक महीना बीत जाने के बाद भी प्रधानमंत्री द्वारा उत्तराखंड दौरा किए जाने को नींदनीय बताया और कहा कि यदि गुजरात में घटना होती है तो प्रधानमंत्री अब तक चार बार गुजरात हो आते।
आज के इस सत्याग्रह को देश के जाने-माने चिंतक लेखक और पदमश्री प्राप्त डॉ शेखर पाठक ने संबोधित करते हुए इसे अंतर्राष्ट्रीय चिंता का विषय बताया और सरकार से जोशीमठ के पीड़ितों की तत्काल प्रभावी सहायता किए जाने की मांग की ।उन्होंने धीरेंद्र प्रताप कि इस बात का समर्थन किया कि पर्वतीय राज्यों के रखरखाव और विकास के लिए पृथक नीति बननी चाहिए ।
उल्लेखनीय है धीरेंद्र प्रताप ने उत्तर पूर्वी राज्यों की सात बहनों के साथ-साथ जम्मू कश्मीर हिमाचल और उत्तराखंड के लिए अलग से इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन बुलाए जाने और इन के विकास के लिए प्रथक नीति बनाए जाने की आज वकालत की ।इस सत्याग्रह को प्रमुख सोशल एक्टिविस्ट चारु तिवारी , वामपंथी विचारक पुरुषोत्तम शर्मा, पत्रकार सुनील नेगी, आयोजक वॉइस ऑफ माउंटेन के संयोजक जिज्ञासु, रमेश शेखर ,गीता रावत, प्रेमा धोनी, भूपेंद्र रावत ,कवी रमेश घिल्डियाल, बृज मोहन सेमवाल रोशनी चमोली समेत अनेक लोगों ने संबोधित किया और जोशीमठ के लोगों की सहायता हेतु केंद्र सरकार से फौरी सहायता भेजे जाने और वहां के आंदोलनकारियों को वामपंथी माओवादी बताए जाने की घोर आलोचना की।
दिन भर के सत्याग्रह में 300 से भी ज्यादा लोगों ने भाग लिया। बाद में एक ज्ञापन दिया गया जिसमें सरकार की उन योजनाओं को वापस लिए जाने की मांग की गई जिन बिजली परियोजनाओं के चलते और चैनलों के बनते आज जोशीमठ शहर के अस्तित्व पर ही खतरा पड़ गया है सभी नेताओं ने एनटीपीसी योजना को बंद किए जाने की मांग की और उत्तराखंड में पंचेश्वर बांध जैसे बड़े बांध बनाए जाने पर रोक लगाए जाने की मांग की।
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