उत्तराखंड में भी ‘गुलामी’ के प्रतीक चिह्न हटाने के साथ ही ब्रिटिशकाल के शहरों, स्थानों और सड़कों के नाम बदले जाएंगे. शहरों और सड़कों के नाम बदलने के सरकार के फैसले पर प्रदेश में सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने कहा है कि प्रदेश की सरकार जनता को गुमराह कर रही है, सरकार का ध्यान विकास की ओर होना चाहिए. प्रदेश में सड़कों की खस्ताहाली, अस्पतालों की बदहाली और स्कूलों की व्यस्थाओं को दुरुस्त करने पर सरकार ध्यान होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हैं.
इन शहरों में कई स्थानों के ब्रिटिशकालीन नाम
राज्य में लैंसडौन, मसूरी, देहरादून, नैनीताल और रानीखेत में सड़कों और स्थानों के नाम ब्रिटिशकालीन हैं, जिनमें अभी तक कोई बदलाव नहीं किया गया है. हाल में ही छावनी परिषद लैंसडौन ने लैंसडौन का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित किया था. बता दें कि अंग्रेजों के शासन के दौरान लार्ड लैंसडाउन भारत में अंग्रेज वायसराय थे और उन्हीं के नाम पर कालोंडांडा का नाम लैंसडौन रखा गया था.
सरकार के फैसले पर यह बोले कैबिनेट मंत्री
सीएम धामी ने शनिवार को कहा कि राज्य में जो भी गुलामी के प्रतीक हैं उन्हें बदला जाएगा और इसके लिए विभागों को रिपोर्ट बनाने कहा गया है. सीएम के इस फैसले पर कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा है कि ब्रिटेन ने हमारे ऊपर 200 सालों तक राज किया. ऐसे में उनके द्वारा बनाए गए कई कानून और नियमों को बदला गया है लेकिन अभी भी कई शहर और सड़कों का नाम उनके रखे हुए हैं जिन्हें सीएम धामी ने बदलने का निर्णय लिया है जो होना चाहिए.
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