हरिद्वार,देहरादून, नैनीताल के इन वन गांवों को मिलेगा राजस्व ग्राम का दर्जा..

ख़बर शेयर करें

www. gkmnews

ख़बर शेयर करें

उत्तराखंड के टोंगिया वन गांवों के लोगों के लिए राहत भरी बड़ी खबर सामने आ रही है प्रदेश सरकार अब उत्तराखंड के टोंगिया गांवों को राजस्व ग्राम घोषित करने जा रही है। ऐसा होने से प्रदेश के टोंगिया गांवों की हज़ारों की आबादी को राशनकार्ड से लेकर अन्य नागरिक सुविधाएं हासिल हो सकेंगी। सीएम के निर्देश पर इसके लिए काम भी शुरू हो गया है। 

राज्य के टोंगिया वन गांवों को राजस्व ग्राम बनाने की कवायद शुरू हो गई है। राजस्व विभाग को प्रस्ताव बनाने के लिए प्रशासनिक विभाग नामित कर दिया गया है। देहरादून, नैनीताल और हरिद्वार के जिलाधिकारियों को प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए गए हैं।

इस पूरी प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए ग्रामस्तरीय, खंडस्तरीय और जिलास्तरीय समितियों का गठन होगा।तीन से चार महीने के भीतर शासन को प्रस्ताव तैयार कर भेजे जाएंगे। इन प्रस्ताव पर मंथन करने के बाद शासन इन्हें केंद्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजेगा। मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने इस संबंध में पिछले दिनों बैठक ली थी। उन्होंने उत्तरप्रदेश में अपनाई गई प्रक्रिया के तहत प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए। सचिव राजस्व सचिन कुर्वे ने बैठक में लिए गए निर्णयों का कार्यवृत्त जारी कर दिया है।

राज्य के वन क्षेत्रों के आसपास पीढ़ियों से हजारों पर परिवार टोंगिया वन गांवों में निवास करते हैं। वन संरक्षण अधिनियम की वजह से इन गांवों में बुनियादी सुविधाएं मयस्सर नहीं हैं। बिजली, पानी, शिक्षा, सड़क आदि की सुविधा के लिए टोंगिया गांवों में निवासरत लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दशकों से वे राजस्व गांवों का दर्जा मांग रहे हैं।

राजस्व ग्राम के मानक पूरा करने वाले टोंगिया गांव

देहरादून जिला : सत्ती वाला, दलीपनगर, बालकुंवारी व चांडी

हरिद्वार : हरिपुर, पुरुषोत्तमनगर, कमलानगर

नैनीताल : लेटी, चोपड़ा व रामपुर

ये फायदा मिलेगा टोंगिया गांवों को 

राशनकार्ड, बिजली, पानी, शौचालय, स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा सहित सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ।

नैनीताल,हरिद्वार, देहरादून जनपदों के तीनों जिलाधिकारियों को ताकीद किया गया है कि वे वनाधिकार अधिनियम-2006, भारत सरकार की अधिसूचना 2008, संशोधित अधिसूचना 2012, व केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत ग्राम स्तरीय वनाधिकार, खंडस्तरीय समिति व जिलास्तरीय समिति का गठन करेंगे।

प्रस्ताव तैयार कर दो माह के भीतर खंडस्तरीय समिति को प्रस्तुत करना होगा। समितियों का प्रभागीय वनाधिकारी व समाज कल्याण अधिकारी आवश्यक निगरानी करेंगे। जिलाधिकारी पूरा पर्यवेक्षण करेंगे। एक माह में जिलास्तरीय समिति को प्रस्ताव देना होगा। जिलास्तरीय वनाधिकार समिति एक महीने के भीतर प्रस्ताव तैयार कर राजस्व परिषद को भेजेगी।

जनिये टोंगिया गांवों के बारे में…

टोंगिया उन श्रमिकों के गांव हैं जो 1930 में वनों में पौधरोपण के लिए हिमालयी क्षेत्र में लाए गए थे। आजादी से पहले इन श्रमिकों को वनों में स्थित गांवों को कई तरह की सुविधाएं भी हासिल थीं। 1980 के आसपास वन संरक्षण अधिनियम बनने के बाद इनके अधिकार खत्म हो गए और ये गांव भी संरक्षित वनों में घिर कर रह गए।

प्रमुख सचिव वन आर के सुधांशु ने बताया वन विभाग की ओर से टोंगिया वन गांवों के संबंध में सभी जानकारियां व जरूरी सूचनाएं जिलाधिकारियों को दे दी गई हैं। राजस्व विभाग को प्रशासनिक विभाग बनाया गया है। अब उसके स्तर पर प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। 

लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -

👉 Join our WhatsApp Group

👉 Subscribe our YouTube Channel

👉 Like our Facebook Page

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *