उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग की घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई को सुनवाई तय की है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार और याचिकाकर्ताओं को मूल्यांकन और राय के लिए अपनी रिपोर्ट केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) को सौंपने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में उत्तराखंड सरकार और मामले से जुड़े याचिकाकर्ताओं दोनों को अपनी-अपनी रिपोर्ट केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति के साथ साझा करने का निर्देश दिया। इस कदम का उद्देश्य घटना के व्यापक मूल्यांकन को सुविधाजनक बनाना है।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष सुनवाई में राज्य सरकार ने खुलासा किया कि पिछले साल नवंबर से उत्तराखंड में 398 जंगल की आग देखी गई, जिनमें से सभी को मानवीय गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।
राज्य सरकार ने पीठ को सूचित किया कि उसने जंगल की आग के संबंध में 350 आपराधिक मामले शुरू किए हैं, जिनमें 62 व्यक्तियों को संदिग्धों के रूप में नामित किया गया है। इसके अतिरिक्त सरकार ने कार्यवाही के दौरान एक अंतरिम स्थिति रिपोर्ट भी पेश की।
राज्य सरकार के अधिवक्ता ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक धारणा के बावजूद उत्तराखंड के वन्यजीव क्षेत्र का केवल 0.1 प्रतिशत हिस्सा आग से प्रभावित हुआ है, जिससे उन अफवाहों को खारिज कर दिया गया कि राज्य का 40 प्रतिशत हिस्सा आग की चपेट में था। वहीं, मामले की अगली सुनवाई 15 मई के लिए स्थगित कर दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीईसी (केंद्रीय उच्चाधिकार समिति) से दोनों पक्षों को दस्तावेज देने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता और वरिष्ठ वकील राजीव दत्ता ने राज्य सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि उत्तराखंड में जंगलों की आग इस कदर फैली है कि उसे पूरी दुनिया देख रही है। इसके चलते पांच लोगों की मौत हो चुकी है।
याचिका में भी बताया गया है कि उत्तराखंड में आग लगने की 398 घटनाएं हो चुकी हैं। 62 नामजद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। साथ ही मांग की गई है कि जंगलों की आग के लिए एक राष्ट्रीय नीति होनी चाहिए। बताते चलें कि राज्य के जंगलों में लगी आग ने सरकार की नींद उड़ा रखी है। सीएम धामी लगातार इस पर नजर बनाए हुए हैं और मॉनिटरिंग कर रहे हैं। इस बाबत उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक की। वनाग्नि की घटनाओं में लापरवाही सामने आने पर 10 वन कर्मियों के तत्काल निलंबन की कार्रवाई भी अमल में लाई गई है।
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