उत्तराखंड में इन छात्रों को स्कॉलरशिप का तोहफा..

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उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने बुधवार को प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों और सरकारी कॉलेजों में स्नातक और स्नातकोत्तर के मेधावी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजना को लागू करने पर अपनी सहमति दे दी. इस संबंध में बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में बैठक हुई. यह छात्रवृत्ति हर पाठ्यक्रम में प्रथम तीन स्थान हासिल करने वाले छात्रों को दी जाएगी. 

प्रदेश के मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधु ने संवाददाताओं को बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में यहां हुई बैठक में ‘मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा छात्रवृत्ति योजना’ को लागू करने पर सहमति दी गयी. उन्होंने बताया कि 2023-24 शैक्षणिक सत्र से लागू होने वाली योजना से राज्य विश्वविद्यालय और सरकारी कॉलेजों में किसी भी नियमित पाठ्यक्रम के स्नातक और स्नातकोत्तर छात्र लाभान्वित हो सकते हैं.

यहां जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, अपनी इंटरमीडिएट परीक्षा में 80 प्रतिशत या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले प्रथम वर्ष स्नातक पाठ्यक्रम के छात्रों को यह छात्रवृत्ति मिल सकती है. दूसरे और तीसरे वर्ष के छात्रों को पिछले साल 75 प्रतिशत उपस्थिति पूरी होने तथा कम से कम 60 प्रतिशत अंक हासिल करने पर यह छात्रवृत्ति मिलेगी.

कितनी मिलेगी छात्रवृत्ति?
विज्ञप्ति के मुताबिक स्नातक पाठ्यक्रम में किसी विषय में पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वाले छात्रों को क्रमश: तीन हजार, दो हजार और डेढ़ हजार रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति मिलेगी. हालांकि, इसके लिए छात्रों को कम से कम 60 प्रतिशत अंक लाने जरूरी होंगे. संधु ने बताया कि अगर स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम दो साल का है तो पहले साल प्राप्त अंकों के आधार पर शीर्ष तीन स्थानों पर रहने वाले छात्रों को क्रमश: 5000, 3000 और 2000 रुपये प्रतिमाह की छात्रवृत्ति दी जाएगी.

उन्होंने बताया कि स्नातक पाठ्यक्रम के आखिर में पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाले छात्रों को एक मुश्त 35 हजार, 25 हजार और 20 हजार रुपये भी मिलेंगे. स्नातकोत्तर पाठयक्रम के आखिर में भी प्राप्तांकों का कुल प्रतिशत निकाला जाएगा तथ प्रथम तीन स्थानों पर रहने वाले छात्रों को एक मुश्त प्रोत्साहन राशि के रूप में 60 हजार, 35 हजार और 25 हजार रुपये दिए जाएंगे. पात्र छात्रों को छात्रवृत्ति प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिए दो किश्तों में दी जाएगी.इस योजना से राज्य सरकार के खजाने पर सालाना 17 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा.

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