उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने दून वैली में बिना मास्टर प्लान और पर्यटन विकास बोर्ड के गठन के बगैर हो रहे अवैध निर्माण संबंधी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और केंद्र सरकार से पूछा है कि दून वैली को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए अभीतक कितना बजट खर्च हुआ ?
न्यायालय ने पूछा है कि दून वैली का मास्टर प्लान के तहत विकास करने के लिए क्या प्लान बनाये गए हैं, इसपर केंद्र और राज्य दोनों डिटेल शपथपत्र पेश करें। मामले की अगली सुनवाई आठ दिसम्बर के लिए तय की गई है।
मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने पर्यटन सचिव से भी अगली तिथि को न्यायालय में उपस्थित होने को कहा है। आज सुनवाई पर राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि न्यायालय के आदेश पर राज्य सरकार ने पर्यटन विकास बोर्ड के गठन का प्रपोजल केंद्र सरकार को 4 अक्टूबर को भेज दिया गया है, इसमें केंद्र की संस्तुति आनी बांकी है।
मामले के अनुसार दिल्ली निवासी आकाश वशिष्ठ ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा कि केन्द्र सरकार का 1989 का नौटिफिकेशन होने के बाद भी उत्तराखंड सरकार ने अबतक ना तो पर्यटन गतिविधियों के लिये कोई टूरिज्म डेवलपमेंट प्लान तैयार किया और ना ही लैंड़ यूज के लिए मास्टर प्लान बनाया है ।
जिसके चलते दून वैली कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रही है। इसका दुष्प्रभाव नदियों, जलस्रोतों और जंगलों पर पड़ रहा है। याचिकाकर्ता ने न्यायालय से प्रार्थना की है कि देहरादून में टूरिज्म डवलपमेंट प्लान और मास्टर प्लान के तहत ही दून वैली में विकास कार्य किए जाएं।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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