सहेजें धरोहर : रक्षा बंधन में अपने भाई के लिए बेहद खूबसूरत ऐपण फाइन आर्ट से बनी पूजा की राखी खरीदें…
उत्तराखंड में लोक कला ऐपण को राखी में उतार रही है पूजा पडियार । दीवाली, करवा चौथ और कृष्ण जन्माष्टमी पर झूला समेत राखी व अन्य महोत्सवों पर वो ऐपण के सामान बनाती हैं ।
उत्तराखंड के भीमताल में रहने वाली एक बेटी ने न केवल लोक कला को बढ़ावा दिया है बल्कि पूजा पडियार नाम की इस छात्रा ने स्वरोजगार अपनाकर अपने को आर्थिक रूप से शसक्त बनाने का प्रयास भी किया है। गेरू और बिस्वार(चावल का आटा)से बनाए जाने वाले ऐपण को पूजा राखियों में उतार रही है। पूजा की कला देखने लायक है। पूजा कहती हैं कि इस सुंदर लोक कला को विश्व पटल पर पहचान दिलाने के लिए वो लगातार काम कर रही हैं।
मूल रूप से ओखलकांडा ब्लॉक के भीड़ापानी की रहने वाली पूजा पडियार एक आर्टिस्ट है। पूजा, पिछले 16 वर्षों से अपने परिवार के साथ भीमताल में रह रही है। पूजा के पिता सुरेंद्र सिंह पडियार भारतीय फौज से रिटायर्ड हैं और माता एक ग्रहणी हैं। पूजा के दो बड़े भाई बहन हैं जिसमे बड़ी बहन एक टीचर और भाई आर्मी में है। केंद्रीय विद्यालय भीमताल से शिक्षा लेने के बाद पूजा, नैनीताल के डी.एस.बी.कैंपस से फाइन आर्ट्स में ग्रेज्युएशन कर रही हैं ।
पूजा बताती हैं कि बचपन से ही उनका कला के प्रति काफी रुझान रहा है और काफी प्रतियोगिताएं भी उन्होंने जीती हैं। पूजा बीते चार-पांच वर्षों से इस कला को लगातार आगे बढ़ाने का काम कर रही हैं। पूजा का ये भी कहना है कि उन्हें ऐपण राखी के कई आर्डर मीले जिससे उन्हें उम्मीद है कि इस कला का प्रचार प्रसार हुआ है । इससे पहले भी घर के बाहर लगने वाली पूजा के हाथों बनी नेम प्लेट, जिले में लड़कियों के नाम पर बनाकर सरकार द्वारा बांटी गई थी । पूजा को आम जनता में इस नई पहल से उत्साह बढ़ने की उम्मीद है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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