हल्द्वानी में सद्भावना सम्मेलन – “नफरत नहीं रोजगार दो”.. जन संगठनों ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

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हल्द्वानी : प्रदेश में उफान मार रहे सांप्रदायिकता के ज्वार के खिलाफ रविवार को प्रदेश भर के जनवादी कार्यकर्ताओं का “सद्भावना सम्मेलन” बुद्ध पार्क में शुरू हो गया है।सर्वोदई नेता भुवन पाठक व वन पंचायत मोर्चा के तरुण जोशी के संचालन में आरंभ इस सम्मेलन का शुभारंभ सांस्कृतिक टीम द्वारा सांप्रदायिक विरोधी गीत के साथ किया गया।

अंबेडकर फाउंडेशन के जीआर टम्टा के नेतृत्व में संविधान की प्रस्तावना का पाठ कर, इसकी रक्षा की शपथ ली गई।सम्मेलन में मुख्य वक्ता के तौर पर चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल ने प्रदेश भर में सरकार की शाह पर चलाए जा रहे सांप्रदायिक प्रोपेगंडा की पोल खोली।समाजवादी लोकमंच के मुनीष कुमार ने पुलिस प्रशासन पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अनुषांगिक संगठन के तौर पर काम करने का आरोप लगाया।

वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोचन भट्ट ने पुरोला की जमीनी स्थिति का

जिक्र करते हुए कहा कि प्रदेश के युवाओं को रोजगार देने में असफल सरकार युवाओं को हिंदू मुस्लिम झगड़े में फंसाकर अपने निकम्मेपन को ढकना चाहती है।सम्मेलन में तमाम संगठनों से जुड़े बुद्धिजीवियों ने प्रदेश के मौजूदा हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए लोकतंत्र के लिये खतरा बताया है।

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नफरत नहीं, रोज़गार, सद्भावना, कानून का राज चाहिए – राज्य के विपक्षी दलों एवं जन संगठनों ने आवाज़ उठाई, प्रदेश भर में आंदोलन का एलान

आज हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में उत्तराखंड के विभिन्न जन संगठनों, राजनीतिक दलों और जन मुद्दों से जुड़े हुए लोगों के द्वारा राज्य में कौमी एकता को कायम करने हेतु सद्भावना सम्मेलन का आयोजन किया गया। “नफरत नहीं, रोज़गार दो”, “संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ,” और अन्य नारों के साथ कांग्रेस, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, CPI, CPI (M), CPI(ML), AAP और अन्य दलों के प्रतिनिधियों के साथ जन संगठनों के प्रतिनिधि एवं सैकड़ों आम लोग एकत्र हुए।

राज्य में लगातार आपराधिक तरीकों द्वारा धर्म के आधार पर निर्दोष लोगों को निशाना बनाने के खिलाफ और अल्पसंख्यक एवं दलित समुदाय पर बड़ते हुई अत्याचार की निंदा करते हुए प्रतिभागियों ने कहा कि सरकार राज्य में कानून का राज फिर स्थापित कर जनहित की नीतियां, जैसे रोज़गार की योजनाएं, वन अधिकार कानून, इत्यादि पर काम करे। कांग्रेस के राज्य अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि जोशीमठ की त्रासदी से ले कर अंकिता हत्याकांड तक, राज्य के सब तबके असुरक्षित हैं। लेकिन सरकार सिर्फ नफरती और सांप्रदायिक प्रचार कर रही है। CPI(ML) के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि “लव जिहाद” और “लैंड जिहाद” जैसे शब्दों द्वारा अपराधों को सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है, जबकि इन बातों का न कोई सबूत है और न ही कोई डाटा; और बहुत ऐसी घटनाएं झूठी भी साबित हो गयी हैं। उत्तराखंड लोक वाहिनी के अध्यक्ष राजीव लोचन साह ने कहा कि राज्य की इतिहास और संस्कृति में यह नफरत कभी नहीं रही जिसको आज कल झूठों के आधार पर फैलाया जा रहा है। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष PC तिवाड़ी ने कहा कि सरकार के कदमों में लगातार धार्मिक भेदभाव दिख रहा है, जिसके द्वारा ऐसा माहौल खड़ा करने की कोशिश की जा रही है जहाँ सरकार राज्य के सारे संसाधन बड़ी पूंजीपतियों को बेच सके।

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सम्मेलन में आयोजकों ने तय किया कि इसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए श्रीदेव सुमन के शहादत दिवस के अवसर 25 जुलाई को उनके गांव जौल में तमाम संगठनों के प्रतिनिधि आम नागरिकों के साथ प्रजातंत्र दिवस को मनाएंगे। उस दिन ऐसे ही कार्यक्रम प्रदेश भर में भी आयोजित किये जायेंगे। फिर भारत छोडो आंदोलन की बरसी 9 अगस्त को देहरादून में इन्ही मुद्दों पर कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा और प्रदेश भर में आवाज़ उठायी जाएगी। इस बीच में नफरत नहीं, रोज़गार दो के मुद्दे पर प्रदेश भर में हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जायेगा।

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सम्मेलन को हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदयेश, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के महासचिव प्रभात ध्यानी, समाजवादी लोक मंच के मुनीश कुमार, स्वतंत्र पत्रकार त्रिलोचन भट्ट, CPI के राष्ट्रीय कौंसिल सदस्य समर भंडारी, CPI(M) के राज्य सचिव राजेंद्र नेगी, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, उत्तराखंड सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष इस्लाम हुसैन, क्रन्तिकारी लोक संगठन के PP आर्य, पीपल्स साइंस मूवमेंट के विजय भट्ट, SFI के हिमांशु चौहान, रचनात्मक महिला मंच के अजय जोशी, वरिष्ठ आंदोलनकारी बच्ची सिंह बिष्ट, वन गुज्जर ट्राइबल युवा संगठन के मोहम्मद इशाक, और अन्य वक्ताओं ने भी सम्बोधित किया। सद्भावना समिति उत्तराखंड के भुवन पाठक और वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के तरुण जोशी ने कार्यक्रम का संचालन किया और उत्तराखंड महिला मंच की उमा भट्ट ने अध्यक्षता की।

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