रेस्क्यू अपडेट : पहली बार सामने आया सुरंग में फसे मज़दूरों का फुटेज,ड्रीलिंग शुरू

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देहरादून: सिलक्यारा टनल हादसे में फसे मज़दूरों की वीडियो पहली बार कैमरे के ज़रिए सामने आई है बड़ी राहत की बात ये है तस्वीरों में मज़दूर सुरक्षित दिखाई दे रहे हैं। बताते चलें उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा-बारकोट के बीच बन रहे सुरंग में हुए हादसे को हुए 10 दिन हो गए हैं। अंदर फंसे मजदूरों को बचाने का अभियान अभी तक जारी है। सोमवार देर रात छह इंच के पाइप से उन तक खिचड़ी पहुंचाने में सफलता मिली और फिर वॉकी-टाकी के जरिए बात की कोशिश भी की जा रही है। अंदर का फुटेज पहली बार सामने आया है। इस बीच वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए मशीन भी पहुंच गई है।

पहली बार सामने आया अंदर फंसे मजदूरों का फुटेज

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उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे मजदूरों तक पाइप के जरिए खाना पहुंचाया जा रहा है। रात को खिचड़ी के बाद सुबह नाश्ता तैयार कर भेजा गया। साथ ही वॉकी टॉकी के जरिए उनसे संपर्क का प्रयास भी किया जा रहा है। एनएचआईडीसीएल टनल के भीतर मजदूरों के लिए एस्केप टनल बना रहा है, जिसका काम अंतिम चरण में है। सुरंग के भीतर की मिट्टी कई जगह पर काफी भुरभुरी है और कई जगहों पर हल्का पानी भी भरा हुआ है। जिसकी वजह से भूस्खलन का खतरा भी बना हुआ है।

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सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू अभियान में सहयोग करने के भारत सरकार के आग्रह पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के टनल विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स भी सिलक्यारा पहुंचे हुए हैं। वह मिशन मोड में काम में जुटे हैं।



जिस क्षेत्र में मजदूर फंसे हुए हैं, वह 8.5 मीटर ऊंचा और दो किलोमीटर लंबा है। इसमें सुरंग का निर्मित हिस्सा शामिल है जहां कंक्रीटिंग का काम पूरा हो गया है, जिससे श्रमिकों को सुरक्षा मिल रही है।
तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी), सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएनएल), रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल), राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) और टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (टीएचडीसीएल) को जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।

पूरी रात चला रेस्क्यू ऑपरेशन

उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग के ढहने से 41 मजदूर अभी भी अंदर ही फंसे हुए हैं. मजदूरोें को सुरक्षित बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा है. आज दसवां दिन है. बचाव दल सुरंग के अंदर CCTV कैमरा डालकर मजदूरों की गिनती कर रहे हैं।

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अब तक, मजदूरों को पाइप के जरिए मुरमुरे, चना और सूखा मेवा जैसा खाना भेजा जा रहा था. अब 6 इंच का पाइप सुरंग के अंदर डाला गया है. इसके बाद सोमवार, 20 नवंबर को प्रशासन ने केला, सेब, दलिया और खिचड़ी जैसा भोजन मजदूरों को भेजा।

साथ ही, मजदूरों तक फोन और चार्जर भी भेजने की योजना बन रही है. ताकि मजदूर खुद को व्यस्त रख सकें. अधिकारियों की मानें तो, बंद जगह होने के कारण अंदर ठंडी या मच्छरों की समस्या नहीं है. अधिकारियों ने कहा है कि मजदूरों के पास पानी की व्यवस्था है।

इससे पहले, श्रावस्ती के 6 मजदूरों से वहां के आपदा विशेषज्ञ अरुण कुमार मिश्रा ने बात की थी. सभी 6 मजदूरों ने लगभग एक ही बात दोहराई, बाहर निकालिए, हालत खराब है. मजदूरों का कहना था कि अंदर खाने-पीने की व्यवस्था तो है लेकिन सबकी हालत खराब है।

कई मीडिया रिपोर्ट्स से भी पता चलता है कि मजदूरों और उनके परिजनो की नाराजगी बढ़ती जा रही है. 12 नवंबर को उत्तराखंड की निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग ढह गई थी. टनल में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के मजदूर फंसे हुए हैं।

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