दून में पसरा तनाव तो हल्द्वानी में हल्ला बोल,कल होगा बड़ा खुलासा

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उत्तराखंड युवा एकता मंच के आवाहन पर बुद्ध पार्क हल्द्वानी में दर्जनों छात्र छात्राओं ने एकत्रित होकर भर्ती घोटाले पर सीबीआई जांच की मांग को लेकर जमकर हल्ला बोला । इस दौरान युवा पक्ष-विपक्ष सब पर जमकर गरजे।वहीं सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कल प्रदर्शन के दौरान भर्ती परीक्षा घोटाले को लेकर हो सकता है बड़ा खुलासा खुलेंगी बड़े खेल की परतें।


इस दौरान युवाओं ने एक सुर में आवाज बुलंद करते हुए कहा कि जब तक आयोग भर्ती परीक्षाओं को कराने में सक्षम नहीं हो जाता,आयोग की पूर्ण रूप से जांच होकर आयोग की सफाई नहीं हो जाती तब तक कोई भी भर्ती परीक्षा आयोजित ना की जाए । सरकार जल्दबाजी में परीक्षाएं करा रही है और वह परीक्षाएं लीक होने के बाद बार-बार युवाओं को पेपर देकर मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है।


ऐसे में युवाओं का भविष्य अधर में लटका हुआ है वहीं इस दौरान देहरादून में हुए युवाओं की गिरफ्तारी सहित मुकदमा को तत्काल रद्द कर सभी को तत्काल रिहा करने की मांग की गई । इस दौरान युवाओं में पुलिस की दमनात्मक कार्यवाही के खिलाफ भी बहुत भारी आक्रोश देखने को मिला व उत्तराखंड युवा एकता मंच के संयोजक पीयूष जोशी द्वारा सरकार को व प्रशासन को संविधान की मूल प्रति को पढ़ते हुए अनुच्छेद 19 बी का हवाला देते हुए कहा कि “सबको बिना शस्त्र कहीं भी एकत्रित होने का अधिकार है”। जो लाठियां देहरादून में छात्रों पर बरसी वो छात्रों पर नहीं संविधान की मूल आत्मा पर बरसी है।


साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा खुद ही भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों के लिए “विसलब्लोअर संरक्षण अधिनियम 2014” पारित किया गया है पर देहरादून में जो हुआ उल्टा विसलब्लोअर्स को सुरक्षा प्रदान करने की बजाय उन पर लाठियां भांजी गई ।
जो ना तो संवैधानिक रूप में सही था ना ही व्यवहारिक रूप में इसको लेकर मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग व अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में भी अपील दायर की जाएगी व दोषी अधिकारियों पर भी कड़ी कार्यवाही की मांग की जाएगी साथ ही आंदोलन में अवांछित तत्वों द्वारा किए गए उपद्रव को भी चिन्हित करते हुए उन्हें भी दण्डित करने की मांग की है।
इस दौरान आंदोलन के आगे की रणनीति पर चर्चा करते हुए उत्तराखंड युवा एकता मंच ने ऐलान किया कि अब जब तक कि भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच नहीं हो जाती तब तक के लिए अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन का ऐलान किया ।


वही इस दौरान प्रशासन को चेतावनी हुए युवाओं ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर धरना प्रदर्शन से प्रशासन नहीं मानेगा तो इसको अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन,क्रमिक अनशन व आमरण अनशन में बदला जाएगा।
सरकार को उत्तराखंड युवा एकता मंच ने 10 दिनों का समय दिया है कि 10 दिनों के भीतर सीबीआई जांच शुरू करवाई जाए अन्यथा एक महा उग्र आंदोलन पूरे कुमाऊं वर्ष में देखने को मिलेगा इस दौरान विभिन्न संगठनों के लोग भी युवाओं को समर्थन देने पहुंचते नजर आए।


संयोजक पीयूष जोशी ने कहा युवाओं के साथ सरकार छलावा कर गई है पहले आयोग को भर्ती कराने के लिए सक्षम बनाया जाए ।
उसके बाद ही कोई भर्ती परीक्षा आयोजित की जाए ।
अगर सभी भर्तियों को तत्काल देकर पहले आयोग को सशक्त नहीं बनाया जाता तो पूर्व में आयोजित महाक्रोश रैली,गोल्ज्यू न्याय यात्रा के समान पूरे प्रदेश भर में एक व्यापक जन आंदोलन की शुरुआत की जाएगी,सरकार को समझना होगा अब युवा जाग चुका है व बहिन सीबीआई के मानने वाला नही है।

युवा आज जाग चुका है, आज युवाओं को अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी आज भी युवा इस संशय में है कि उसे परीक्षा देनी चाहिए या विरोध करना चाहिए ।
युवाओं को एक बात साफ होनी चाहिए कि जब तक भर्ती कराने वाली एजेंसी ही भर्ती कराने लायक नहीं है तो योग्य उम्मीदवार व मेहनत कोई मायने नहीं रखती।
अब युवाओं को अपनी लड़ाई के लिए व्यक्तिगत सत्याग्रह के लिए आगे आने की आवश्यकता है ।

  • राहुल पंत


हम पूरे कुमाऊं भर के छात्रों से आवाहन करते हैं कि बुद्ध पार्क में चल रहे अनिश्चितकालीन धरने का समर्थन देने अपनी किताबों के साथ आइए।
लाइब्रेरी में बैठकर आप पढ़ने की जगह सभी कल से बुद्ध पार्क में चल रहे धरने पर आकर रिवीजन करे ।
वहां बैठकर पड़ेंगे व चर्चा भी करेंगे, इससे न सिर्फ हमारी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी सुदृढ़ होगी
बल्कि आयोग में बैठे चोरों के मन में भी भय पैदा होगा।
इस बार हम लोग बिना सीबीआई के शांत बैठने वाले नहीं हैं।

  • भूपेंद्र कोरंगा

हम अन्य संगठनों की बात नहीं करते पर उत्तराखंड युवा एकता मंच की एक सूत्रीय मांग है की भर्ती घोटालों की सीबीआई जांच हो ।
अगर ऐसा नहीं होता तो कुमाऊं बंद का आवाहन करेंगे ,क्रमिक अनशन पर बैठेंगे और सरकार फिर नहीं मानी तो आमरण अनशन पर जाएंगे ,पर इस बार अपनी मांगे मनवा कर ही आंदोलन तोड़ेंगे ।
अब बिना सीबीआई के हम युवा झुकने वाले नहीं हैं।

-विशाल भोजक

पटवारी का आगामी 12 फरवरी को होने वाला एग्जाम व पीसीएस मुख्य परीक्षा को तत्काल रद्द किया जाए। आयोग का पुनर्गठन कर पहले आयोग को परीक्षा कराने योग्य बनाया जाए।
हमें विश्वास नहीं है कि यह पेपर भी शुचिता और ईमानदारी से होगा ।
हमारी मांग है यह है की पहले आयोग को भंग कर पुनर्गठन किया जाए उसके बाद ही परीक्षा हो ।
अन्यथा अभ्यर्थी परीक्षा का बहिष्कार करेंगे ।

मुद्दों से घिरी धामी सरकार के सामने बढ़ता युवाओं का आक्रोश..

भर्ती परीक्षार्थियों में धांधली की सीबीआई जांच की मांग सहित अन्य मुद्दों को लेकर राजधानी में आक्रोशित युवाओं का हुजुम सड़कों पर उतर आया। इन युवाओं का आंदोलन बीते रोज शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था लेकिन रात के समय पुलिस की आक्रामक कार्रवाई से मामला सुर्खियों में आ गया। पुलिस जिस तरह से आंदोलनकारियों को घसीट ले गयी उसका परिणाम पथराव और लाठीचार्ज के रूप में सामने आया।

इस तरह से हजारों की संख्या में युवाओं के आंदोलन में शामिल होने की पुलिस-प्रशासन को उम्मीद भी नहीं थी लेकिन इस भीड़ को देखते हुए प्रशासन के भी हाथ-पांव फूल गये। इस दौरान गुस्साये आंदोलनकारियों ने पुलिस पर जम कर पथराव किया तो वहीं पुलिस ने भी इन लोगों पर लाठीचार्ज करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।


छात्रों की क्या मांग?


उत्तराखंड में हुई भर्ती परीक्षाओं में धांधली को लेकर युवाओं में काफी समय से रोष पनप रहा था। बेरोजगार संगठन ने भर्तियों में हुई धांधली की सीबीआई जांच सहित अन्य मांगों को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के समक्ष भी रखी थीं। युवाओं की मांग है कि जिन अभ्यर्थियों ने पैसे दे कर पेपर खरीदे और पेपर दिए उन्हें इस परीक्षा में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। सरकार को इन परीक्षाओं को निरस्त कर देना चाहिए। जब तक धांधली की सीबीआई जांच नहीं होती तब तक परीक्षाएं न करायी जाएं। वहीं बुधवार के देर रात आंदोलनकारियों को जबरन उठाने आये पुलिसकर्मियों के नशे में होने का आरोप भी युवाओं ने लगाया है। आंदोलनाकारियों ने उन पुलिसकर्मियों को भी सस्पेंड करने की मांग उठायी है।

हालांकि धरने के दौरान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले यही अपील करते रहे कि हमें प्रशासन से नहीं लड़ना है और न ही किसी तरह की अव्यवस्था फैलानी है। इसके बावजूद कुछ लोगों ने पथराव भी किया तो उनके कारण लाठीचार्ज भी हुआ।

छात्रों की बढ़ सकती है संख्या


इस उग्र आंदोलन के बाद भी अगर सरकार इन बेरोजगारों की मांग नहीं मानती है तो इनकी संख्या और भी बढ़ने की उम्मीद है। आज इतने लोग सड़कों पर थे तो संभवत: कल इनकी संख्या तिगुनी और चौगुनी भी हो सकती है। जो धामी सरकार के लिए सरदर्द भी बन सकती है। राज्य में भर्ती परीक्षाओं में धांधली एक के बाद एक खुलती जा रही है जिसको लेकर युवाओं में आक्रोश है। यदि यह आक्रोश इसी तरह से बना रहा था युवाओं का आंदोलन सरकार के गले की फांस बन जाएगा। पिछले दिनों हुए अंकिता भंडारी हत्याकांड में भाजपा नेता के पुत्र के शामिल होने, एक के बाद एक भर्ती परीक्षा के पेपर लीक होने, जोशीमठ भूधंसाव के कारण विस्थापितों को मुआवजा को लेकर आंदोलन आदि प्रकरणों के कारण वैसे भी सरकार की किरकिरी हो रही है।

इस आंदोलन में अपनी राजनीति चमकाने के लिए कांग्रेस, उत्तराखंड क्रांति दल, आम आदमी पार्टी के नेता भी पहुंचे लेकिन उनकी रोटियां नहीं सिंक पायी। युवाओं ने न तो अपने आंदोलन का नेतृत्व किसी को दिया न ही किसी से गुहार लगायी। उनका कहना था कि अगर युवा शक्ति एकजुट है तो सरकार को झुकना होगा।


आंदोलन में बैठे युवाओं का कहना था कि रात वे लोग शांतिपूर्ण तरीके से धरना दे रहे थे तब पुलिस ने उनके साथ बर्बर कार्रवाई की। उनके साथ में महिला अभ्यर्थी भी धरने पर बैठी हुई थी लेकिन जब पुलिस उनको उठाने के लिए आई तो उनके साथ महिला पुलिसकर्मी नहीं थीं। पुरूष पुलिसकर्मियों ने ही महिलाओं को भी वहां से हटाया। जो कि नियमविरूद्ध है। बेरोजगार संगठन के अध्यक्ष बॉबी पंवार को भी पुलिस मारते हुए जबरन वहां से उठा कर ले गयी। जिससे आज युवा भड़क गये।

वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा है कि विपक्ष के नेता युवाओं को दिग्भ्रमित कर भड़काने का काम कर रहे हैं। वे इस विषय पर सीएम धामी से चर्चा करेंगे और युवाओं को भड़काने वाले नेताओं पर कार्रवाई के लिए सीएम से मांग भी करेंगे।

अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और बेरोजगार संघ के सदस्यों के बीच हुई वार्ता

जिसके बाद सरकार ने बेरोजगार संघ की सभी मांगों पर गंभीरता से विचार करते हुए राज्य सरकार ने विभिन्न बिंदुओं पर कार्यवाही की है।

1-राज्य सरकार पटवारी भर्ती घोटाले की एसआईटी जांच को हाई कोर्ट के जज की निगरानी में कराएगी।

2-सीबीआई जांच की मांग को उत्तराखंड हाई कोर्ट द्वारा अस्वीकार किया जा चुका है। हाई कोर्ट पहले ही यह अवधारित कर चुका है कि जांच सही हो रही है इसलिए प्रकरण की सीबीआई नहीं करायी गई।

3-आंदोलनरत युवाओं की एक मांग पटवारी भर्ती में प्रश्नपत्र बदले जाने की थी। लोक सेवा आयोग पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि 12 फरवरी को होने जा रही पटवारी परीक्षा के प्रश्न पत्र नए सिरे से तैयार किए गए हैं।

4-सख़्त नकल विरोधी अध्यादेश को मंजूरी प्रदान की जा चुकी है।

5- राज्य लोक सेवा आयोग के परीक्षा नियंत्रक को हटा दिया गया है।


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