हल्द्वानी के पीलीकोठी निवासी कुशाग्र दुर्गापाल ने एनडीए परीक्षा में दूसरी रैंक प्राप्त कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। उनकी उपलब्धि पर परिजनों और क्षेत्रवासियों में खुशी की लहर है। उन्होंने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर अपनी खुशी का इजहार किया।
कुशाग्र ने अपनी आठवीं तक की पढ़ाई निर्मला कॉन्वेंट स्कूल से पूरी की। नवीं से 12वीं की पढ़ाई सैनिक स्कूल घोड़ाखाल से की। कुशाग्र के पिता ललित मोहन दुर्गापाल व्यवसायी और माता ललिता दुर्गापाल आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। कुशाग्र की बहन कौशाम्बी दुर्गापाल वनस्थली राजस्थान से बीए, बीएड कत्थक की पढ़ाई करती हैं। कुशाग्र ने अपनी सफलता का श्रेय गुरुजनों, माता-पिता और बड़ी बहन को दिया है।
कुशाग्र ने बताया कि सैनिक स्कूल में उन्हें वह माहौल मिला जिससे वह अपने लक्ष्य को पूरा कर पाए। कक्षा 12 वीं में एकेडमिक कैप्टन भी रहे। हॉकी, बैडमिंटन और फुटबॉल में भी उनकी रुचि है। 10 वीं में कुशाग्र ने लॉकडाउन के दौरान नेशनल टेलेंट सर्च एक्सीलेंस (एनटीएसई) की तैयारी की। पहली राज्य स्तरीय टेस्ट में उन्हें राज्य में तीसरी रैंक प्राप्त की। इसके बाद 11 वीं में सेकेंड स्टेज की परीक्षा में नेशनल स्तर पर भी मेरिट हासिल की। कुशाग्र ने बताया एनसीईआरटी की ओर से कराई जाने वाली एनटीएसई परीक्षा में उन्हें स्कॉलरशिप मिलनी चाहिए थी जो नहीं मिली।
कुशाग्र की कुशाग्र बुद्धि को देखते हुए उनकी शिक्षिका ने अभिभावकों को सैनिक स्कूल का फॉर्म भरवाने की बात कही थी। कुशाग्र की मां ललिता दुर्गापाल ने बताया कि जब कुशाग्र कक्षा पांचवी में था तब उनकी शिक्षिका रेनू भोज ने कुशाग्र को सैनिक स्कूल के लिए तैयारी करने की प्रेरणा दी। जिसके बाद से ही उन्होंने यह लक्ष्य तय कर लिया था और कक्षा आठवीं से सैनिक स्कूल के लिए कोचिंग कराई।
रानीखेत निवासी विवेक जोशी ने एनडीए की परीक्षा में ऑल इंडिया लेवल पर दसवीं रैंक हासिल की है। विवेक ने प्राथमिक शिक्षा रानीखेत के स्प्रिंग फील्ड स्कूल से ली। छह से 12वीं तक शिक्षा सैनिक स्कूल घोड़ाखाल से पढ़ाई की। विवेक का परिवार मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के गल्ला भस्यूड़ा का रहने वाला है। उनके पिता नायब सूबेदार कमलेश जोशी कुमाऊं रेजीमेंट में तैनात हैं और माता प्रभा जोशी गृहिणी हैं। विवेक के दादा कैलाश चंद्र जोशी ग्रामीण डाक सेवा से सेवानिवृत्त हैं और दादी हंसी देवी गृहिणी हैं। विवेक का भाई मोहित जोशी आर्मी स्कूल रानीखेत में है। विवेक ने अपनी सफलता का श्रेय गुरुजनों, माता-पिता, दादा-दादी और परिजनों को दिया है। उसकी सफलता पर परिजनों में हर्षोल्लास का माहौल हैं।
विवेक ने बताया कि उनके पिता आर्मी में हैं। इस वजह से उन्होंने आर्मी ज्वाइन कर देश सेवा करने को ही बतौर कॅरिअर चुना और एनडीए की तैयारी की। विवेक ने बताया कि एनडीए में बेहतर प्रदर्शन के लिए दो साल कड़ी मेहनत की। अगर लक्ष्य बनाकर मेहनत की जाए तो कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं है।
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