नैनीताल हाईकोर्ट : पूर्व डीएम द्वारा 50 करोड़ जुर्माना माफ करने के मामले में सचिव खनन तलब

ख़बर शेयर करें

www.gkmnews

ख़बर शेयर करें

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नैनीताल के पूर्व जिलाधिकारी को अपने कार्यकाल के दौरान कई स्टोन क्रेशरों के अवैध खनन और भंडारण पर लगाई गई 50 करोड़ से अधिक जुर्माने को माफ करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए राज्य के सचिव खनन को 3 सितंबर को सम्पूर्ण जाँच रिपोर्ट के साथ न्यायालय में उपस्थित होने को कहा है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ती राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने की।


हल्द्वानी के चोरगलिया निवासी भुवन पोखरिया ने बताया कि उन्होंने एक जनहित याचिका दायर कर न्यायालय से कहा कि वर्ष 2016-17 में नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी ने कई स्टोन क्रेशरों का अवैध खनन और भंडारण का 50 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि माफ कर दिया। जिलाधिकारी ने उन्ही स्टोन क्रेशरों पर जुर्माना लगाया जिनका जुर्माना कम था। इनका जुर्माना माफ नही किया गया। इसकी शिकायत मुख्य सचिव और सचिव खनन से की गई तो उसपर कोई कार्यवाही नहीं हुई जबकि यह कहा गया कि यह जिलाधिकारी का विशेषाधिकार है।

जब याचिकाकर्ता ने शासन से इसका लिखित रूप में जवाब मांगा तो आज की तिथि तक उन्हें इसका लिखित जवाब ही नहीं दिया गया। उन्होंने आर.टी.आई.से जाना कि जिलाधिकारी को किस नियमावली के अंतर्गत अवैध खनन और भंडारण पर लगे जुर्माने को माफ करने का अधिकार है।

औद्योगिक विभाग ने जवाब में कहा कि लोक प्राधिकार के अंतर्गत यह धारित नहीं है। जनहित याचिका में कहा गया है कि जब लोक प्राधिकार में यह अधिकार नहीं है तो जिलाधिकारी ने कैसे स्टोन क्रेशरों पर लगे करोड़ रुपये का जुर्माना माफ कर दिया ? जनहित याचिका में न्यायालय से मांग की गई है कि इसपर कार्यवाही की जाय, क्योंकि यह प्रदेश के राजस्व की हानि है।

वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती

लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -

👉 Join our WhatsApp Group

👉 Subscribe our YouTube Channel

👉 Like our Facebook Page