Gen Z के लिए मेंटल फिटनेस का नया तरीका बन रहे हैं स्किल गेमिंग प्लेटफॉर्म्स


आज का युवा भारत अपने प्राथमिकताओं को अच्छी तरह समझता है। देशआज का युवा भारत अपने प्राथमिकताओं को अच्छी तरह समझता है। देश के 63% Gen Z युवाओं का मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य और वेलनेस बहुत ज़रूरी है। ऐसे में यह कोई हैरानी की बात नहीं कि युवा अब अपने दिमाग को तेज़ रखने के लिए नए और क्रिएटिव तरीके ढूंढ रहे हैं। और गेमिंग से ज़्यादा क्रिएटिव और मज़ेदार तरीका और क्या हो सकता है?
चाहे रम्मी जैसे स्ट्रैटेजिक कार्ड गेम हों या मल्टीप्लेयर बैटल गेम्स, Gen Z अब ऐसे गेम्स चुन रहा है जिनमें स्किल और स्ट्रैटेजी की ज़रूरत होती है।
इस ट्रेंड ने एक नए कॉन्सेप्ट को जन्म दिया है – मेंटल जिम। यानी ऐसा डिजिटल स्पेस जो युवाओं को स्मार्ट बनाए, उनकी सॉफ्ट स्किल्स डेवेलप करे और उन्हें रिलैक्स भी कराए। आज के गेमिंग प्लेटफॉर्म्स Gen Z के इस नए रुख के हिसाब से खुद को ढाल रहे हैं। नतीजा? और भी ज़्यादा युवा इन प्लेटफॉर्म्स की तरफ आकर्षित हो रहे हैं, जिससे स्किल गेमिंग आज के टीनएजर्स और 20s वर्ष के युवा के लिए मेंटल फिटनेस का फेवरेट टूल बनता जा रहा है।
Gen Z और खेल का स्वास्थिकरण
Gen Z की सोच बाकी पीढ़ियों से अलग है। उनके लिए वेलनेस सिर्फ कोई एक्स्ट्रा एक्टिविटी नहीं, बल्कि डेली रूटीन का हिस्सा है। वो हेल्दी चीज़ों और एंटरटेनमेंट को अलग नहीं मानते, बल्कि दोनों को हैण्ड इन हैण्ड लेके चलते हैं।
आज के युवा घंटों मोबाइल पर वक्त बिताते हैं, लेकिन बस यूंही स्क्रॉल नहीं करते, कई बार वो स्ट्रेस कम करने के लिए गेम्स खेलते हैं। एक इंडस्ट्री सर्वे के मुताबिक, 74% Gen Z गेमर्स हर हफ्ते औसतन 6 घंटे मोबाइल गेम्स खेलते हैं। इनमें से 52% का मानना है कि गेमिंग उनकी मेंटल एजिलिटी (चुस्ती) बढ़ाती है। इंटरऐक्टिव डिजिटल एक्सपीरियंस पर पले-बढ़े इस जेनरेशन के लिए एक चैलेंजिंग गेम खेलना मेडिटेशन जैसा रिलैक्सिंग हो सकता है।
युवा गेमर्स वेलनेस (तंदुरुस्ती) और गेमिंग के बीच की रेखा को धुंधला कर रहे हैं, और इसलिए वे मनोरंजन और मानसिक स्वास्थ्य को साथ-साथ चलाने में कामयाब रहे हैं। ये मनोरंजन को सेल्फ-केयर और वेलनेस के अवसरों में बदलने का माइंडसेट ही नए ज़माने का ‘हैलथीफिकेशन’ है, जिसे हम आज देख रहे हैं।
ऐसे गेम्स जो ब्रेन को कराते हैं वर्कआउट
अगर आपने कभी रम्मी कैसे खेलते है सीखा है या चैस खेला है, तो आप जानते होंगे कि ये गेम्स ध्यान, याददाश्त और सोचने की क्षमता की परीक्षा लेते हैं। Gen Z यही जानती है और पसंद करती है।
ऐसे कई खेलों में पैटर्न, मूव्स (चालें) या कार्ड याद रखने की आवश्यकता होती है। रम्मी जैसे गेम्स में आपको याद रखना पड़ता है कि कौन से कार्ड्स खेले गए और कौन से बचे हैं। रेगुलर खेलने वालों की शॉर्ट-टर्म मेमोरी में धीरे-धीरे सुधार दिखता है क्योंकि गेम दिमाग को एक्टिव रखता है और उन्हें अपने प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स में जानकारी रखने के लिए प्रशिक्षित करता है। रम्मी में आपको सेकंड्स के अंदर फैसला करना पड़ता है कि कौन सा कार्ड उठाना है और कौन सा फेंकना। ऐसे गेम्स दिमाग की डिसीजन मेकिंग की प्रक्रिया को भी तेज़ करते हैं। ऐसे त्वरित निर्णय दिमाग को शांतिपूर्वक और जल्दी से इन्फॉर्मेशन को प्रोसेस करने के लिए प्रशिक्षित करते हैं।
कई Gen Z गेमर्स अब सोच-समझकर गेम्स का इस्तेमाल अपने दिमाग को तेज़ और चुस्त बनाने के लिए कर रहे हैं। कुछ स्किल-बेस्ड गेम्स पैटर्न पहचानने और प्रॉब्लम सॉल्व करने की क्षमता भी बेहतर करते हैं। समय के साथ, जो लोग अक्सर गेम खेलते हैं, उनमें संभावनाओं और रणनीतियों को समझने की लगभग सहज समझ विकसित हो जाती है। यही मल्टिडीमेंशनल (बहुआयामी) फायदे हैं जो युवा खिलाड़ियों को बार-बार वापस गेम की ओर खींच लाते हैं। उनका तर्क है कि जैसे दौड़ना या तैरना शरीर के लिए एक्सरसाइज़ है, वैसे ही स्किल गेम्स दिमाग के लिए मज़ेदार एक्सरसाइज़ हैं।
भारत में ब्रेन ट्रेनिंग का नया तरीका
चलिए अब ध्यान से इस मेंटल एक्सरसाइज वाले गेमिंग के ट्रेंड पर नज़र डालते है और इनकी तुलना पारम्परिक ब्रेन ट्रेनिंग के तरीको से करते है। स्मार्टफोन के टाइम से पहले, क्रॉसवर्ड्स, रूबिक क्यूब, और फिर सुडोकु पज़ल्स मेन्टल वर्कआउट के गो-टू साधन होते थे। ये ज़रूर है कि ये ऑप्शंस ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और याददाश्त को बेहतर करते है मगर ये कई बार एकांत में खेले जाने वाले और गतिहीन अनुभव साबित होते है।
इनके बाद ब्रेन-ट्रेनिंग ऐप्स जैसे कि Lumosity और Peak आए। ये खासतौर पर मेमोरी, ध्यान और प्रॉब्लम-सॉल्विंग स्किल्स को बेहतर बनाने पर फोकस करते हैं, लेकिन इन्हें खेलने का अनुभव ज़्यादा तर क्विज़ या होमवर्क जैसा लगता है, मज़ेदार नहीं। असल बदलाव तब आया जब स्किल-बेस्ड गेमिंग ऐप्स जैसे कि रम्मी, क्लैश ऑफ़ क्लैंस या फिर कंपटीटिव टेट्रिस जैसे गेम्स लोकप्रिय हुए। ये गेम्स मज़ेदार होते हैं, उनकी ग्राफिक्स दिलचस्प होती हैं, और सबसे बड़ी बात, इनमें सोशल कनेक्शन का भी एक एलीमेंट होता है।
उदाहरण के लिए, रम्मी टाइम (RummyTime) एक ऐसा गेमिंग ऐप है जिसे 2 करोड़ से ज़्यादा लोग खेलते हैं। बाकी रम्मी प्लेटफॉर्म्स पर भी इतनी ही बड़ी कम्युनिटी मौजूद है। इस तरह की ऑनलाइन गेमिंग कम्युनिटी एक डिजिटल दोस्ती और जुड़ाव का एहसास देती है, जो पुराने ब्रेन-ट्रेनिंग तरीक़े नहीं दे सकते। Gen Z गेमर्स के लिए यही डिजिटल कनेक्शन वो सबसे बड़ा फ़ायदा है, जो स्ट्रैटेजी और स्किल-बेस्ड गेमिंग की बहस में स्किल-बेस्ड गेमिंग के पक्ष को मजबूत करता है।
चुनौतीपूर्ण गेमप्ले में मज़ा ढूंढ रहा है युवा भारत
तो ऐसा क्या है जो स्किल गेमिंग प्लेटफॉर्म्स को एक असरदार दिमागी कसरत बना देता है? इसका जवाब उनके खास फीचर्स और डिज़ाइन में छुपा है। ये प्लेटफॉर्म जानबूझकर (और कई बार अनजाने में भी) इस तरह बनाए जाते हैं कि खिलाड़ी मानसिक रूप से चुनौती महसूस करें, और इसी प्रक्रिया में खिलाड़ियों का दिमाग तेज़ होता है।
उदाहरण के तौर पर, स्किल-गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर नियमित रूप से टूर्नामेंट्स होते हैं और ऐसे कंपेटिटिव मोड्स होते हैं जिनमें उभरते खिलाड़ी अपनी काबिलियत आज़मा सकते हैं। इन प्लेटफॉर्म्स पर लीडरबोर्ड्स भी होते हैं, जो विजेताओं को पहचान दिलाते हैं और हर जीत के बाद एक उपलब्धि का अहसास कराते हैं। मल्टीप्लेयर मोड, वॉयस चैट, इन-गेम चैट और गेमिंग फोरम जैसे कई सोशल फीचर्स गेमिंग माहौल को सहयोगी बनाते हैं, भले ही खेल में चुनौतियाँ हों। सबसे बड़ी बात यह है कि टेक्नोलॉजी के तेज़ी से विकास के साथ अब हमारे पास ऐसे स्किल-बेस्ड गेम्स हैं जिनमें एडैप्टिव AI होता है, यानी जैसे-जैसे खिलाड़ी बेहतर होते जाते हैं, वैसे-वैसे गेम भी और चुनौतीपूर्ण होता जाता है, जिससे उनकी मानसिक फिटनेस और भी बेहतर होती है।
जो लोग यह सोचते हैं कि यह बस स्क्रीन टाइम बढ़ाने का एक बहाना है, उनको डेटा से कुछ और ही बात पता चलेगी। आज के युवा खिलाड़ी खुद को लेकर जागरूक हैं। उन्हें पता है कि ज़्यादा गेमिंग के नुकसान क्या हो सकते हैं, और वे जानबूझकर इसके सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान दे रहे हैं। कई प्लेटफॉर्म्स ने भी बैलेंस की ज़रूरत को समझा है और जिम्मेदार गेमिंग को बढ़ावा दे रहे हैं, जैसे ब्रेक लेने का रिमाइंडर देना। कुछ स्किल गेमिंग प्लेटफॉर्म्स तो गेम्स की संख्या सीमित करते हैं या फिर ऐसे फीचर्स देते हैं जो लगातार खेलते रहने से रोकते हैं।
तो अगली बार जब आप एक युवा को रम्मी के या किसी और फ़ास्ट-पेसड स्ट्रेटेजी एप खेलते हुए पूरी तरह से ध्यान लगाए देखें, तो याद रखें की क्या पता वो सिर्फ अपना मेन्टल वर्कआउट कर रहे हो। भविष्य के जिम में, क्या पता ट्रेडमिल और डम्बल, वीआर हेडसेट और गेमिंग स्टेशनों के साथ जगह साझा करें। खेल के ज़रिए मानसिक तंदुरुस्ती का भविष्य बेहद रोमांचक और मज़ेदार लग रहा है। के 63% Gen Z युवाओं का मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य और वेलनेस बहुत ज़रूरी है। ऐसे में यह कोई हैरानी की बात नहीं कि युवा अब अपने दिमाग को तेज़ रखने के लिए नए और क्रिएटिव तरीके ढूंढ रहे हैं। और गेमिंग से ज़्यादा क्रिएटिव और मज़ेदार तरीका और क्या हो सकता है?
चाहे रम्मी जैसे स्ट्रैटेजिक कार्ड गेम हों या मल्टीप्लेयर बैटल गेम्स, Gen Z अब ऐसे गेम्स चुन रहा है जिनमें स्किल और स्ट्रैटेजी की ज़रूरत होती है।इस ट्रेंड ने एक नए कॉन्सेप्ट को जन्म दिया है – मेंटल जिम। यानी ऐसा डिजिटल स्पेस जो युवाओं को स्मार्ट बनाए, उनकी सॉफ्ट स्किल्स डेवेलप करे और उन्हें रिलैक्स भी कराए। आज के गेमिंग प्लेटफॉर्म्स Gen Z के इस नए रुख के हिसाब से खुद को ढाल रहे हैं। नतीजा? और भी ज़्यादा युवा इन प्लेटफॉर्म्स की तरफ आकर्षित हो रहे हैं, जिससे स्किल गेमिंग आज के टीनएजर्स और 20s वर्ष के युवा के लिए मेंटल फिटनेस का फेवरेट टूल बनता जा रहा हैGen Z और खेल का स्वास्थिकरणGen Z की सोच बाकी पीढ़ियों से अलग है। उनके लिए वेलनेस सिर्फ कोई एक्स्ट्रा एक्टिविटी नहीं, बल्कि डेली रूटीन का हिस्सा है। वो हेल्दी चीज़ों और एंटरटेनमेंट को अलग नहीं मानते, बल्कि दोनों को हैण्ड इन हैण्ड लेके चलते हैंआज के युवा घंटों मोबाइल पर वक्त बिताते हैं, लेकिन बस यूंही स्क्रॉल नहीं करते, कई बार वो स्ट्रेस कम करने के लिए गेम्स खेलते हैं। एक इंडस्ट्री सर्वे के मुताबिक, 74% Gen Z गेमर्स हर हफ्ते औसतन 6 घंटे मोबाइल गेम्स खेलते हैं। इनमें से 52% का मानना है कि गेमिंग उनकी मेंटल एजिलिटी (चुस्ती) बढ़ाती है। इंटरऐक्टिव डिजिटलएक्सपीरियंस पर पले-बढ़े इस जेनरेशन के लिए एक चैलेंजिंग गेम खेलना मेडिटेशन जैसा रिलैक्सिंग हो सकता हैयुवा गेमर्स वेलनेस (तंदुरुस्ती) और गेमिंग के बीच की रेखा को धुंधला कर रहे हैं, और इसलिए वे मनोरंजन और मानसिक स्वास्थ्य को साथ-साथ चलाने में कामयाब रहे हैं। ये मनोरंजन को सेल्फ-केयर और वेलनेस के अवसरों में बदलने का माइंडसेट ही नए ज़माने का ‘हैलथीफिकेशन’ है, जिसे हम आज देख रहे हैं।ऐसे गेम्स जो ब्रेन को कराते हैं वर्कआउटअगर आपने कभी रम्मी कैसे खेलते हैं सीखा है या चैस खेला है, तो आप जानते होंगे कि ये गेम्स ध्यान, याददाश्त और सोचने की क्षमता की परीक्षा लेते हैं। Gen Z यही जानती है और पसंद करती है।ऐसे कई खेलों में पैटर्न, मूव्स (चालें) या कार्ड याद रखने की आवश्यकता होती है। रम्मी जैसे गेम्स में आपको याद रखना पड़ता है कि कौन से कार्ड्स खेले गए और कौन से बचे हैं। रेगुलर खेलने वालों की शॉर्ट-टर्म मेमोरी में धीरे-धीरे सुधार दिखता है क्योंकि गेम दिमाग को एक्टिव रखता है और उन्हें अपने प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स में जानकारी रखने के लिए प्रशिक्षित करता हैरम्मी में आपको सेकंड्स के अंदर फैसला करना पड़ता है कि कौन सा कार्ड उठाना है और कौन सा फेंकना। ऐसे गेम्स दिमाग की डिसीजन मेकिंग की प्रक्रिया को भी तेज़ करते हैं। ऐसे त्वरित निर्णय दिमाग को शांतिपूर्वक और जल्दी से इन्फॉर्मेशन को प्रोसेस करने के लिए प्रशिक्षित करते हैं।कई Gen Z गेमर्स अब सोच-समझकर गेम्स का इस्तेमाल अपने दिमाग को तेज़ और चुस्त बनाने के लिए कर रहे हैं। कुछ स्किल-बेस्ड गेम्स पैटर्न पहचानने और प्रॉब्लम सॉल्व करने की क्षमता भी बेहतर करते हैं। समय के साथ, जो लोग अक्सर गेम खेलते हैं, उनमें संभावनाओं और रणनीतियों को समझने की लगभग सहज समझ विकसित हो जाती है। यही मल्टिडीमेंशनल (बहुआयामी) फायदे हैं जो युवा खिलाड़ियों को बार-बार वापस गेम की ओर खींच लाते हैं। उनका तर्क है कि जैसे दौड़ना या तैरना शरीर के लिए एक्सरसाइज़ है, वैसे ही स्किल गेम्स दिमाग के लिए मज़ेदार एक्सरसाइज़ हैं।भारत में ब्रेन ट्रेनिंग का नया तरीका
चलिए अब ध्यान से इस मेंटल एक्सरसाइज वाले गेमिंग के ट्रेंड पर नज़र डालते है और इनकी तुलना पारम्परिक ब्रेन ट्रेनिंग के तरीको से करते है। स्मार्टफोन के टाइम से पहले, क्रॉसवर्ड्स, रूबिक क्यूब, और फिर सुडोकु पज़ल्स मेन्टल वर्कआउट के गो-टू साधन होते थे। ये ज़रूर है कि ये ऑप्शंस ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और याददाश्त को बेहतर करते है मगर ये कई बार एकांत में खेले जाने वाले और गतिहीन अनुभव साबित होते है।इनके बाद ब्रेन-ट्रेनिंग ऐप्स जैसे कि Lumosity और Peak आए। ये खासतौर पर मेमोरी, ध्यान और प्रॉब्लम-सॉल्विंग स्किल्स को बेहतर बनाने पर फोकस करते हैं, लेकिन इन्हें खेलने का अनुभव ज़्यादा तर क्विज़ या होमवर्क जैसा लगता है, मज़ेदार नहीं। असल बदलाव तब आया जब स्किल-बेस्ड गेमिंग ऐप्स जैसे कि रम्मी, क्लैश ऑफ़ क्लैंस या फिर कंपटीटिव टेट्रिस जैसे गेम्स लोकप्रिय हुए। ये गेम्स मज़ेदार होते हैं, उनकी ग्राफिक्स दिलचस्प होती हैं, और सबसे बड़ी बात, इनमें सोशल कनेक्शन का भी एक एलीमेंट होता है।उदाहरण के लिए, रम्मी टाइम (RummyTime) एक ऐसा गेमिंग ऐप है जिसे 2 करोड़ से ज़्यादा लोग खेलते हैं। बाकी रम्मी प्लेटफॉर्म्स पर भी इतनी ही बड़ी कम्युनिटी मौजूद है। इस तरह की ऑनलाइन गेमिंग कम्युनिटी एक डिजिटल दोस्ती और जुड़ाव का एहसास देती है, जो पुराने ब्रेन-ट्रेनिंग तरीक़े नहीं दे सकते। Gen Z गेमर्स के लिए यही डिजिटल कनेक्शन वो सबसे बड़ा फ़ायदा है, जो स्ट्रैटेजी और स्किल-बेस्ड गेमिंग की बहस में स्किल-बेस्ड गेमिंग के पक्ष को मजबूत करता है।चुनौतीपूर्ण गेमप्ले में मज़ा ढूंढ रहा है युवा भारत
तो ऐसा क्या है जो स्किल गेमिंग प्लेटफॉर्म्स को एक असरदार दिमागी कसरत बना देता है? इसका जवाब उनके खास फीचर्स और डिज़ाइन में छुपा है। ये प्लेटफॉर्म जानबूझकर (और कई बार अनजाने में भी) इस तरह बनाए जाते हैं कि खिलाड़ी मानसिक रूप से चुनौती महसूस करें, और इसी प्रक्रिया में खिलाड़ियों का दिमाग तेज़ होता है।उदाहरण के तौर पर, स्किल-गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर नियमित रूप से टूर्नामेंट्स होते हैं और ऐसे कंपेटिटिव मोड्स होते हैं जिनमें उभरते खिलाड़ी अपनी काबिलियत आज़मा सकते हैं। इन प्लेटफॉर्म्स पर लीडरबोर्ड्स भी होते हैं, जो विजेताओं को पहचान दिलाते हैं और हर जीत के बाद एक उपलब्धि का अहसास कराते हैं।मल्टीप्लेयर मोड, वॉयस चैट, इन-गेम चैट और गेमिंग फोरम जैसे कई सोशल फीचर्स गेमिंग माहौल को सहयोगी बनाते हैं, भले ही खेल में चुनौतियाँ हों। सबसे बड़ी बात यह है कि टेक्नोलॉजी के तेज़ी से विकास के साथ अब हमारे पास ऐसे स्किल-बेस्ड गेम्स हैं जिनमें एडैप्टिव AI होता है, यानी जैसे-जैसे खिलाड़ी बेहतर होते जाते हैं, वैसे-वैसे गेम भी और चुनौतीपूर्ण होता जाता है, जिससे उनकी मानसिक फिटनेस और भी बेहतर होती है।जो लोग यह सोचते हैं कि यह बस स्क्रीन टाइम बढ़ाने का एक बहाना है, उनको डेटा से कुछ और ही बात पता चलेगी। आज के युवा खिलाड़ी खुद को लेकर जागरूक हैं। उन्हें पता है कि ज़्यादा गेमिंग के नुकसान क्या हो सकते हैं, और वे जानबूझकर इसके सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान दे रहे हैं। कई प्लेटफॉर्म्स ने भी बैलेंस की ज़रूरत को समझा है और जिम्मेदार गेमिंग को बढ़ावा दे रहे हैं, जैसे ब्रेक लेने का रिमाइंडर देना। कुछ स्किल गेमिंग प्लेटफॉर्म्स तो गेम्स की संख्या सीमित करते हैं या फिर ऐसे फीचर्स देते हैं जो लगातार खेलते रहने से रोकते हैंतो अगली बार जब आप एक युवा को रम्मी के या किसी और फ़ास्ट-पेसड स्ट्रेटेजी एप खेलते हुए पूरी तरह से ध्यान लगाए देखें, तो याद रखें की क्या पता वो सिर्फ अपना मेन्टल वर्कआउट कर रहे हो। भविष्य के जिम में, क्या पता ट्रेडमिल और डम्बल, वीआर हेडसेट और गेमिंग स्टेशनों के साथ जगह साझा करें। खेल के ज़रिए मानसिक तंदुरुस्ती का भविष्य बेहद रोमांचक और मज़ेदार लग रहा है।


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