उत्तराखंड में नई आबकारी नीति के प्रावधान जान लीजिए,अब इनको मिलेगा एफएल-2 लाईसेंस..

उत्तराखंड सरकार ने नई आबकारी नीति को हरी झंडी दे दी है। इस नीति के तहत कई बड़े बदलाव किए गए हैं, जिनमें धार्मिक स्थलों के नजदीक शराब की दुकानें बंद करना, लाइसेंस निरस्तीकरण के सख्त नियम और स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहन शामिल हैं।
धामी कैबिनेट ने नई आबकारी नीति को मंजूरी दी है। उत्तराखंड सरकार ने शराब बिक्री में पारदर्शिता लाने के साथ ही अनियमितताओं पर लगाम कसने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। नई नीति के तहत धार्मिक स्थलों और उनके आस-पास शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। इसके अलावा, उप दुकानों की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है, जिससे अवैध रूप से शराब की बिक्री पर रोक लगाई जा सके।
राज्य की नई आबकारी नीति-2025 में धार्मिक क्षेत्रों की महत्ता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने फैसला लिया है कि धर्म स्थलों के निकट की शराब की दुकानों को बंद किया जायेगा। सरकार ने जनसंवेदनाओं को उपर रखते हुए, शराब की बिक्री पर और अधिक नियंत्रण करने का निर्णय लिया है। उप-दुकानों और मैट्रो मदिरा बिक्री व्यवस्था को समाप्त किया गया है।
लाइसेंस कर दिया जाएगा रद
नई आबकारी नीति तहत यह भी तय किया गया है कि अगर किसी दुकान पर एमआरपी से अधिक कीमत ली जाती है, तो लाइसेंस निरस्त करने का प्रावधान भी किया गया है। डिपार्टमेंटल स्टोर्स पर भी एमआरपी लागू होगी, जिससे उपभोक्ताओं को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। सरकार ने शराब की एमआरपी से अधिक कीमत पर बिक्री करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। इस तरह की अनियमितता पाए जाने पर संबंधित दुकान का लाइसेंस तत्काल रद कर दिया जाएगा।
वहीं, डिपार्टमेंटल स्टोर्स पर भी एमआरपी की दर से ही शराब बेचने की व्यवस्था लागू होगी। इसके साथ ही मेट्रो की बिक्री पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।
वहीं, कैबिनेट ने स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए वाइनरी संचालकों को 15 वर्षों तक शुल्क मुक्त किया गया है।
इसके साथ ही, केवल स्थायी और मूल निवासियों को ही एफएल-2 लाइसेंस की सुविधा दी जाएगी। माल्टा और स्प्रिट उद्योगों को पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष सुविधाएं दी जाएंगी। इससे कृषकों और बागवानी क्षेत्र में कार्य करने वालों को आर्थिक लाभ मिलेगा।
स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे
नई आबकारी नीति के तहत स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता और रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। थोक मदिरा अनुज्ञापन केवल उत्तराखंड निवासियों को जारी किए जाएंगे, जिससे राज्य में आर्थिकी के अवसर बढ़ेंगे। मदिरा उद्योग में निवेश को प्रोत्साहित करने के निर्यात शुल्क में कटौती की गई है।
शराब की दुकानों का आवंटन दो वर्षों के लिए होगा और रिन्यूअल न होने की स्थिति में लॉटरी सिस्टम के जरिए दुकानें आवंटित की जाएंगी। आबकारी नीति के तहत सरकार द्वारा लिए गए, इन निर्णयों से शराब के नाम पर लूटखसोट पर लगाम लगने की भी उम्मीद है।



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