हरिद्वार में बिना मेडल विसर्जित किये लौटे पहलवान, इनको सौंपी अपनी पूंजी..

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उत्तराखंड : हरिद्वार पहुंचे खिलाड़ी अपने मेडल लेकर मालवीय घाट पास बैठ गए। इससे पहले पहलवान मेडल हाथों में लेकर रो पड़े। आसपास के कई लोगों की आंखें भी पहलवानों को देखकर नम हो गईं। वहीं दूसरी तरफ भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। 

देश के ओलंपिक पदक विजेता पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया समेत कई बड़े खिलाड़ियों अपने मेडल गंगा में बहाने के लिए हरिद्वार पहुंचे.पहलवानों के पहुंचने के बाद उनके आस पास बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए. इनमें से कुछ लोगों को ये अपील करते हुए सुना गया कि पहलवान अपने मेडल गंगा में न बहाएं.


पहलवानों के पहुंचने के घंटे भर बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नेता नरेश टिकैत अपने समर्थकों के साथ पहलवानों को मनाने के लिए हरिद्वार में हर की पौड़ी पर पहुंचे.इससे पहले उनके छोटे भाई राकेश टिकैत ने भी पहलवानों से अपील की थी कि वे गंगा में मेडल न बहाएं. पहलवानों ने देश की शान बढ़ाने वाले अपने मेडल नरेश टिकैत को सौंप दिए हैं.

नरेश टिकैत ने कहा, “मैंने उनसे कहा कि इस कदम ये यहां की धरती लाल हो जाएगी. हम नहीं चाहते कि देश में कहीं भी कोई तनाव हो. ये बच्चों के भविष्य और सम्मान की बात है. उन्होंने मेडल जीतकर देश का नाम रौशन किया है. आज इन खिलाड़ियों को इस तरह से धरना देना पड़ रहा है. 28 मई को पुलिस ने किस से इन खिलाड़ियों के साथ बुरा बर्ताव किया.” उन्होंने आरोप लगाया कि दोषी को बीजेपी बचा रही है.  

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नरेश टिकैत ने पहलवानों से बात की और उन्हें गंगा में मेडल बहाने से रोक लिया है. वहां से आ रही तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि पहलवान अब हर की पौड़ी से उठ गए हैं.वहीं पहलवानों के गंगा में मेडल बहाने का गंगा महासभा ने विरोध किया है. मीडिया से बात करते हुए गंगा महासभा का कहना है, “यहां सनातनी लोग पूजा पाठ के लिए आते हैं. ये कोई राजनीति का अखाड़ा नहीं है. ये कोई जंतर मंतर नहीं है. ये दिल्ली का कोई मैदान नहीं है कि आप यहां पर आएंगे और इसे अपनी राजनीति का अखाड़ा बनाएंगे.

पहलवानों ने बीजेपी सांसद और कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं. पहलवान बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर 23 अप्रैल से जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन कर रहे थे, जिसे 28 मई को दिल्ली पुलिस ने हटवा दिया था.28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन के दिन ही पहलवानों ने महिला सम्मान महापंचायत का एलान किया था. जब पहलवान संसद भवन की तरफ महापंचायत करने के लिए बढ़े तो दिल्ली पुलिस ने उन्हें और उनके समर्थकों को हिरासत में लेना शुरू कर दिया.

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पुलिस ने सोमवार को पहलवानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. इसमें पहलवानों और प्रदर्शनकारियों पर दंगा भड़काने, ग़ैरक़ानूनी जमावड़ा करने, सरकारी कर्मचारियों के काम में बाधा डालने, सरकारी कर्मचारी के आदेश का उल्लंघन करने, सरकारी कर्मचारी को चोट पहुंचाने और सरकारी कर्मचारी को ड्यूटी से रोकने के लिए आपराधिक बल का इस्तेमाल करने जैसे आरोप लगाए गए हैं.
मेडल गंगा में बहाने से पहले पहलवानों ने अपने अपने ट्विटर हैंडल से एक खत शेयर किया, जिसमें 28 मई को दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए गए हैं.

पहलवानों ने लिखा, “28 मई को जो हुआ वह आप सबने देखा. पुलिस ने हम लोगों के साथ क्या व्यवहार किया. हमें कितनी बर्बरता से गिरफ्तार किया. हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे. हमारे आंदोलन की जगह को भी पुलिस ने तहस-नहस कर हमसे छीन लिया और अगले दिन गंभीर मामलों में हमारे ऊपर ही एफआईआर दर्ज कर दी गई. क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय मांगकर कोई अपराध कर दिया है. पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है, जबकि उत्पीड़क खुली सभाओं में हमारे ऊपर फबतियां कस रहा है.

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अब लग रहा है कि हमारे गले में सजे इन मेडलों का कोई मतलब नहीं रह हया है. इनको लौटाने की सोचने भर से हमें मौत लग रही थी लेकिन अपने आत्म सम्मान के साथ समझौता करके भी क्या जीना.

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ नारे का क्या हुआ?”


उन्होंने आगे कहा, “क्या अब इस देश में किसी को आवाज उठाने की भी इजाजत नहीं है. पीएम मोदी के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ नारे का क्या हुआ? एक शासक को अच्छा काम करना चाहिए. जो दोषी उसे बचाने के बजाय, सजा दें. खिलाड़ियों के साथ सम्मान से बात करें और मामले को सुलझाया जाए.” गौरतलब है कि पहलवान यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर डब्ल्यूएफआई प्रमुख और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

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