पिथौरागढ़ में सरकारी भूमि के दुरुपयोग मामले में हाईकोर्ट सख्त..

ख़बर शेयर करें

उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने पिथौरागढ़ के नए बस स्टेशन के सामने की सरकारी भूमि का दुरुपयोग किए जाने संबंधी जनहित याचिका में राज्य सरकार के चीफ सेक्रेटरी व सेकेट्री शहरी विकास को निर्देश दिए हैं कि भूमि या भवनों के आबंटन के समय निगम के नियम, एक्ट व बायलॉज का कड़ाई से अनुपालन करवाया जाय।

साथ में न्यायालय ने अपने रजिस्ट्री कार्यालय से कहा है कि इस आदेश की एक प्रति राज्य के चीफ सेकेट्री व सेकेट्री शहरी विकास को भेजी जाए।


मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खण्डपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च के लिए तय की है।


मंगलवार को हुई सुनवाई में जिला विकास प्राधिकरण ने शपथपत्र देकर कहा कि पूर्व में नगर पालिका ने इस भवन के भूतल में दो हॉल व शौचालयों का निर्माण करवाया था और प्रथम तल में 16 दुकानें बनाई थी। इन दुकानों को नगर पालिका ने एस.टी., एस.सी.व कारगिल शहीदों के परिजनों व अन्य लोगो को रोजगार देने का निर्णय लिया था।

लेकिन दुकानें सड़क से नीचे होने के कारण किसी भी व्यक्ति ने नगर पालिका में कोई आवेदन नहीं किया। उसके बाद नगर पालिका ने पुनः टेंडर जारी किया। फिर भी किसी ने दुकानों के लिए आवेदन नहीं किया। इसके बाद पालिका ने फिर से टेंडर निकालकर किसी व्यक्ति विशेष को सार्वजनिक कार्य करने के लिए उक्त भवन को 100 रुपये के स्टाम्प पर 20 वर्ष के लिए लीज पर दे दिया।

लीज पत्र में विपक्षी द्वारा लिखा गया कि इस भवन का वह हॉस्पिटल के रूप में उपयोग करेगा, व्यवसायिक उपयोग नही करेगा। शर्तों के अनुसार विपक्षी ने वहां पर मल्लिका अर्जुन नाम से एक अस्पताल खोला। लेकिन कुछ समय बाद उसे बंद करके उक्त भवन को खुर्दबुर्द किया। पालिका की सम्पति को नुकसान पहुँचाया। यही नहीं, उक्त भूमि पर उसने चार मंजिला भवन बनाकर उसमें दुकानें, रेस्टोरेंट, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और होटल बना दिया, जो कि शर्तों के विपरीत है। जनहित याचिका में न्यायालय से प्रार्थना की गई कि इसपर रोक लगाई जाए और शर्तों के मुताबिक इस भूमि का उपयोग किया जाय।

वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती

लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -

👉 Join our WhatsApp Group

👉 Subscribe our YouTube Channel

👉 Like our Facebook Page