उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में प्रदूषण की बढ़ती मात्रा को देखते हुए शराब के ट्रेटा पैक की बिक्री पर रोक लगाये जाने के खिलाफ दायर जनहीत याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने शराब के टेट्रा पैंको की बिक्री पर लगी रोक को हटाते हुए जनहित याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित कर दिया है।
न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा की सरकार कोई ऐसा प्लान लाये जिससे टेट्रा पैक की श्रेणी में आने वाले पैक पर भी बार कोड लगाने और उनके रैपरों को बिक्री के बाद बिक्रेता तक वापस लेने की नीति पर विचार करे। इस सम्बंध में एक शपथपत्र पूर्व में दायर जितेंद्र यादव की जनहित याचिका में पेश करें। न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि नागरिक अपनी नैतिक जिम्मेदारियों का उलंघन कर रहे है इसलिए न्यायालय का कर्तव्य है कि उनको अपनी नैतिक जिमेदारिया की याद दिलाई जाय।
पिछली सुनवाई में न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा था कि टेट्रा पैक वेस्ट के निस्तारण के लिए सरकार क्या कदम उठा सकती है, इस सम्बंध में प्लान पेश करे ? राज्य सरकार ने आज अपना जवाब पेश करते हुए कहा कि इस मामले को सरकार गम्भीरता से ले रही है और टैक्ट्रा पैक में क्यूआर कोड लगाकर उसे चार धाम यात्रा की तरह वापस लेने की नीति बना रही है। पिछली तिथि को सरकार के प्लान के मुताबिक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से कहा गया था कि आने वाले चारधाम यात्रा में राज्य सरकार ने जैसे प्रदूषण के नियमों का पालन करते हुए प्रत्येक वाटर बॉटल या प्लास्टिक युक्त पैक समाग्री पर क्यूआर कोड लगा रही है।
उसी तर्ज पर प्रत्येक टेट्रा पैक पर भी क्यूआर कोड लगाये जाएं। विक्रेता ग्राहक से निर्धारित मूल्य से दस रुपये अधिक लें साथ में यह भी शर्त रखें दस रुपये तभी वापस होंगे जब यह पैग उपयोग के बाद उन्हें वापस करेंगे। ताकि वे इस वेस्ट को सम्बंधित कम्पनियों ,नगर पालिकाओं व अन्य रिसाइकिलिंग सेंटरों में भेज सकें। क्यूआरकोड नही होने से सभी उपभोक्ता वेस्ट को जहाँ तहां प्रदेश के किसी कोने में फेंक देते है। जिसकी वजह से पर्यावरण काफी को नुकसान हो रहा है। पर्यावरण को बचाने का यही सबसे बड़ा उपाय है। प्रदेश में प्रति वर्ष 10 करोड़ ट्रेक्ट्रा पैकों को की खपत है। जिसको आज तक नही उठाया गया।
मामले के चंपावत निवासी याचिकाकर्ता नरेश चन्द्र की ओर से दायर जनहीत याचिका में कहा गया कि सरकार की नयी आबकारी नीति के अनुसार शराब के 200 एम.एल.के पैक को ट्रेटा पैक में बेचने की योजना है। ये सरकार के प्लास्टिक वेस्ट नियमावली के विरुद्ध है। इसकी वजह से पर्यवारण को भारी नुकसान होगा। याचिकाकर्ता की ओर से इसपर रोक लगाने की मांग की गयी।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया की सरकार एक ओर प्लास्टिक कूड़े पर रोक नहीं लगा पा रही है। दूसरी तरफ टेट्रा पैकों में इसे बेचने की अनुमति भी दे रही है, जिसकी वजह से प्रदूषण और बढ़ेगा। आज राज्य सरकार की तरफ दायर शपथपत्र में कहा गया कि उन्होंने सभी उत्पादक निर्माताओं को निर्देश दे दिए हैं कि सभी टैक्ट्रा पैंको पर क्यूआर कोड लगाएं और उनसे उतपन्न कूड़ा निस्तारित करने के पुख्ता इंतजाम किए जाएं।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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