जिम हादसा : गोल्ड मैडलिस्ट पावरलिफ्टर 17 वर्षीय यष्टिका आचार्य की प्रैक्टिस के दौरान दर्दनाक मौत_Video

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पावरलिफ्टिंग की प्रैक्टिस करते समय नेशनल खिलाड़ी यष्टिका आचार्य की दर्दनाक मौत हुई. ज‍िस किसी ने उनका वायरल वीड‍ियो देखा, वह सन्न रह गया. खुद पावरल‍िफ्ट‍िंग करने वाले ख‍िलाड़ी भी गमजदा दिखे।

राजस्थान के बीकानेर में जिम में पावरलिफ्टिंग की प्रैक्टिस के दौरान एक दर्दनाक हादसा हुआ। 17 वर्षीय नेशनल चैंपियन यष्टिका आचार्य की गर्दन की हड्डी टूटने से मौत हो गई। यह घटना तब हुई जब वह भारी वजन उठाने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन संतुलन बिगड़ने से वह दुर्घटना की शिकार हो गईं।

यष्टिका आचार्य जिम में पावरलिफ्टिंग की प्रैक्टिस कर रही थीं। जब उन्होंने एक भारी वजन उठाने की कोशिश की, तो उनका बैलेंस बिगड़ गया और बार्बेल उनके ऊपर गिर गई। इस दौरान उनकी गर्दन की हड्डी टूट गई, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।

यष्टिका ने गर्दन पर 270 किलो का वजन उठाया था, इस दौरान वह ड‍िस्बैलेंस हो गई, पूरा वजन उसकी गर्दन पर आ गया और उन्होंने दम तोड़ दिया. आख‍िर यष्टिका से पावर ल‍िफ्ट‍िंग करते वक्त क्या चूक हुई? इस बारे में हमने पावर ल‍िफ्ट‍िंग के ख‍िलाड़‍ियों, कोच और एसोस‍िएशन से जुड़े लोगों से बात की और इस खेल से जुड़ी बारीकियों, नियमों को समझने की कोश‍िश की. वह यह भी जाना क‍ि इस खेल में दम द‍िखाते हुए क‍िन बातों को ध्यान रखना चाह‍िए।

कुल म‍िलाकर इन एक्सपर्ट और पावर ल‍िफ्ट‍िंग से जुड़े लोगों से बात करते हुए कई अहम चीजों के बारे में जानकारी मिली. इन सभी ने बताया कि यष्ट‍िका और उनके सपोर्ट कर रहे कोच, ल‍िफ्टर और लोडर से क्या गलत‍ियां हुईं, ज‍िस ज‍िम में वो प्रैक्ट‍िस कर रहीं थीं, वहां क्या कमी थी।

यूपी पॉवर ल‍िफ्ट‍िंग के मानद सच‍िव अनुज कुमार, पावर ल‍िफ्ट‍िंग की इंटरनेशनल ख‍िलाड़ी न‍िध‍ि सिंह पटेल, उत्तराखंड की पॉवरल‍िफ्ट‍िंग ख‍िलाड़ी कव‍िता देवी, पावर ल‍िफ्ट‍िंग कोच कमलापत‍ि त्र‍िपाठी से व‍िस्तार से बात की. इन सभी ने यष्टिका आचार्य के वीडियो को देखकर बताया कि 17 साल की ख‍िलाड़ी से कहां कमी रह गई? यह सभी ख‍िलाड़ी के इस तरह हादसे में न‍िधन पर बेहद दुखी द‍िखे।

यष्टिका आचार्य के मामले में प्राथम‍िक कमी पैर का बैलेंस बिगड़ना रहा, वहीं जहां वो खड़ी थीं, वहां रबर के प्लैंक लगाए गए थे, जिस कारण वो वजन उठाते ही डांवाडोल हो गई।

अनुज कुमार ने कहा- जब इतना भारी वजन (270 किलोग्राम) उठा रहे तो तो वेट बार के आसपास मजबूत लोग होने चाहिए. वहीं पावरलफ्ट‍िंग में यह भी बहुत जरूरी है कि जब तक ख‍िलाड़ी स्टेबल ना हो जाए, तब तक वेट को ल‍िफ्ट नहीं करना चाहिए. यष्ट‍िका के मामले को देखा जाए तो उन्होंने खुद ही वेट उठाने की कोश‍िश की. जब हम कई बार मैचों में बतौर रेफरी भी इवेंट को देखते हैं तो यह जरूरी है कि जब तक बॉडी स्टेबल ना हो, तब तक हम ख‍िलाड़ी को वेट उठाने की अनुमत‍ि नहीं देते हैं।

वहीं कव‍िता देवी ने कहा- पावर ल‍िफ्ट‍िंग में तीन पोजीशन होती हैं, 1: स्कॉट, 2: बेंचप्रेस (बेंच पर लेटकर), 3: डेडल‍िफ्ट (वेट को घुटनों से ऊपर जांघ तक लाया जाता है). अगर इन तीनों ही इवेंट में हम बेस्ट करते हैं तो हमारा मेडल प्रदर्शन के आधार पर आता है. यष्टिका स्कॉट (उठकर बैठना) कर रही थीं. सबसे खास बात तो यह है कि हम भी बतौर ख‍िलाड़ी वेट उठाते हैं तो देखते हैं कि क्या वाकई वह हमसे उठ सकता है या नहीं? दो कदम पीछे कर अक्सर स्कॉट वाली पोजीशन लेते हैं. लेकिन वेट उठाते ही यष्टिका के मामले में बैलेंस ब‍िगड़ गया है. ये दर्दनाक है, पैरों का संतुलन शुरुआत में ही खराब हो गया. इसी वजह से सपोर्टर और लोडर इस मामले में कुछ नहीं कर पाए और हादसा हो गया।

अनुज कुमार ने कहा ‘इंटरनेशनल पॉवर ल‍िफ्ट‍िंग’ के प्रोटोकॉल और न‍ियमों के मुताबिक कम से कम तीन लोग ख‍िलाड़ी के पास होने चाहिए. इनमें दो साइड में लोडर (ये अक्सर ऑर्गनाइजर से जुड़े लोग होते हैं) और पीछे की तरफ एक सपोर्टर (ख‍िलाड़ी का कोच या उससे उसका सपोर्ट स्टाफ) होता है. एक बार जब ख‍िलाड़ी की बॉडी वजन उठाने के ल‍िए स्टेबल हो जाती है तो पीछे वाले वाला सपोर्टर हट जाता है, लेकिन साइड में खड़े दोनों मौजूद वहीं रहते हैं।

इंटरनेशनल लेवल पर रेफरी भी वेट को स्कॉट करने का न‍िर्देश खि‍लाड़ी को तभी देता है, जब उनको लगता है कि खिलाड़ी पूरी तरह से स्टेबल हो गया है. कुल म‍िलाकर लोडर और सपोर्टर ख‍िलाड़ी को स्टेबल रहने के ल‍िए होते हैं।

चूंकि यह मामला ज‍िम का है, ऐसे में वहां ज्यादातर इस चीज को लेकर ध्यान नहीं दिया जाता है. कई दफा इस तरह की गलती तब भी होती हैं, जब किसी ख‍िलाड़ी को अपनी शक्त‍ि का अहसास नहीं होता है, वेटल‍िफ्टर ने किस तरह का न्यूट्र‍िशन लिया है, ये सभी बहुत जरूरी हैं।

यष्टिका मामले में पावरल‍िफ्ट‍िंग करते हुए क्या गलत‍ियां हुईं?


बातचीत के दौरान अनुज कुमार ने कहा- जो वीडियो है, उसमें साफ तौर पर द‍िख रहा है ख‍िलाड़ी (यष्ट‍िका) की हाइट थोड़ी कमी रही होगी, इसल‍िए उसने संभवत: रबर के प्लैंक (मैट) लगाए हैं. उस पर खड़े होकर उसने ल‍िफ्ट किया है. चूंकि इंटरनेशनल लेवल या नेशनल लेवल पर जहां पावरल‍िफ्ट‍िंग होती है, वो सतह हार्ड (लकड़ी की सतह, फ‍िर ग्रिपिंग वाली कारपेट) होती है. इन रबर के प्लैंक के कारण ही उसका बैलेंस बिगड़ा है. अगर उसने लकड़ी के पाटा का का यूज किया होता तो संभवत: ऐसा नहीं होता।

इंटरनेशनल पावर ल‍िफ्टर न‍िध‍ि सिंह पटेल ने कहा- वीडियो में साफ है कि शुरुआत में मैट पर जब वो वेट लेकर गईं, उसी मैट से पैर ड‍िसबैलेंस हो गया, यहीं से गलती हुई. अगर मैं 270 KG का वेट उठा रही होती तो यह कोश‍िश करती कि लोडर और सपोर्टर उनकी तरफ ध्यान देते, ख‍िलाड़ी (यष्ट‍िका) पर पूरा वजन नहीं छोड़ना चाहिए था. जब यष्ट‍िका गिरीं तो साइड में खड़े लोगों को थोड़ी एक्ट‍िवनेस दिखानी चाहिए थी. वहीं मैट भी ऊपर-नीचे रखे थे।

हादसे में क्या 5 गलत‍ियां हुईं?


1: जहां यष्टिका आचार्य वेट ल‍िफ्ट कर रही थीं, वो प्लेटफॉर्म समान नहीं था.
2: इसी वजह से उनका पैर ड‍िस्बलैंस हो गया.
3: वेट छोड़ देना चाहिए था.
4: लोडर-सपोर्टर को और एक्ट‍िव होना चाहिए था.
5: वेट को बहुत ज्यादा होल्ड नहीं किया

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