अवैध खनन से उत्तराखंड को खोखला कर रहा खनन माफिया : पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत

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उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संसद में राज्य में बढ़ते अवैध खनन के मुद्दे को उठाकर सरकार को झकझोर दिया है। उन्होंने खनन माफिया के बढ़ते प्रभाव, पर्यावरण को हो रहे गंभीर नुकसान और सरकारी राजस्व के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की।

“खनन माफिया ने जड़ें जमा ली हैं, प्रदेश खोखला हो रहा है”

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संसद में कहा, “उत्तराखंड में खनन माफिया की पकड़ इतनी मजबूत हो चुकी है कि सरकारी तंत्र भी उनके आगे बेबस नजर आता है। नदियों का अंधाधुंध दोहन हो रहा है, पहाड़ों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, और सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये की चोरी हो रही है।”

उन्होंने आरोप लगाया कि कई खनन क्षेत्रों में तय सीमा से अधिक खुदाई की जा रही है, जिससे नदियों का प्रवाह प्रभावित हो रहा है और पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है। रावत ने इस मामले में उच्चस्तरीय जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।

खनन विभाग ने दिया जवाब : “राजस्व रिकॉर्ड स्तर पर”

पूर्व सीएम के आरोपों के जवाब में उत्तराखंड के खनन सचिव बृजेश कुमार संत ने सफाई देते हुए कहा कि राज्य सरकार अवैध खनन पर सख्त नियंत्रण कर रही है। उन्होंने दावा किया कि इस वित्तीय वर्ष में खनन विभाग ने 1100 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है, जो राज्य के इतिहास में सबसे ज्यादा है।

सचिव ने बताया कि अवैध खनन रोकने के लिए ड्रोन सर्वे, जीपीएस ट्रैकिंग और ऑनलाइन मॉनिटरिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “हमारी टीम लगातार निगरानी कर रही है और किसी भी गड़बड़ी पर तुरंत कार्रवाई की जाती है।”

कांग्रेस ने सरकार पर साधा निशाना “भ्रष्टाचार का खेल”

इस मामले पर विपक्षी दल कांग्रेस ने राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला है। उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा, “जब राज्य का सांसद ही संसद में अवैध खनन का मुद्दा उठा रहा है, तो यह साबित करता है कि सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त है।”

माहरा ने आगे कहा, “सरकार सिर्फ राजस्व का ढिंढोरा पीट रही है, लेकिन हकीकत यह है कि अवैध खनन के कारण नदियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है और पहाड़ों में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं।” उन्होंने मांग की कि इस मामले में सीबीआई या जांच आयोग द्वारा गहन जांच की जाए।

आगे की कार्रवाई

अब नजर केंद्र और राज्य सरकार पर है कि वह इस मामले में क्या कार्रवाई करती है। क्या अवैध खनन रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे, या फिर यह मामला भी दबा दिया जाएगा? जनता और पर्यावरण प्रेमियों की मांग है कि इस गंभीर मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई की जाए।

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