DM गर्ब्याल और आईकार निदेशक ने नैनीझील में डाली 8000 महाशीर, अब खोज रहे हैं इनसे इस खेल की संभावना…
उत्तराखंड की नैनीझील में आज शीतजलिय मत्स्यकीय अनुसंधान निदेशालय और जिला प्रशासन की टीम ने 6000 महाशीर मछली के बीज डाले । झील की गुणवत्ता परखने के लिए डाली गई महाशीर मछली के पनपने के बाद जिला प्रशासन उत्साहित दिखा ।
नैनीताल की विश्व प्रसिद्ध नैनीझील में आज महाशीर संरक्षण एवं संवर्धन अभियान के अंतर्गत महाशीर प्रजाति की मछलियों के बीज डाले गए । मल्लीताल के बोट हाउस क्लब में जिलाधिकारी धिराज गर्भयाल और शीतजलिय मत्स्यकीय अनुसंधान निदेशालय के निदेशक ने एंगलिंग और स्पोर्ट्स फिश के नाम से मशहूर महाशीर मछली के 6000 बीज झील में डाले ।
इससे पहले भी जिला प्रशासन ने पंतनगर विश्वविद्यालय के मत्स्य विभाग के साथ मिलकर जलीय पारिस्थितिकीय तंत्र के लिए लाभदायक ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प और महाशीर के एक लाख और साठ हजार बीज डाले थे । इसके अलावा विभाग ने झील से गंबूचिया, पुण्टिस और बिग हैड जैसी हानिकारक मछलियों को निकाला था । प्रशासन का कहना है कि झील की गुणवत्ता सुधारने के साथ ही इसमें समय समय पर ऐसी मछलियां डाली जाएंगी । इसके अलावा उन्होंने बताया कि झील में मत्स्य खेल ‘एंगलिंग’ की संभावनाओं के लिए भी प्रयास किये जाएंगे । आई कार के निदेशक पी.के.पाण्डे ने बताया
कि कॉमन कार्प प्रजातियों की मछलियॉ पानी के अन्दर लिम्पिंग करती हैं जिससे झील को नुकसान हो सकता है ।
इस झील में वर्तमान में झील 67 प्रतिशत ऐसी मछलियॉ है जिन्हें झील के भविष्य को देखते हुए तत्काल निकालना चाहिए। जिलाधिकारी ने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए कॉमन कार्प मछलियों को सीमित करने के लिए आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं, और आगे भी चरणबद्व रूप से अन्य झीलों में भी महाशीर मछलियों को डाला जायेगा।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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