कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव : खड़गे – थरूर किसके सर सजेगा ताज, बैलट बॉक्स में कैद हुआ फैसला , 19 को 22 साल बाद बदलेगा मिजाज़ ?

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कांग्रेस प्रेसिडेंट इलेक्शन 2022 :

कांग्रेस में नए अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए आज (सोमवार) को मतदान हुआ. दोपहर तीन बजे तक करीब 71 फीसदी मतदान हुआ, जो शाम के करीब 4 बजे खत्म हो गया. इस चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और सांसद शशि थरूर के बीच सीधा मुकाबला है. दोनों की किस्मत का फैसला अब बैलेट बॉक्स में कैद हो चुका है.

देशभर के लोगों की निगाहें अब 19 अक्टूबर को आने वाले नतीजों पर टिकी हैं. 24 साल में यह पहला मौका है, जब कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य मैदान में नहीं है. वहीं, कांग्रेस पार्टी के 137 साल के इतिहास में छठी बार चुनावी मुकाबला हो रहा है.

कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए 9300 डेलिगेट्स ने सोमवार को मतदान किया. अध्यक्ष पद के लिए दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय के साथ-साथ देशभर में मौजूद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ्तरों में वोटिंग की गई.

कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए सोमवार को मतदान पूरा हो चुका है. अब मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर की किस्मत का फैसला बैलेट बॉक्स में बंद हो गया है. सभी की निगाहें अब 19 अक्टूबर को आने वाले नतीजों पर टिकी हुई है.

गहलोत ने कही ये बात

राजस्थान से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे भारी बहुमत से जीतेंगे और वे अनुभवी व्यक्ति हैं. उनको काफी अनुभव रहा है. उन्होंने कहा कि जो लोग पार्टी छोड़कर गए हैं, वे अवसरवादी लोग हैं.

प्रमोद तिवारी ने थरूर पर साधा निशाना

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि यह कहना गलत है कि 22 साल बाद अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हो रहा है. उन्होंने कहा कि पहले जब भी कोई उम्मीदवार सामने खड़ा नहीं हुआ, उसे भी चुनाव ही माना जाएगा. शशि थरूर के कांग्रेस को पुनर्जीवित करने वाले बयान को लेकर उन्होंने कहा, मैं बहुत दुखी हूं कि वे इस तरह के बयान दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि थरूर की हिंदी शायद कमजोर है, जो इस तरह की बातें कर रहे हैं. मैं इस बयान का खुलकर विरोध करता हूं. मैं खुल कर कह रहा हूं की खड़गे को वोट करूंगा, यूपी कांग्रेस के 99% सदस्य भी खड़गे को ही सपोर्ट कर रहे हैं.

सोनिया-प्रियंका गांधी ने डाला वोट

दिल्ली स्थित कांग्रेस दफ्तर में पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी ने वोट डाला.

राहुल गांधी ने डाला वोट

राहुल गांधी कर्नाटक के बेल्लारी में वोट अपना वोट डाला. उनके साथ कांग्रेस के करीब 40 नेता ने वोटिंग में हिस्सा लिया।

शशि थरूर बनाम मल्लिकार्जुन खरगे : कौन होगा कांग्रेस का अगला अध्यक्ष, किसकी दावेदारी ज्यादा मजबूत?

कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। कांग्रेस के 9300 से ज्यादा मतदाता मल्लिकार्जुन खरगे या शशि थरूर में से किसी एक का चुनाव के लिए मतदान में हिस्सा लिया। खरगे के पीछे पूरी कांग्रेस पार्टी खड़ी दिखाई दे रही है, जबकि थरूर अकेले पढ़ते दिखाई दे रहे हैं। 

कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए सोमवार सुबह दस बजे से वोटिंग शुरू हुई। चार बजे तक वोटिंग का समय निर्धारित किया गया था। देश भर में 40 केंद्रों पर इसके लिए 68 बूथ बनाए गए । करीब 9300 मतदाताओ ने इसमें हिस्सा लिया, जो अलग-अलग प्रदेशों के प्रतिनिधि हैं। 

सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, प्रियंका गांधी समेत अन्य सीडब्ल्यूसी के सदस्य कांग्रेस मुख्यालय में बने बूथ में मतदान किया। एक बूथ भारत जोड़ो यात्रा के कैंप में भी बनाया गया है, जहां राहुल गांधी और करीब 40 मतदाताओं ने वोट डाले ।

पार्टी मुख्यालय में 19 अक्टूबर को मतगणना होगी और नतीजे घोषित होंगे। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 22 साल बाद चुनाव हुए है और करीब 24 साल के बाद पार्टी की कमान गांधी परिवार के बाहर जाना तय हो गया है। 

शशि थरूर ने क्या-क्या आरोप लगाए? 
अध्यक्ष पद के प्रत्याशी शशि थरूर के सामने मल्लिकार्जुन खरगे हैं। खरगे को पार्टी की तरफ से खुलकर समर्थन बताया जा रहा है। यही कारण है कि शशि थरूर अलग-थलग पड़ गए हैं। थरूर ने इसको लेकर खुलकर अपनी बात भी रखी। उन्होंने कहा, ‘मल्लिकार्जुन खरगे से कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता आसानी से मुलाकात करते हैं। उनका स्वागत करते हैं, लेकिन ऐसा मेरे साथ नहीं होता है। मुझसे मुलाकात करने में कांग्रेस के नेता हिचकते हैं।’ 

थरूर यहीं नहीं रुके। आगे उन्होंने कहा, ‘हमें 30 सितंबर को मतदाताओं की पहली सूची दी गई। जिसमें केवल नाम थे। किसी का नंबर नहीं था। एक हफ्ते पहले दूसरी सूची दी गई। ऐसे में हम कैसे किसी से संपर्क कर पाते। दोनों सूची में कुछ अंतर थे। मेरी यह शिकायत नहीं है कि ये जानबूझकर कर रहे हैं। समस्या यह है कि हमारी पार्टी में कई साल से चुनाव नहीं हुए हैं, इसलिए कुछ गलतियां हुई हैं। मुझे पता है कि मिस्त्री जी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए बैठे हैं। मुझे उनसे कोई शिकायत नहीं है।’

थरूर ने कहा, ‘कुछ नेताओं ने ऐसे काम किए हैं, जिसपर मैंने कहा कि समान अवसर नहीं है। कई प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) में हमने देखा कि पीसीसी अध्यक्ष, विधायक दल के नेता और कई बड़े नेता खरगे साहब का स्वागत करते हैं, उनके साथ बैठते हैं, पीसीसी से मतदाताओं को निर्देश जाते हैं कि आ जाओ, खरगे साहब आ रहे हैं। यह सिर्फ एक ही उम्मीदवार के लिए हुआ। मेरे लिए ऐसा नहीं हुआ। इस किस्म की कई चीजें कई पीसीसी में हुईं। कई जगह तो पीसीसी अध्यक्ष तक ने मुझसे मुलाकात नहीं की।’ 

कांग्रेस अध्यक्ष पद के प्रत्याशी ने कहा, ‘मैं कोई शिकायत नहीं कर रहा हूं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मुझे ज्यादा फर्क पड़ेगा। अगर आप पूछते हैं कि समान अवसर मिल रहा है तो क्या आपको लगता है कि इस तरह के व्यवहार में कुछ फर्क नहीं है?’

थरूर की दावेदारी कितनी मजबूत?

1. केरल व अन्य दक्षिण राज्यों से वोट मिलने की संभावना
शशि थरूर 13 साल से केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस के सांसद हैं। दक्षिण के राज्यों में कांग्रेस को मजबूत करने में भी थरूर काफी आगे रहे हैं। वह केवल दक्षिण नहीं, बल्कि उत्तर भारत में भी काफी चर्चित हैं। ऐसे में थरूर के अध्यक्ष बनने से कांग्रेस को काफी फायदा हो सकता है। थरूर को दक्षिण राज्यों के अलावा उत्तर भारत से भी वोट मिलने की संभावना है। 

2. कांग्रेस में अंदरूनी उठापटक का फायदा 
कांग्रेस में बदलाव चाहने वाले युवाओं के बीच थरूर की लोकप्रियता पहले से ज्यादा है। कुछ राज्यों में भले ही कांग्रेस नेताओं ने खुलकर थरूर का समर्थन नहीं किया है, लेकिन अंदर तौर पर वह जरूर चाहते हैं कि पार्टी में बदलाव हो। ऐसे में पार्टी के अंदर बदलाव चाहने वाले नेता जरूर थरूर का साथ दे सकते हैं। थरूर भी ऐसी ही उम्मीद लगाकर बैठे हैं। 

3. देशभर में जबरदस्त फैन फॉलोइंग
शशि थरूर के पास भले ही मल्लिकाअर्जुन खरगे जितना संगठन का अनुभव न हो, लेकिन आम लोगों में थरूर खरगे से ज्यादा लोकप्रिय चेहरा हैं।  शशि थरूर एक पैन इंडिया पॉपुलर नेता हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर थरूर की फॉलोइंग कांग्रेस के अधिकतर नेताओं से ज्यादा ही रही है। 

4. चपलता-तर्कशीलता और बोलने में ज्यादा प्रभावी थरूर
बेहतरीन अंग्रेजी, ठीक-ठाक हिंदी और कई अन्य भाषाओं में महारत होने की वजह से वे युवाओं के बीच अलग अपील लेकर पेश होते हैं। सोशल मीडिया पर उनकी तर्कशीलता को लेकर एक बड़ा तबका उनका फैन है। खासकर विदेश मामलों में भारत का पक्ष रखने को लेकर लोग उन्हें सुनना पसंद करते हैं। 

5. कांग्रेस में बदलाव, विपक्ष को झटका देने में सक्षम
बीते कुछ वर्षों में शशि थरूर (67) की छवि युवा नेता के तौर पर बनी है। वे पुरानी कांग्रेस में उस जरूरी बदलाव के तौर पर दिखते हैं, जो कि लंबे समय से नए चेहरों की तलाश में है, ताकि जनता के बीच पार्टी अपना नया परिप्रेक्ष्य पैदा कर सके। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के मुकाबले थरूर यह ज्यादा आसानी से करने में सक्षम हैं। वे भारत की पढ़ी-लिखी जनता के बीच भी ज्यादा लोकप्रिय हैं, जो कि अधिकतर मध्यमवर्ग से है और 2014 के बाद से ही भाजपा के साथ जुड़ी है। 

खरगे की दावेदारी कितनी मजबूत? 

पार्टी का समर्थन, वरिष्ठ नेताओं का भी मिला साथ : थरूर के मुकाबले मल्लिकार्जुन खरगे के साथ ज्यादा कांग्रेसी नेता खड़े दिखाई दे रहे हैं। खासतौर पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का साथ खरगे को मिला हुआ है। कहा जाता है कि खरगे को पार्टी की तरफ से पूरा समर्थन दिया गया है। गांधी परिवार भी खरगे को ही अध्यक्ष बनाना चाहता है।

. दक्षिण से नाता, जमीन से जुड़े नेता रहे: खरगे का जन्म कर्नाटक के बीदर जिले के वारावत्ती इलाके में एक किसान परिवार में हुआ था। गुलबर्गा के नूतन विद्यालय से उन्होंने स्कूली शिक्षा पूरी की और फिर यहां सरकारी कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली। यहां वह स्टूडेंट यूनियन के महासचिव भी रहे। गुलबर्गा के ही सेठ शंकरलाल लाहोटी लॉ कॉलेज से एलएलबी करने के बाद वकालत करने लगे। 1969 में वह एमकेएस मील्स कर्मचारी संघ के विधिक सलाहकार बन गए। तब उन्होंने मजदूरों के लिए लड़ाई लड़ी। वह संयुक्त मजदूर संघ के प्रभावशाली नेता रहे। 

1969 में ही वह कांग्रेस में शामिल हो गए। पार्टी ने उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें गुलबर्गा कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना दिया। 1972 में पहली बार कर्नाटक की गुरमीतकल विधानसभा सीट से विधायक बने। खरगे गुरमीतकल सीट से नौ बार विधायक चुने गए। इस दौरान उन्होंने विभिन्न विभागों में मंत्री का पद भी संभाला। 2005 में उन्हें कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। 2008 तक वह इस पद पर बने रहे। 2009 में पहली बार सांसद चुने गए।

खरगे गांधी परिवार के भरोसेमंद माने जाते हैं। इसका समय-समय पर उनको इनाम भी मिला। साल 2014 में खरगे को लोकसभा में पार्टी का नेता बनाया गया। लोकसभा चुनाव 2019 में हार के बाद भी कांग्रेस पार्टी ने उन्हें 2020 में राज्यसभा भेज दिया। पिछले साल गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल खत्म हुआ तो खरगे को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया।

विपक्ष के नेताओं से अच्छे संबंध : मल्लिकार्जुन खरगे गांधी परिवार के करीबी तो हैं हीं, विपक्ष के अन्य नेताओं से भी उनके अच्छे संबंध हैं। खरगे का राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अध्यक्ष शरद पवार और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी जैसे विपक्ष के नेताओं के साथ अच्छे संबंध हैं। 


 मजदूरों में अच्छी पकड़, नौ बार विधायक रहे : खरगे नौ बार विधायक रहे और दो बार लोकसभा सांसद। अभी वह राज्यसभा के सांसद हैं। केंद्र में मनमोहन सिंह सरकार में खरगे श्रम व रोजगार मंत्री रहे। खरगे का नाता महाराष्ट्र से भी है। खरगे के पिता महाराष्ट्र से रहे। यही कारण है कि खरगे बखूबी मराठी बोल और समझ लेते हैं। खरगे मजदूरों के बीच काफी लोकप्रिय रहे हैं। लंबे समय तक उन्होंने मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ी है। इसका फायदा भी उन्हें मिल सकता है। 

कर्नाटक, महाराष्ट्र में दिला सकते फायदा : आने वाले समय में कर्नाटक और फिर महाराष्ट्र में भी चुनाव होंगे। ऐसे में खरगे इन दोनों राज्यों के अलावा दक्षिण के अन्य राज्यों में कांग्रेस को अच्छा फायदा दिला सकते हैं। संगठन और प्रशासनिक कार्यों में माहिर खरगे को प्लानिंग का मास्टर कहा जाता है।

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