हल्द्वानी/देहरादून : प्रदेश की नदियों में खनन कार्य को लेकर विरोध प्रदर्शनों और बयानबाजी का दौर लगातार जारी है। ऐसे में खनन विभाग के निदेशक एस एल पैट्रिक का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा की नदियों में निजीकरण के नाम पर कुछ संगठनों द्वारा राजनीति से प्रेरित होकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न की जा रही है। जबकि धरातल पर ऐसा कुछ भी नहीं है।
निदेशक एस०एल० पैट्रिक ने बताया कि कतिपय व्यक्तियों के द्वारा यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि सरकार के द्वारा निविदा के माध्यम से ठेकेदार का चयन कर गौला कोसी, दाबका एवं अन्य नदियों का खनन कार्य ठेकेदार के माध्यम से कराया जा रहा है, जोकि सरासर भ्रामक एवं निराधार है।
राज्य सरकार के द्वारा केवल रायल्टी (Royalty)/अपरिहार्य माटक (Dead Rent) की वसूली हेतु ठेकेदार का चयन किये जाने की कार्यवाही की जा रही है, जिसके अन्तर्गत ठेकेदार के द्वारा ना तो किसी खनन क्षेत्र में प्रवेश किया जायेगा, ना ही खनन कार्य में लगे वाहनों का रजिस्ट्रेशन किया जायेगा और ना ही खनन पट्टों के खन्नें काटे जायेगें।
उत्तराखण्ड वन विकास निगम के द्वारा पूर्व की भांति गौला, कोसी, दाबका आदि खनन लॉटों हेतु वाहनों का पंजीकरण कराया जायेगा। चयनित ठेकेदार के द्वारा खनन क्षेत्र से बाहर केवल बाह्य क्षेत्रों में बिना रवन्ना के परिवहन कर रहे उपखनिज से सम्बन्धित वाहनों को चैक किया जायेगा तथा उक्त कार्य विभागीय प्रवर्तन दल एवं जिला प्रशासन के द्वारा भी पूर्ववत् की भांति किया जाता रहेगा, जिसमें अवैध खनन / अवैध खनिज परिवहन पाये जाने पर नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।
पुनः स्पष्ट किया जाता है कि गौला, कोसी, दाबका एवं अन्य नदी तल में उपखनिज का युगान/खनन का कार्य वन निगम से हटाकर किसी व्यक्ति/कम्पनी को नहीं दिया जा रहा है और ना ही भविष्य में कभी भी दिये जाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन है।
उत्तराखण्ड उपखनिज परिहार नियमावली, 2023 के नियम-69 में राज्य क्षेत्रान्तर्गत नदी तल में उपखनिज (रता, बजरी, बोल्डर आदि) के स्वीकृत खनन पट्टों से रायल्टी / अपरिहार्य भाटक की धनराशि वसूली चयनित ठेकेदार के माध्यम से किये जाने का प्रावधान है। विगत वर्षों में राज्य के मैदानी जनपदों यथा जनपद नैनीताल, उधमसिंहनगर, हरिद्वार व देहरादून के क्षेत्रान्तर्गत नदी में स्वीकृत खनन पट्टों से रायल्टी (Royalty)/अपरिहार्य भाटक (Dead Rent) के रूप में लगभग रू0 100/- करोड का राजस्व प्राप्त हो रहा है ।
जबकि राज्य सरकार को उपखनिज की उपलब्धता के आधार पर एवं निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष लगभग रु० 300 करोड का राजस्व प्राप्त होना चाहिए था। उपखनिज की निर्धारित मात्रा की निकासी न होने पाने से राज्य को राजस्व की हानि हो रही है और आम जन को उपखनिज उच्च दरों पर मिल रहा है और कतिपय व्यक्तियों के द्वारा चोरी छुपे उपखनिजों का अवैध खनन किया जा रहा है।
राज्य के मैदानी जनपदों यथा जनपद नैनीताल, उधमसिंहनगर, हरिद्वार, देहरादून के क्षेत्रान्तर्गत नदी में स्वीकृत खनन पट्ट्टों से रायल्टी (Royalty) / अपरिहार्य भाटक (Dead Rent) वसूलने हेतु ई-निविदा सह ई-नीलामी के माध्यम से ठेकेदार के चयन किये जाने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी गयी है, जिससे राज्य सरकार को सिर्फ रायल्टी के मद में रु० 300 करोड से अधिक एवं अन्य कर मिलाकर रू0 400 करोड से अधिक की राजस्व प्राप्ति होगी एवं अवैध खनन पर प्रभावी रोकथाम लगेगी तथा आम जन एवं राज्य सरकार की कार्यवाही संस्थाओं को सस्ते दरों पर उपखनिज की आपूर्ति होगी। उक्त प्रकार की प्रक्रिया देश के अन्य कई राज्यों यथा मध्यप्रदेश एवं राजस्थान में पूर्व से ही लागू है।
उत्तराखण्ड वन विकास निगम को आवंटित आरक्षित वन क्षेत्र की नदियों कमशः गौला, कोसी एवं नंधौर-कैलाश नदियों में उपखनिज चुगान एवं निकासी के सम्बन्ध में।
उपर्युक्त विषयक निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय के पृष्ठांकन पत्र संख्या-4893, दिनांक 16.12.2023, प्रबन्ध निदेशक, उत्तराखण्ड वन विकास निगम, देहरादून के पत्र संख्या-3855 / निविदायें (2044), दिनांक 18.12.2023 एवं जिला खान अधिकारी, भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग, नैनीताल के पत्र संख्या-1125, दिनांक 18.12.2023 के सन्दर्भ में मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि खनन सत्र 2023-24 में गौला नदी के निकासी गेटों को उपखनिज तौल हेतु धर्मकांटों आदि की व्यवस्था न होने के कारण उपखनिज निकासी का कार्य बन्द होने के सम्बन्ध में दिनांक 03.11.2023 को सम्पन्न जिला खनन समिति, नैनीताल की बैठक के कार्यवृत्त दिनांक 30.11.2023 के बिन्दु संख्या 6 द्वारा लिये गये निर्णयानुरूप मा० उच्च न्यायालय, नैनीताल एवं मा० उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली में धर्मकांटो से सम्बन्धित लम्बित वादों में पारित होने वाले अन्तिम निर्णय के अधीन वैकल्पिक व्यवस्था के अन्तर्गत गौला, कोसी एवं नन्धौर नदी में आर०बी०एम० एवं बोल्डर की राजस्व एवं जनहित में तत्काल प्रभाव से मैनुअल निकासी किये जाने की कार्यवाही सुनिश्चित करें तथा कृत कार्यवाही से शासन को भी अविलम्ब अवगत करायें।
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