सावधान – बच्चों को कफ सिरप देने से पहले जरूर पढ़ें ये गाइड लाइन..


बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए उत्तराखंड सरकार ने प्रदेशभर में कफ सिरप के विवेकपूर्ण उपयोग और वितरण पर सख्ती बरतने के निर्देश जारी किए हैं। स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, डॉ. आर. राजेश कुमार ने सभी जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्साधिकारियों को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं।
यह कदम भारत सरकार की ओर से एडवाइजरी के अनुपालन में उठाया गया है, जिसमें बच्चों में खांसी-जुकाम की दवाओं के दुरुपयोग को लेकर गंभीर चिंता जताई गई थी।
बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, डॉ. आर. राजेश कुमार ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं।
भारत सरकार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से 3 अक्टूबर 2025 को जारी एडवाइजरी के अनुपालन में राज्य में भी बच्चों में कफ सिरप के विवेकपूर्ण उपयोग और वितरण पर विशेष बल दिया गया है।
डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि दो वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी भी प्रकार की खांसी या जुकाम की दवा नहीं दी जानी चाहिए। पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में इन दवाओं का सामान्य उपयोग अनुशंसित नहीं है। केवल विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह, सही खुराक और न्यूनतम अवधि के लिए ही इनका उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अधिकांश मामलों में बच्चों की खांसी और जुकाम की समस्या स्वतः ठीक हो जाती है। इसलिए आवश्यक है कि चिकित्सक इन दवाओं के अनावश्यक प्रयोग से बचें।
स्वास्थ्य सचिव ने सभी जिलों को निर्देश दिए हैं कि औषधि निरीक्षक चरणबद्ध तरीके से कफ सिरप के नमूने एकत्र कर प्रयोगशाला जांच कराएं ताकि दोषपूर्ण या हानिकारक दवाओं को बाजार से तुरंत हटाया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि सभी चिकित्सक और औषधि विक्रेता केंद्र की एडवाइजरी का पालन सुनिश्चित करें।
साथ ही, सभी स्वास्थ्य संस्थानों, सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, और निजी चिकित्सा संस्थानों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि केवल Good Manufacturing Practices (GMP) के अनुरूप निर्मित औषधियों की ही खरीद और वितरण किया जाए।
डॉ. आर. राजेश कुमार ने जनता से अपील की है कि वे बच्चों को किसी भी प्रकार की खांसी या जुकाम की दवा देने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। उन्होंने कहा बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रतिबंधित या अधोमानक दवाओं के उपयोग पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बताते चलें मध्य प्रदेश में कफ सिरप पीने से कई बच्चों की मौत हो गई। इसके बाद धीरे-धीरे कर इन्हें कई राज्यों में बैन किया जा रहा है। कफ सिरप कोल्ड्रिफ की आंच उत्तराखंड तक भी पहुंच गई है। कफ सिरप से हुई बच्चों की मौत और कई बच्चों की तबियत बिगड़ने के मामले सामने आने के बाद उत्तराखंड में भी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन सतर्क हो गया है। फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने प्रदेश के अस्पतालों और मेडिकल स्टोर पर छापेमारी की कार्रवाई शुरू कर दी है।
देहरादून के साथ ही प्रदेश के कई हिस्सों में मेडिकल स्टोरों की जांच की जा रही है। ड्रग कंट्रोलर ताजवर जग्गी के अनुसार प्रतिबंधित दवाएं पाए जाने पर कंपनी और बेचने वाले मेडिकल स्टोर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही पूरे राज्य में सभी मेडिकल स्टोर सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में सैंपलिंग के आदेश भी दिए गए हैं।
बच्चों को कफ सिरप देने में रहे सतर्क
उन्होंने बताया कि सभी औषधि निरीक्षक चरणबद्ध तरीके से प्रदेश भर के मेडिकल स्टोरों में कफ सिरप की सैंपलिंग करेंगे। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से बच्चों के जिन कफ सिरप पर रोक लगाई गई है उनमें डेक्स्ट्रोमेथोर्फन, फिनायलफराइन, हाइड्रोक्लोराइड और इसे तैयार किए गए कांबिनेशन शामिल है।
वहीं, यह कफ सिरप दो साल से कम उम्र के बच्चों को न देने और 4 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप देने में एहतियात बरतने की गाइडलाइन भी जारी की गई है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा राज्य सरकार केंद्र की एडवाइजरी का पूरी गंभीरता से पालन कर रही है। बच्चों की दवाओं से जुड़ी किसी भी लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सभी चिकित्सकों और औषधि विक्रेताओं को निर्देश दिए गए हैं कि वे प्रतिबंधित सिरप को न लिखें और न बेचें। यह कदम बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
एफडीए ने शुरू की सैंपलिंग
एफडीए ने राज्यभर में कफ सिरप की सैंपलिंग शुरू कर दी है। अपर आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन एवं ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने जनता से अपील की है कि वे बच्चों को कोई भी दवा देने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। यदि किसी दवा के सेवन से कोई प्रतिकूल प्रभाव दिखाई दे तो तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल से संपर्क करें।


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