बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से एक और झटका,अब टैक्स भी चुकाना होगा

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योग गुरु रामदेव के लिए इन दिनों अच्छी खबरें नहीं आ रही. अब रामदेव के योग शिविर भी सर्विस टैक्स के दायरे में आ गए हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब स्वामी रामदेव और पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को अब योग शिविर का आयोजन कराने के लिए ‘सर्विस टैक्स’ यानी ‘सेवा शुल्क’ चुकाना होगा।

19 अप्रैल को सुप्रीम  कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय एम ओक और जस्टिस उज्जवल भुइयां की पीठ ने इस सिलसिले में कस्टम, एक्साइज, सर्विस टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल (CESTAT) के फैसले को बरकरार रखा है. PTI की रिपोर्ट के मुताबिक ट्राइब्यूनल ने पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को आवासीय और गैर-आवासीय दोनों योग शिविरों के आयोजन के लिए सर्विस टैक्स का भुगतान करना जरूरी बताया गया था. इसके खिलाफ पंतजलि ने सुप्रीम कोर्ट याचिका दायर की थी।

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पतंजलि योगपीठ के शिवरों में एंट्री फीस का मामला

मालूम हो कि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट स्वामी रामदेव के योग शिविरों में शामिल होने के लिए एंट्री फीस लेती है. जस्टिस ओक और जस्टिस भुइयां की पीठ ने अपने फैसले में CESTAT के फैसले को सही बताते हुए कहा-

एंट्री फीस लेने के बाद तो शिविरों में योग एक सर्विस है. हमें ट्राइब्यूनल के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता. लिहाजा पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की अपील खारिज की जाती है।

इसी के साथ कोर्ट ने CESTAT की इलाहाबाद पीठ के 5 अक्टूबर, 2023 के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

CESTAT ने माना योग शिविरों में शामिल होने की फीस ली जाती है इसलिए सर्विस टैक्स जरूरी

CETSAT एक अर्ध-न्यायिक निकाय(Quasi judicial body) है.  अर्ध-न्यायिक निकाय एक प्रशासनिक इकाई है जिसके पास  कानून लागू करने वाली निकायों (जैसे- न्यायालय) की तरह ही शक्ति होती है, लेकिन ये न्यायालय नहीं होते।

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सुनवाई में CESTAT ने माना था कि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की तरफ से आयोजित योग शिविर में शामिल होने के लिए फीस देनी होती है. इसलिए ये “स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा” की कैटेगरी में आता है. ऐसी सेवाओं पर सर्विस टैक्स लगता है. ट्राइब्यूनल ने कहा,ट्रस्ट कई आवासीय और गैर-आवासीय शिविरों में योग ट्रेनिंग देने में लगा हुआ है।

इसके लिए प्रतिभागियों से दान के तौर पर फीस ली गई. हालांकि, ये राशि दान के रूप में इकठ्ठा की गई थी. लेकिन असल में ये तमाम सेवाओं के लिए ली गई फीस है।

CESTAT के सामने ट्रस्ट ने दलील दी थी कि  “स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा” टैक्स योग्य नहीं है. क्योंकि पीठ मेडिकल ट्रीटमेंट के उद्देश्य से नहीं बल्कि शारीरिक फिटनेस के लिए योग का विस्तार करने में लगी है. ट्रस्ट ने ये भी कहा कि शिविरों में प्रतिभागियों से उन्हें जो भी मिला वो स्वैच्छिक दान था।

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पीठ द्वारा दी जाने वाली सेवाओं के बदले में इसे नहीं स्वीकार किया गया था. ट्रस्ट के इस तर्क पर CETSAT ने कहा, ये बात बिल्कुल साफ है कि ये राशि कुछ और नहीं बल्कि स्वास्थ्य और फिटनेस सेवाओं के तहत लगने वाले टैक्स से बचने का प्रावधान था।

ट्रस्ट की अपील को खारिज करते हुए, CETSAT ने वित्त अधिनियम, 1994 में “स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा” की परिभाषा को समझाया. जिसके मुताबिक सोना, टर्किश और स्टीम बाथ, सोलारियम, स्पा, स्लिमिंग सैलून, जिम, योगा, मेडिटेशन, मसाज को स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा में शामिल किया गया है।

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