भीमताल – पिंजरे में गुलदार,लेकिन आज़ाद है_तीन मौतों का जिम्मेदार बाघ.. ?

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उत्तराखण्ड के भीमताल क्षेत्र में तीन महिलाओं को मौत के घाट उतारने वाले हिंसक वन्यजीवों में से दो मामलों की रिपोर्ट में डब्ल्यू.आई.आई.ने बाघ(टाइगर)होने के संकेत दिए हैं, जबकि तीसरी रिपोर्ट अभी आनी बांकी है। डी.एफ.ओ.चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि पकड़े गए नर गुलदार के मल, मूत्र और राल के सेंपल लेकर देहरादून भेजे जा रहे हैं, जिसकी रिपोर्ट एक हफ्ते में आने की उम्मीद है।


नैनीताल जिले में भीमताल के कसाइल, पिनरों और ताडा गांव में तीन महिलाओं को जान से मारने वाले हिंसक वन्यजीव की तलाश वन विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। अज्ञात हिंसक वन्यजीव ने सात दिसंबर को मलुवाताल के कसाइल में इंद्रा देवी, नौ दिसंबर को पिनरों में पुष्पा देवी और फिर 12 दिसंबर को ताडा गांव में 20 वर्षीय निकिता शर्मा को अपना शिकार बनाया लिया था।

इस बीच, सरकार पर ग्रामीणों के भारी दबाव के बाद दस दिसंबर को वन मुखिया ने हमलावर को नरभक्षी गुलदार घोषित कर मारने का फरमान जारी कर दिया था। इस आदेश कि खबर देख हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर अधिकारियों को तलब कर लिया। न्यायलय ने अधिकारियों द्वारा हिंसक वन्यजीव को मारने पर रोक लगाने समेत उसे चिन्हित कर उसपर काबू करने संबंधी गाइडलाइन का पालन करने को कहा। बीते दिनों, उस क्षेत्र में एक्सपर्टों की टीमें गश्त पर जुटी हैं और शनिवार को एक स्वस्थ गुलदार पिंजरे में कैद हो गया।

डब्ल्यू.आई.आई.के एक्सपर्ट डॉ.पराग निगम के शनिवार को मौके पर पहुँचने के बाद आज कॉर्बेट नैशनल पार्क से दो वन्यजीव चिकित्सक भी जरूरी सैम्पल लेने पहुंच रहे हैं।


नैनीताल के डी.एफ.ओ.चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि पकड़े गए गुलदार का माल, मूत्र और राल का सैम्पल ले लिया गया है जिसे देहरादून के वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया(डब्ल्यू आई.आई.)भेजने की तैयारी है। रिपोर्ट आने के बाद तीसरी मालिया के हमलावर की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। उन्होंने बताया कि कसाइल की इंद्रा देवी और पिनरों की पुष्पा पर हमला कर मौत के घाट उतारने वाला वन्यजीव एक बाघ था, जिसके अंश, शव से बरामद हुए थे।

इसके अलावा ताडा की निकिता पर हमला करने वाले वन्यजीव की जानकारी नहीं हो सकी है। बताया कि बड़ौन रेंज के दुधली गांव में पकड़ा गया नर गुलदार काफी स्वस्थ(हैल्दी)है और उसके 70 से 80 किलो तक होने का अनुमान है।


वन संरक्षक बीजू लाल टी आर ने बताया कि अधिकतर घटनाएं नवंबर से जनवरी के बीच होती हैं और विभाग विज्ञापन के माध्यम से लोगों से इस दौरान जंगल में नहीं जाने की अपील भी करता है। कहा कि हिंसक वन्यजीव हिरण, घुरल, कांकड़ आदि को पकडने में असफल होने के बाद गाय, बकरी, कुत्ता और मनुष्य जैसे आसान शिकार पर हमला करता है।

उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि स्टडी से मालूम पड़ा है कि बाघ भरपेट खाने के बाद 12 दिनों तक और गुलदार लगभग एक सप्ताह तक कुछ नहीं खाते हैं। ये जानवर एक रात में 25 किलोमीटर तक का सफर अपनी टेरेटरी में कर लेते हैं।

वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती

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