आज़ादी के 75 साल बाद शर्मनाक तस्वीर : भाजपा नेता की घिनौनी हरकत का वीडियो वायरल – पेशाब कांड

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बड़ी ही शर्मनाक घटना की खबर सामने आ रही है जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी के साथ वायरल हो रहा है मध्य प्रदेश के सीधी में मंदबुद्धि दलित आदिवासी पर पेशाब करते हुए बीजेपी नेता का वीडियो वायरल मामले में आरोपी के घर पर बुलडोजर चलाने की तैयारी की जा रही है. बड़ी मात्रा में पुलिस बल आरोपी के घर पहुंच गया है. इसके अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आरोप पर एनएसए लगाने की भी बात कही है।

https://twitter.com/GarryWalia_/status/1676187833583951872?s=20

वह सिगरेट का कश लेता है और बड़ी बेफिक्री से पेशाब करता जाता है। उसकी पेशाब एक जीते जागते इंसान के सिर से होती हुई शरीर पर उतर रही थी लेकिन वह ‘शैतान’ मदमस्त था। इससे अमानवीय तस्वीर और क्या होगी। आजादी के 75 साल बाद आखिर ऐसा करने की हिम्मत कहां से आ जाती है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद गरीबों-दलितों, आदिवासियों के उत्थान की बातें करते हैं, तो ऐसे शैतानों को संरक्षण कैसे मिल जाता है? मुझे कहते हुए शर्म आ जाएगी, आपको देखकर शर्म आ जाएगी लेकिन अहंकार में डूबे उन लोगों को नहीं आती जिन्हें सत्ता के करीब रहने का सुख मिल जाता है।

वैसे भी अपने यहां एक कहावत है ‘जब सैयां भए कोतवाल, तो डर काहे का’। यहां बात भले ही कोतवाल की करते हैं पर आजकल नेताओं के खासमखास ही सीमाएं लांघ रहे हैं और ऊपर बैठे नेता आंखें मूंद लेते हैं। मध्य प्रदेश के सीधी में आदिवासी युवक पर पेशाब करने वाला प्रवेश शुक्ला भाजपा के विधायक केदारनाथ शुक्ला का प्रतिनिधि है। अब उसे ‘पूर्व’ बताया जा रहा है जिससे भाजपा पर छींटे कम पड़ें। वीडियो वायरल हुआ, विपक्ष ने दबाव बनाया तब मामला दर्ज कर गिरफ्तारी हुई। चुनाव की तैयारी कर रहे सीएम शिवराज सिंह चौहान को आदिवासी वोटों की चिंता हुई तो उन्हें कहना पड़ा कि NSA लगाया जाएगा। अब सवाल पूछा जा रहा है कि क्या प्रवेश शुक्ला के घर पर बुलडोजर चलेगा तो भाजपा विधायक और मंत्री बगलें झांक रहे हैं।


दरअसल, सीधी जिले के बीजेपी नेता व विधायक प्रतिनिधि का सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है, जिसमें नशे में चूर आरोपी बीजेपी नेता मानसिक रूप से विक्षिप्त आदिवासी युवक पर पेशाब कर रहा है. इस मामले में कांग्रेस ने बीजेपी को घेरा है तो वहीं सीएम शिवराज सिंह चौहान ने आरोपी युवक पर एनएसए की कार्रवाई की बात कही है. जबकि बीजेपी विधायक ने युवक को अपना प्रतिनिधि होने से इंकार किया है।

https://twitter.com/GarryWalia_/status/1676187833583951872?s=20

नशे में चूर यह युवक बीजेपी विधायक का प्रतिनिधि प्रवेश शुक्ला बताया जा रहा है. हालांकि विधायक केदारनाथ शुक्ला ने आरोपी के विधायक प्रतिनिधि होने से किया इनकार कर दिया है. वहीं इस मामले मे आरोपी के घर पर बुलडोजर चलाने की तैयारी की जा रही है. हालांकि बुलडोजर की कार्रवाई अभी शुरू नहीं हुई है. बड़ी मात्रा में पुलिस बल आरोपी के घर पहुंचा है।


घिनोनी हरकत पर गरमाई सियासत
उधर, आदिवासी युवक के साथ हो रही इस घिनोनी हरकत के बाद प्रदेश की सियासत भी जमकर गरमा गई है. आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया. बताया जा रहा है यह वीडियो मध्य प्रदेश के सीधी जिले का है, जहां के विधायक केदारनाथ शुक्ला है, जिनका विधायक प्रतिनिधि बताया जा रहा है. इस वीडियो के बाद से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव सहित तमाम काग्रेंस ने ट्वीट कर घोर निंदा की है. वहीं बीजेपी को आड़े हाथों लिया है।

ताज़ा जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश के सीधी जिले में आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब करने के आरोपी प्रवेश शुक्ला को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. इससे पहले उसके खिलाफ IPC की धारा 294, 504 और SC/ST एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया. पुलिस ने बताया कि उससे पूछताछ की जा रही है और आगे की कानूनी कार्रवाई जल्द ही की जाएगी।

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में प्रवेश शुक्ला सिगरेट पीते हुए एक व्यक्ति पर पेशाब कर रहा है. पीड़ित एक दिहाड़ी मजदूर है. वो आदिवासी समुदाय से आता है. पुलिस का कहना है कि वो बहुत डरा हुआ है. वो आरोपी के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं कराना चाहता है. रीवा रेंज के DIG मिथलेश शुक्ला ने बताया कि वायरल वीडियो छह दिन पुराना है. पुलिस को ये वीडियो 4 जुलाई की शाम 4 बजे मिला है।

मामले पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए. इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर 4 और 5 जुलाई की दरमियानी रात आरोपी को हिरासत में लिया. 

आरोपी का बीजेपी कनेक्शन?

प्रवेश शुक्ला को BJP के विधायक केदारनाथ शुक्ला का प्रतिनिधि बताया जा रहा है. लेकिन विधायक ने इस बात से इनकार किया है. आजतक से जुड़े रवीश पाल सिंह से बातचीत में केदारनाथ शुक्ला ने कहा कि वो प्रवेश शुक्ला को जानते हैं लेकिन उसे कभी प्रतिनिधि नहीं बनाया है. मध्यप्रदेश के BJP मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने भी कहा है कि प्रवेश शुक्ला नाम के व्यक्ति का BJP से कोई संबंध नहीं है।

वहीं आरोपी प्रवेश शुक्ला के पिता रमाकांत शुक्ला ने कहा कि उनका बेटा विधायक प्रतिनिधि है. आजतक के हेमेंद्र शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक रमाकांत शुक्ला ने कहा,मेरा बेटा  प्रवेश शुक्ला BJP नेता है और 4-5 साल से विधायक प्रतिनिधि है. इसीलिए वो राजनीतिक षड्यंत्र का शिकार हो रहा है.”

सोशल मीडिया पर एक अखबार की एक न्यूज कटिंग वायरल हो रही है, जिसमें प्रवेश शुक्ला के विधायक प्रतिनिधि चुने जाने की खबर है. उसकी कई BJP नेताओं के साथ फोटो भी सामने आई हैं.


थोड़ी सी तो शर्म कर लो
हद तो तब हो गई कि जब वायरल वीडियो में गरीब, लाचार और असहाय दिखने वाले पीड़ित युवक का शपथ पत्र पेश कर दिया गया। जी हां, उसके हवाले से कहलवाया जा रहा है कि यह वीडियो झूठा और फर्जी है। 3 जुलाई की तारीख वाले 100 रुपये के स्टैंप पेपर पर हिंदी में लिखा है, ‘मेरे साथ प्रवेश शुक्ला द्वारा कभी भी ऐसा कृत्य नहीं किया गया है।’

पहली बात तो पुलिस को इस वीडियो की जांच करा लेनी चाहिए पर शक पैदा होना तो लाजिमी है। इतने गरीब आदमी के लिए प्रवेश शुक्ला को बचाने की जल्दी क्या है? शपत्र पत्र में लिखवाया गया है, ‘मेरे ऊपर आदर्श शुक्ला और अन्य ने दबाव बनाया है कि प्रवेश शुक्ला के खिलाफ पुलिस रिपोर्ट करो तुमको पैसा मिलेगा। उनके ऊपर एससी-एसटी एक्ट लगेगा…।’ आपको समझ में आया, एससी-एसटी एक्ट ही डर की असली वजह है। शुक्ला जी को डर लग रहा होगा कि SC-ST एक्ट लगा तो नेतागीरी हवा हो जाएगी।

आखिर ऐसा क्यों होता है कि अपराधी-अपराधी में फर्क किया जाता है? गैरों के घरों पर बुलडोजर दौड़ाने वाली भाजपा सरकार ‘अपनों’ के बचाव की मुद्रा में क्यों आ जाती है?

लोग तो पूछेंगे ही, फिर बदला क्या?
आपको लग रहा होगा कि सत्ता की धमक तो हर पार्टी में होती है। बिल्कुल ठीक बात है फिर बदला क्या? यही बदलने तो भाजपा 2014 में आई थी। ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा क्या यहां लागू नहीं होता है।

अब आप एक बार रात में थाने की सीढ़ियां चढ़ते हुए आदिवासी युवक पर पेशाब करने के आरोपी प्रवेश शुक्ला के कदमों को गौर से देखिए। चाल बता रही है कि उसमें कितनी ताकत है। वह चेहरा गमछे से लपेटा हुआ है लेकिन मन में यह भावना जरूर है कि कितने दिन रख पाओगे अंदर? पुलिसवालों का ट्रीटमेंट भी आपको आरोपी ले जाते जैसा नहीं लगेगा। एक पुलिस अधिकारी तो उसकी पीठ पर बड़े ही कोमल तरीके से हाथ फेरता है जैसे कोई मेहमान घर आया हो। हां, यह सीन वेलकम का ही तो है। और हां, चेहरे पर भगवा गमछा लपेटने की भी वजह है। उसका भी मैसेज है। आप जानते ही होंगे।

सवाल भाजपा-कांग्रेस का नहीं है। मुद्दा बदलाव का है। रीवा जोन के एडीजी केपी वेंकटेश्वर राव ने मीडिया को बताया है कि सीधी जिले के बेहारी थाने में प्रवेश शुक्ला के खिलाफ आईपीसी की धारा 294 और 504 के तहत केस दर्ज हुआ है। एससी/एसटी एक्ट की धाराएं भी लगाई गई हैं। लेकिन बुलडोजर दौड़ाने के लिए चर्चा में रहने वाले मध्य प्रदेश के फायरब्रांड नेता नरोत्तम मिश्रा चुप हैं। सोशल मीडिया पर तो नरोत्तम मिश्रा के सामने प्रवेश शुक्ला के नारे लगाने वाली तस्वीर भी वायरल हो रही है।


अब बुलडोजर चलेगा नेताजी?

सीधी के भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ला से जब पूछा गया कि आरोपी के घर पर बुलडोजर चलेगा?

उन्होंने बात को घुमाते हुए कहा, ‘नहीं, जो भी कार्रवाई की जा सकती है, वो सब कार्रवाई की जानी चाहिए।’ आगे विधायकजी जो 2-3 तर्क दे डालते हैं वह सबको नोट कर लेना चाहिए ताकि सनद रहे। भाजपा के विधायक कहते हैं, ‘अगर उसका घर सरकारी जमीन पर नहीं है तो कैसे बुलडोजर चल जाएगा? अगर उसका पैतृक घर है, उसके पास स्वयं का घर नहीं है तो बाप-दादा के घर पर कैसे बुलडोजर चल जाएगा?’ क्या भाजपा के नेता दूसरे मामलों में भी इतना सोचते हैं? बाप-दादा का घर तो सबका होता ही है तो फिर झट से बुलडोजर क्यों पहुंच जाता है?


आप बुलडोजर चलाने के पीछे मंशा तो यही बताते हैं न कि अपराधी कांपेंगे तो अपने करीबी के फंसने पर उसे क्यों कंपाया नहीं जा रहा। यही सुस्ती, हीलाहवाली, कन्नी काटना यह दिखाता है कि शर्मनाक और घिनौनी हरकत को देखकर भी सत्ता अपने लोगों को बचाने के लिए कैसे हथकंडे अपनाती है। दुखद यह है कि भाजपा राज में भी यह नहीं बदला है।


इसमें क्या है…
माथे पर लाल तिलक, चेहरे पर रौबदार मूंछें और दमदार आवाज वाले एमपी के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के ऐसे मामलों पर दिए पिछले बयानों को देख लीजिए। रात में जब प्रवेश शुक्ला पर पूछा गया तो वह बड़े ही डिप्लोमेटिक तरीके से बोलते दिखे। न गरजे, न चमके। उन्होंने कहा, ‘जांच के आदेश दे दिए गए हैं, गिरफ्तारी की जाएगी। मुख्यमंत्री ने बोल दिया है कि एनएसए लगेगा। इसमें क्या है…।’इसमें बहुत कुछ है नेता जी। इसमें भावना है, इसमें दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी है। इससे यह पता चलता है कि बात-बात पर दबे- कुचले, दलितों, महादलितों के हितैषी बनने की कोशिश करने वाले भाजपा के नेता कैसे रंग बदलते हैं।

2024 का लोकसभा चुनाव है, उससे पहले एमपी में चुनाव हैं तो एक्शन तो करना पड़ेगा। लेकिन अभी तक सत्ता की तरफ से जो रवैया दिखाया गया है उससे एक बात साफ हो जाती है कि प्रवेश शर्मा जैसे लोगों को संरक्षण दिया जा रहा है और आगे भी बचाने की कोशिशें होंगी। गांव-गांव पन्ना प्रमुख और बूथ प्रमुख बनाना गलत बात नहीं है लेकिन कार्यकर्ता के अपराधी बनने के बाद उससे रिश्ता तोड़ना भी नेताओं को आना चाहिए।

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